कानून रिव्यू/मुंबई
——————–मुंबई हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले की याचिका खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि मंत्रिमंडल ने सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं और इसे कानून बनाने के लिए आगे की कार्रवाई चल रही है। राज्य सरकार ने ये भी कहा कि कानून बनाते समय याचिककर्ता की मांगों का ध्यान भी रखा गया है। राज्य सरकार के जवाब पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसी के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता को रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सिफारिशों पर शिकायत होने पर अदालत के समक्ष पेश होने की भी इजाजत दे दी है। साल 2014 और 2015 में तत्कालीन कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण दिया था, जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर अदालत में कई याचिकाएं डाली गई थीं. नवंबर 2014 में एक अंतरिम आदेश में हाईकोर्ट ने तत्कालीन सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. कुछ याचिकाओं में सरकार के फैसले का विरोध किया गया था जबकि दो याचिकाओं में कोटा तत्काल लागू करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं में से एक विनोद पाटिल ने न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले का जिक्र किया और तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इस बीच पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की है। सूत्रों के अनुसार, आयोग ने इस संबंध में एक बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 30 प्रतिशत आबादी मराठा है. ऐसे में उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण देने की जरूरत है।