वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा के पूर्व महासचिव व पूर्व संयुक्त कृषि निदेशक प्रसार हरिश्चंद गुप्ता की ’कानून रिव्यू’ की खास बातचीत
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मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
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सार संक्षेपः-
————– मां बाप की देखभाल न करने वाले नौकरी पेशा लोगों की खैर नही है। यदि मां बाप की अनदेखी की तो फिर कानून का डंडा आप पर ही नही बल्कि सैलरी पर भी चल जाएगा। ऐसा ऐतिहासिक कानून भारत में असम राज्य की सरकार ने पारित किया है। असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने ऐतिहासिक कानून बनाया है जिसके तहत बुजुर्ग मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से भागने वाले सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। पहली बार किसी सरकार ने बुजुर्गों के हितों के लिए इस तरह का कानून बनाया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। कानून के मुताबिक अगर राज्य सरकार का कोई कर्मचारी अपने माता-पिता की जिम्मेदारी उठाने से भागता है तो सरकार उसकी सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा काट लेगी और उसे मां-बाप के खाते में ट्रांसफर कर देगी। अगर कर्मचारी का कोई भाई या बहन दिव्यांग है तो उसकी सैलरी से 5 प्रतिशत अतिरिक्त कटौती होगी। असम सरकार द्वारा सैलरी काटे जाने का ऐतिहासिक कानून पारित करने पर अब यहां के लोगों को भी उम्मीद जगी है कि माता पिता भरण पोषण कानून लागू किया जाएगा। बुजुर्गो ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस तरह के कानून को लागू करना चाहिए ताकि उम्र के अंतिम पडाव पर बुजुर्ग लोग इस तरह की दुर्दशा से बच सकें। वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा के पूर्व महासचिव हरिश्चंद गुप्ता से माता पिता एव वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम 2007 के मुद्दे पर ’कानून रिव्यू’ ने खास बातचीत है आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंशः-
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जीवन परिचयः-
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नामः-हरिश्चंद गुप्ता
जन्म तिथिः– 21-10-1943
मूल स्थानः– गांव सैद नंगली, जिला- ज्योतिबाफुलेनगर, उत्तर प्रदेश
वर्तमान पताः– सी-197 बीटा वन, ग्रेटर नोएडा
शिक्षाः-3 वर्षीय डिप्लोमा पॉलीटेक्निक मैकेनिकल इंजिनियर
पदः-सामाजिक कार्यकता/काउंसलिंग मैंबर- वोमेन सेल गौतमबुद्धनगर
पूर्व तैनातीः-पूर्व अध्यक्ष वैलकम एज सोसायटी ग्रेटर नोएडा
-पूर्व महासचिव- वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा
सरकारी सेवाः-पूर्व संयुक्त कृषि निदेशक प्रसार, लखनउ- उत्तर प्रदेश
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- ……… उम्र के अंतिम पडाव पर अक्सर बुजुर्गो की अनदेखी की जाती है, प्रमुख समस्याएं क्या हैं?
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— बुजुर्ग समाज के मार्गदर्शक होते हैं किंतु इस उम्र में उन्हें जरूरी जानकारी न मिलने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पडता है। उदाहरण के तौर पर बीमारी जैसे हड्डियों में दर्द रहता है कहां दिखाना है, कौन सा डॉक्टर है जो उनकी इस बीमारी का निदान कर सकता है। इस तरह की ढेरों समस्याएं है। परिवार से संबंधित मामले भी होते हैं कई बार देखा जाता है बहू ने थाना या चौकी में शिकायत दे दी और पुलिस बुजुर्ग को तंग करना शुरू कर देती है।
- ……….. आदर्श परिवार में बुजुर्ग का सम्मान होता था और उन्हें पूजनीय माना जाता था किंतु अब ऐसा क्या हो गया कि बुजुर्ग ही बोझ लगने लगते हैं?
- — भारतीय सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवार की प्रथा चली आ रही है जो अब टूटने लगी है और अब एकल परिवार बन कर रह गए हैं। एकल परिवार में वो सब कुछ नही रहा। एकल परिवार बनने का कारण आधुनिक समाज यानी संस्कृति और सभ्यता मेंं निरंतर बदलाव आना है। नौकरी पेशी पति पत्नी माता पिता बोझ मानने लगते हैं। जब कि संयुक्त परिवार एक आर्दश परिवार हआ करता था परिवार के सदस्यांं के बीच मनमुटाव हो भी जाता था तो बडे बुजुर्ग समझा बुझा कर मामले को खत्म कर दिया करते थे मगर आज के इस युग में मामला सीधा थाना, चौकी और कोर्ट तक पहुंचता है।
- ……… देश की जनसंख्या में बुजुर्गो का अनुपात क्या है?
- — भारत देश की जनसंख्या 125 करोड है जिसमें बुजुर्गो की जनसंख्या 8 से 10 प्रतिशत तक है लगभग 10 करोड 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या है।
- .…… सरकार द्वारा बुजुर्गो के लिए कल्याण के लिए योजनाएं संचालित की जा रही है क्या मानते हैं जरूरमंदों को लाभ मिल पा रहा है?
- — सरकारी योजनाएं बुजुर्गो के लिए संचालित है मगर उनका पूरा लाभ नही मिल पा रहा है। उदाहरण के तौर पर बगैर नौकरी वाले लोगो को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ सही तरीके से नही मिल पा रहा है। गांवों में ज्यादातर लोगों को पेंशन योजना की औपचारिकताएं पूर्ण करने के बारे में जानकारी नही है जिससे वे दलाल और चापलूसों के बीच घिर जाते हैं तथा उन्हें पेंशन का लाभ नही मिल पाता है। सरकार को चाहिए कि जरूरतमंदों को पेंशन का लाभ जरूर दे और ऐसे लोग जो गलत तरीके से पेंशन मंजूर करा लेते हैं पेंशन बंद कर रिकवरी की जानी चाहिए। वृद्धावस्था पेंशन की राशि कम से कम 5000 प्रतिमाह की जानी चाहिए क्योंकि मंहगाई के दौर में 1000-500 रुपये से कोई खर्चा नही चल सकता। जरूतरमंदों को पेंशन का लाभ दिलाने के लिए पैरवी में वरिष्ठ नागरिक पीछे नही है यदि कोई शिकायत आती है अधिकारियों से मिल कर समस्या हल कराई जाएगी।
- ………….. रोडवेज की बसों में सीनियर सिटीजन को लाभ मिल पा रहा है?
- —- कुछ राज्य सरकारो ने रोडवेज की बसों के किराए में वरिष्ठ नागरिकों को छूट दे दी है मगर उत्तर प्रदेश में भी ऐसा हो वरिष्ठ नागरिक समाज ने सरकार से मांग की है कि यहां की रोडवेज बसों के किराए में कम से कम 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जानी चाहिए।
- .…….. ग्रेटर नोएडा हाईटेक शहर है यहां बुजुर्गो की समस्याएं भी है कोई वृद्धाश्रम है क्या?
- — नोएडा शहर मे तो वृद्धाश्रम हैं, ग्रेटर नोएडा में नही हैं और बुजुर्गो की समस्याएं भी काफी हैं यदि ग्रेटर नोएडा औ़द्योगिक विकास प्राधिकरण वृद्वाश्रम के लिए निशुल्क रूप से भूमि उपलब्ध करा दे ंतो वरिष्ठ नागरिक समाज के लोग वृद्धाश्रम संचालित करा देंगे। नियम के अनुसार नगर निगम या नगर पालिकाएं ही वृद्धाश्रम का संचालन करती है किंतु यहां इस शहर में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपनी इस जिम्मेदारी से मुंह मोड रहा है।
- …….. असम सरकार ने बुजुर्गो की अनदेखी किए जाने पर नौकरी पेशा लोगों की 10 प्रतिशत सैलरी काट खातों में भेजे जाने का कानून पारित किया है किस रूप में लेते है?
- — असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने ऐतिहासिक कानून बनाया है जिसके तहत बुजुर्ग मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से भागने वाले सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। पहली बार किसी सरकार ने बुजुर्गों के हितों के लिए इस तरह का कानून बनाया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो गया जाएगा। असम सरकार बधाई की पात्र है और वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा, सरकार की सरहना करता है।
- ………. उत्तर प्रदेश सरकार से क्या उम्मीद है यहां भी इस तरह का कानून लागू किया जाना चाहिए
- — बिल्कुल,भारत सरकार, वर्ष 2007 में माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम-2007 परित कर चुकी है। इस कानून में बुजुर्गो को संरक्षण दिए जाने के सभी प्रावधान शामिल हैं। किंतु उत्तर प्रदेश सरकार इस कानून को अभी तक लागू नही कर पाई है। जब कि बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और हाल में असम राज्य की सरकार ने इस कानून को लागू कर दिया है।
- ……… उत्तर प्रदेश में माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम-2007 कानून लागू करवाने के लिए वरिष्ठ नागरिक समाज क्या पहल कर रहा है?
- — उत्तर प्रदेश में इस कानून को लागू करवाने के लिए वरिष्ठ नागरिक समाज पहले से ही प्रयासरत है। वर्ष 2007 से इस कानून को लागू करवाने के लिए पत्र भेजे गए हैं। वर्ष 2012 में जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी इस कानून को लागू करने की बात कही गई थी किंतु आज तक कानून लागू नही हो पाया है। असम सरकार ने 10 प्रतिशत सैलरी काटे जाने का कानून पारित किया है। उम्मीद बंधी है कि उत्तर प्रदेश में भी इस तरह का कानून लागू हो जाएगा। इसलिए अब उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर माता पिता भरण पोषण कानून लागू किए जाने की मांग की जा रही है। जनप्रतिनिधयों को पत्र लिख कर मांग की गई है कि सदन में इस तरह का कानून पारित कराएं। जेवर क्षेत्र के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने उम्मीद बंधाई है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात कर वरिष्ठ नागरिक समाज की यह मांग रखी जाएगी और कानून बनवाया जाएगा।
- .……………जिला स्तर पर बुजुर्गो की समस्याएं हल करने के लिए कोई विभाग होना चाहिए?
- —— माता पिता भरण पोषण कानून में यह सब प्रावधान है। जिला स्तर पर बुजुर्गो की समस्याओं के लिए एक सेल अलग से बनाई जानी चाहिए जहां काउसिंलिग के जरिए मामलों को निपटाया जा सके। वर्ष 2014 में एक अधिसूचना जारी हुई थी जिसमें निर्देश दिए गए थे कि डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी जिसकी बैठक हर महीने हुआ करेगी जब कि प्रांतीय स्तर पर हर 3 महीने पर बैठक होगी। कमेटी का सचिव जिला समाज कल्याण अधिकारी होंगे। अधिसूचना के क्रम में अनुपालन कितना हुआ इस संबंध में सरकार को पत्र भी लिखा किंतु आज तक पत्र का कोई उत्तर तक नही मिला है।
- ………….. वरिष्ठ नागरिक समाज की कोई भावी योजना है?
- —— हां बिल्कुल है, वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा में ऐसे लोगों की सख्या ज्यादा है जो विभिन्न सेवा क्षेत्रों से रिटायर्ड और स्वस्थ हैं। ये लोग सरकार को अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार है। ऐसे विभाग जंहा कर्मचारियों की कमी से काम बाधित हो रहे हैं सेवाएं ली जा सकती हैं काउंसिलिंग, मॉनीटरिंग और जांच जैसे कार्यो में लगाया जा सकता है। स्वंय वह आज भी महिला सेल में काउंसिलिंग के लिए जाते है प्रत्येक गुरुवार को एसएसपी कार्यालय सूरजपुर में काउसिलिंग कर मामलों को निपटाया जाता है। इसके अलावा बिसरख ब्लाक में ग्राम पंचायत के प्रशिक्षण और जांच जैसे कार्यो में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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