अरूण राणा/नई दिल्ली
माओवादियों से कथित संबंधों के कारण सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा नवंबर 2019 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए दो छात्रों में से एक छात्र ताहा फैसल की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें ताहा फैसल की जमानत रद्द कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दायर वह याचिका भी खारिज कर दी, जिसमें दूसरे आरोपी अल्लान शोएब की जमानत मंजूर करने का निचली अदालत का आदेश बरकरार रखने संबंधी केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले में गिरफ्तार दूसरे छात्र शोएब की कम उम्र और उसके स्वास्थ्य के मद्देनजर उसकी जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। ताहा फैसल और शोएब क्रमशः पत्रकारिता और कानून के छात्र हैं। वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की शाखा समिति के सदस्य थे। उन्हें दो नवम्बर 2019 को कोझिकोड से गिरफ्तार किया गया था। वाम शासित राज्य में उनकी गिरफ्तारी की व्यापक आलोचना हुई थी। पुलिस ने उनके पास से कथित तौर पर आपत्तिजनक लिखित एवं छपी हुई सामग्री जब्त की थी। माओवादियों से कथित संबंधों के कारण केरल में माकपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।