असम में बनाया मां बाप की देखाभाल न करने वालों के खिलाफ ऐतिहासिक कानून
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कानून रिव्यू/गुवाहाटी
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मां बाप की देखभाल न करने वाले नौकरी पेशा लोगों की खैर नही है। यदि मां बाप की अनदेखी तो फिर कानून का डंडा आप पर ही नही बल्कि सैलरी पर भी चल जाएगा। ऐसा ऐतिहासिक कानून भारत में असम राज्य की सरकार ने पारित किया है। असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने ऐतिहासिक कानून बनाया है जिसके तहत बुजुर्ग मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से भागने वाले सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। कुल 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा ने इस ऐतिहासिक बिल को पास कर दिया है। पहली बार किसी सरकार ने बुजुर्गों के हितों के लिए इस तरह का कानून बनाया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो गया जाएगा। असम एम्पलॉयीज पैरंट्स रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर अकाउंटैबिलिटी एंड मॉनिटरिंग बिल-2017 नाम के इस कानून को असम एम्पलॉयीज प्रणाम बिल के नाम से जाना जाता है। कानून के मुताबिक अगर राज्य सरकार का कोई कर्मचारी अपने माता-पिता की जिम्मेदारी उठाने से भागता है तो सरकार उसकी सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा काट लेगी और उसे मां-बाप के खाते में ट्रांसफर कर देगी। अगर कर्मचारी का कोई भाई या बहन दिव्यांग है तो उसकी सैलरी से 5 प्रतिशत अतिरिक्त कटौती होगी।
असम एम्पलॉयज प्रणाम बिल पर विधानसभा में चर्चा के दौरान राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार को यह मंजूर नहीं कि कोई भी शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप को ओल्ड एज होम में छोड़कर जाए। उन्होंने दावा किया कि इस तरह का कानून बनाने वाला असम देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इस कानून के दायरे में लाया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश सरकार भी माता पिता भरण पोषण कानून को लागू करे
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असम सरकार द्वारा मां बाप की देखभाल न करने वालों की सैलरी काटे जाने का ऐतिहासिक कानून पारित करने पर अब यहां के लोगों को भी उम्मीद जगी है कि माता पिता भरण पोषण कानून लागू किया जाएगा। बुजुर्गो ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस तरह के कानून को लागू करना चाहिए ताकि उम्र के अंतिम पडाव पर बुजुर्ग लोग इस तरह की दुर्दशा से बच सकें।
——————————-वरिष्ठ नागरिक समाज के पूर्व महासचिव हरिश्चंद गुप्ता ने ’कानून रिव्यू’ को बताया कि भारत में असम राज्य की सरकार ने पहली बार इस तरह का ऐतिहासिक कानून पारित किया जो पूरी तरह से बुजुर्ग लोगों के लिए एक रामबाण का काम करेगा। अक्सर देखा जाता है कि जब माता पिता उम्र के अंतिम पडाव पर पहुंच जाते हैं और इस समय उन्हें सबसे अधिक सहारे की जरूरत होती है उनकी संताने या उत्तराधिकारी देखभाल करने से कन्नी काटने लगते हैं कई लोग तो ऐसे होते हैं जो बुजुर्ग मां बाप को वृद्धाश्रम तक में छोड देते है। उन्होंने कहा कि असम सरकार बधाई की पात्र है। वर्ष 2007 में माता पिता एव वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम केंद्र में पारित किया गया था। उत्तर प्रदेश में यह कानून अभी तक लागू नही किया गया है जब कि राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश समेत कई राज्य सरकारों ने इस कानून को लागू कर बुजुर्गो के हितों पर काम करना शुरू कर दिया है। वर्ष 2012 में जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी इस कानून को लागू करने की बात कही गई थी किंतु आज तक कानून लागू नही हो पाया है। असम राज्य की सरकार ने बुजुर्गो की देखभाल न करने पर 10 प्रतिशत सैलरी काटे जाने का कानून का पारित कर एक नया उदाहरण पेश किया है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर माता पिता भरण पोषण कानून लागू किए जाने की मांग की जाएगी।
——————————– धमार्थ जनसेवा समिति वैलाना के अध्यक्ष ठाकुर भूपेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि असम सरकार का यह कानून एक तरह से ब्रहमास्त्र का काम करेगा। जो मां बाप बच्चों के पालन पोषण, पढाने लिखाने और नए मुकाम पर पहुंचानें में अपना सर्वस्व लुटा देते हैं जब उम्र के अंतिम पडाव पर होते हैं तो वहीं उनकी संताने अनदेखी करने लग जाती हैं। ऐसी संताने अपने बुजुर्ग माता पिता को सहारा नही देती हैं और यहा तक की उन्हें वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया जाता है उम्र का यह वक्त समसे अधिक कष्टदायक होता है। उन्होंने कहा कि यह कानून पूरे देश में होना चाहिए। जेवर क्षेत्र के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह से मांग की गई है कि वे उत्तर प्रदेश की विधानसभा में इस मुद्दे को उठा कर इस कानून को लागू करवाएं।
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