फांसी की सज़ा को उम्र क़ैद में बदला
कानून रिव्यू /नई दिल्ली
पत्नी और अपने 5 बच्चों की हत्या करने वाला व्यक्ति मरते दम तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मनासा हत्याकांड के दोषी जगदीश की फांसी की सज़ा को उम्र क़ैद में बदल दिया है। मनासा का रहने वाला जगदीश अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या का दोषी है। उसे अपनी पत्नी के चाल.चलन पर शक़ था। इसी बात पर दोनों में रोज़ झगड़ा होता था। झगड़ा और शक इतना गहराया कि जगदीश ने पत्नी और 5 बच्चों की हत्या कर दी। ये जघन्य हत्याकांड 20 अगस्त 2005 की रात को अंजाम दिया गया। वारदात वाले दिन जगदीश रात में घर लौटा और अपनी पत्नी अमरीबाई की गला रेत कर हत्या कर दी। इसके बाद उसने अपनी चारों बेटियों कारीबाई,विद्याबाई, राजूबाई, रचना और 8 साल के बेटे दिलखुश की भी गला काटकर हत्या दे दी। इस जघन्य हत्याकांड से पूरा प्रदेश दहल उठा। मामला अदालत में पहुंचा औऱ जगदीश को निचली अदालत ने दोषी पाया। कोर्ट ने उसे फांसी की सज़ा सुनाई। निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने भी उसे दोषी पाते हुए फांसी की सज़ा बरकरार रखी। उसके बाद केस सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी जगदीश को फांसी की सज़ा सुनाई। जगदीश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की, उस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सज़ा को उम्र कैद में बदल दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जगदीश मरते दम तक जेल में रहेगा।