तलाक पर महिलाओं ने कहा कि दीन (धर्म) और शरियत में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे
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कानून रिव्यू/भोपाल
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में इकबाल मैदान में हुए जलसे में मुस्लिम महिलाओं ने हाथ उठाकर कहा कि दीन (धर्म) और शरियत में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन शरियत की व्यवस्था बेहतर है। तलाक शरियत का ही एक हिस्सा है। देश में धार्मिक स्वतंत्रता के तहत मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अमल करने का हमें जो हक मिला है, उसे बरकरार रखा जाए। शरियत में इंसाफ का मुकाम है। तलाक शरीयत ए इस्लाम का हिस्सा है, जिस पर पाबंदी लगाना हमारे हकों पर पाबंदी लगाना है। मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि शरीयत के मामले में कोई भी समझौता बर्दाश्त नहीं करेंगे और ताउम्र शरीयत पर कायम रहेंगे। तलाक शरीयत का ही हिस्सा है, जिस पर पाबंदी लगाना हमारे हकों का विरोध करना है.। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सिर्फ कुरान के आधार पर ही लिया है, जबकि शरीयत के चार पैमाने कुरआन, हदीस, इजमा, कयास हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड की महिला विंग की सेक्रेट्री सज्जाद नोमानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अमल की जो आजादी उन्हें मिली है उसमें सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करें। बता दें कि एक दिन पहले ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग में तीन तलाक को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी थी. बोर्ड यह भी तय नहीं कर सका था कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू किया जाएगा या नहीं. मीटिंग में एकराय नहीं बनने के बाद 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी रिपोर्ट के बाद बोर्ड तीन तलाक पर अपना रुख तय करेगा।