बेंगलुरु के एचबी वाजिद खान की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट की टिप्पणी
कानून रिव्यू/कर्नाटक
यूपी में लव जिहाद अध्यादेश लागू हो जाने के बाद इस कानून के खिलाफ भी कई आवाजें उठ रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा प्रियंका खरवार और सलामत अंसीर के मामले में एफआईआर रद्द कर दिए जाने के बाद अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी एक फैसले में इस तरह की टिप्पणी की है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अपनी मर्जी से अपना जीवन साथी चुनना किसी भी बालिग युवक.युवती का मौलिक अधिकार है। ये मौलिक अधिकार देश के हर नागरिक को संविधान से मिला है। गौरतलब है कि कोर्ट बेंगलुरु के एचबी वाजिद खान की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जो एक गैर धर्म की लड़की से शादी करना चाहते हैं, लेकिन लड़की का परिवार इसका विरोध कर रहा है। सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुसार दो व्यक्तियों के निजी संबंधों को लेकर दी गई ये आजादी को कोई छीन नहीं सकता और इसमें धर्म और जाति से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि एक बालिग नागरिक को अपने पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये बात ऐसे समय में कही है जबकि कुछ ही दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि लव जिहाद के लिए सरकार अनुमति नहीं देगी और इसे रोकने के लिए उनकी सरकार सख्त कदम उठाएगी। वहीं यूपी में लव जिहाद को लेकर अध्यादेश लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार लव जिहाद कहे जाने वाले मामले को ही गैर कानूनी धर्मांतरण माना जाएगा और ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 5 से 10 साल की सजा की बात कही गई है।