जब भी कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाता है तो भ्रष्टाचारी शक्तियाँ उस व्यक्ति के विरुद्ध हर प्रकार से अपनी शत्रुता दिखाने लगती हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा बांधने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को कई प्रकार के हमलों का शिकार होना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए अंग्रेजी में विस्सल ब्लोअर शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है – सीटी बजाने वाला। कई बार तो ऐसे सीटी बजाने वाले बहादुर व्यक्तियों को अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई उस समय और अधिक कठिन हो जाती है जब सीटी बजाने वाला व्यक्ति स्वयं उस विभाग में ही नौकरी कर रहा होता है जिसमें फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध वह बार-बार अपनी आवाज़ उठाता है।
ऐसे व्यक्तियों को तो सामान्यतः कड़ी प्रशासनिक प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। भ्रष्ट अधिकारी ऐसे सीटी बजाने वालों को दूर स्थानों पर स्थानांतरित करवा देते हैं या उनके विरुद्ध झूठी अनुशासनात्मक कार्यवाहियाँ भी प्रारम्भ कर देते हैं। दिखावटी छानबीन प्रक्रिया के बाद सज़ा के आदेशों के सहारे ऐसे सीटी बजाने वालों को विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। नौकरी से अस्थाई रूप से हटने या अन्तिम रूप से नौकरी गंवाने के बाद ऐसे व्यक्तियों के पास अदालत की लड़ाई ही एक मात्र मार्ग शेष बचता है। अदालत की लड़ाई में निर्णय सरलता और शीघ्रता से सम्भव ही नहीं होते। कई वर्षों की लड़ाई के बाद यदि सीटी बजाने वाला व्यक्ति कानूनी जंग जीत भी जाता है तो भी वह मानसिक रूप से काफी टूट चुका होता है।
कुछ ही समय पूर्व सतेन्द्र दुबे नामक एक भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी जो नेशनल हाइवे अथाॅरिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत करता था। ऐसे ही अनेकों मामले समय≤ पर सामने आते रहे। परन्तु जनता की हमदर्दी के अतिरिक्त भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं को कभी विधिवत कोई संरक्षण नहीं मिला। सत्येन्द्र दुबे के मुकदमें में सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को ऐसे सीटी बजाने वाले लोगों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास प्रारम्भ करने का निर्देश दिया था। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी भ्रष्टाचार विरोधी व्यक्तियों और संगठनों की सुरक्षा के लिए सभी देशों को प्रयास प्रारम्भ करने का प्रस्ताव पारित कर रखा है। भारत भी संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस प्रस्ताव में सहयोगी था।
भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिए आज हमारे देश में केन्द्रीय सतर्कता आयोग स्थापित है जो वास्तव में सी.बी.आई. के ऊपर भी निरीक्षण का अधिकार रखता है। परन्तु इस सतर्कता आयोग में कभी भी मजबूत और दृढ़ निश्चय वाले लोगों को नियुक्त नहीं किया जाता।
भ्रष्टाचार निवारण कानून में भी कई ऐसे ढीले-ढाले प्रावधान हैं जिनके कारण भ्रष्टाचार के विरुद्ध कारगर लड़ाई नहीं हो पाती। उच्चाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतें करने के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होती है।
सीटी बजाने वाले लोगों के संरक्षण के लिए वर्ष 2011 में लोकसभा द्वारा एक कानून भी पारित कर दिया था। इस कानून को 2014 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया और उसी वर्ष राष्ट्रपति की स्वीकृति भी प्राप्त हो गई। परन्तु इस कानून को आज तक प्रभावशाली ढंग से लागू नहीं किया जा सका। अब तक सर्वोच्च न्यायालय और इस संरक्षण कानून के सामने सिटी बचाने वालों को संरक्षण देने का अधिक से अधिक एक ही विचार है कि उनके नाम आदि को अभियुक्तों के सामने उजागर न किया जाये। संरक्षण देने की भी यह एक डरपोक प्रवृत्ति है जिसमें एक सामाजिक कार्यकर्ता को डराकर अपराधियों से छिपने के लिए प्रेरित किया जाये। जबकि वास्तविक संरक्षण यह हो सकता था कि भ्रष्टाचारी और अपराधी ताकतों पर जबरदस्त प्रहार किये जाते। भ्रष्टाचार से लड़ने वाला व्यक्ति यदि सरकारी नौकरी में हो तो उसकी नौकरी को भी पूरा संरक्षण दिया जाना चाहिए था।
अन्ना हजारे द्वारा देशव्यापी आन्दोलन के बावजूद आज तक भारत में एक कड़े लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई।
भारत में आज तक कोई भी ऐसा तंत्र स्थापित नहीं हो पाया जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीटी बजाने वाले सत्यवादी और बहादुर समाजभक्तों को संरक्षण प्रदान कर सके। हालांकि सतर्कता कानून में निर्धारित सतर्कता अधिकारियों के पास पर्याप्त अधिकार होते हैं कि वे ऐसे सीटी बजाने वालों का संरक्षण कर सकें। परन्तु अभी तक इस प्रकार के संरक्षण कार्यों को कोई महत्त्व नहीं दिया गया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश तथा विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री ए.पी. शाह की अध्यक्षता में सीटी बजाने वाले नागरिकों का एक मंच गठित किया गया है जिसमें कई प्रसिद्ध महानुभाव शामिल हैं। जैसे – सेवानिवृत्त एडमिरल श्री रामदास, श्रीमती अरूणाराय, श्री वजाहत हबीबुल्ला, श्री ई.ए.एस. शर्मा, श्री जगदीप छोकर तथा श्री प्रशान्त भूषण। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सीटी बजाने वाले भ्रष्टाचार विरोधियों को संरक्षण देने तथा हर सम्भव सहायता करने का प्रयास इसलिए किया गया है ताकि लोगों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आत्मविश्वास पैदा किया जा सके। यह संगठन सीटी बजाने वाले लोगों को प्रताड़ित करने की शिकायतें प्राप्त करेगा, उन सम्बन्धित विभाग के साथ चर्चा करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो यह संगठन ही सीटी बजाने वालों की कानूनी लड़ाई को भी लड़ेगा। ऐसे लोगों की प्रताड़ना को जनता के समक्ष भी उजागर किया जायेगा। इस प्रकार इस संगठन के संरक्षण के आधार पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीटी बजाने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा।