कोर्ट रूम में कानून के छात्र, पत्रकार और याचिकाकर्ता को सुनने में काफी तकलीफ होती है
लॉ इंटर्न और वकीलों ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
…………………………………………………..सुप्रीम कोर्ट में जज माइक का इस्तेमाल नही करते हैं। लॉ इंटर्न और वकीलों ने इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर की है। सूत्रों की माने तो आरटीआई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक करीब 91ण्96 लाख रुपये की रकम से सुप्रीम कोर्ट में माइक्रोफोन सिस्टम खरीदी गयी थी लेकिन न्यायधीश इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं जिससे याचिकाकर्ता और लॉ इंटर्न को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।् गौरतलब है कि कोर्ट रूम में जजों द्वारा माइक्रोफोन का उपयोग नहीं करने का मामला पहले भी उठता रहा है। कोर्ट रूम में कानून के छात्र, पत्रकार और याचिकाकर्ता को सुनने में काफी तकलीफ होती है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में एडिशनल रजिस्ट्रार व सूचना पदाधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 91ण्96 लाख के रकम से माइक खरीदे गए हैं। यह माइक्रोफोन सिस्टम कोर्ट रूम का एक बेहद जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर में आता है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका कानून के छात्र कुलदीप अग्रवाल व वकील कुमार सानू और पारस जैन ने दायर की है। जनहित याचिका दायर करने वाले इस समूह द्वारा इससे पहले भी जनहित याचिका दायर कर चुका है। याचिका दायर करने वाले सूमह ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर भी माइक्रोफोन के इस्तेमाल के लिए अपील की है। पत्र में यह भी कहा गया है कि लॉ इंटर्न के लिए इस तरह की दिक्कतें बैचेन करने वाला माहौल पैदा करती हैं। शुरूआत में यह समझा गया कि यह दिक्कत सिर्फ लॉ इंटर्न तक सीमित है, लेकिन बाद में इस बात की जानकारी मिली कि माइक्रोफोन के इस्तेमाल नहीं होने से याचिकाकर्ता को भी दिक्कत होती है। चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि जब कोर्ट रूम में भीड़ होती है तब भी जज माइक का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इससे पत्रकारों को रिपोर्टिंग में गलत व भ्रामक कवरेज के खतरे बढ़ जाते हैं। भविष्य में भ्रमित कवरेज से कोर्ट की अवमानना का खतरा भी बन सकता है।