सीजेआई बोबडे ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
मानव जीवन अनमोल है और कार्यपालिका को नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दे सकती है। अगर ऐसा होता है, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी और लोगों के अधिकारों को बहाल करेगी। यह टिप्पणी चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया एस0ए0 बोबडे ने ऐसे समय की है जब पूरा देश कोरोना से जंग लड रहा है और लोगांें को जरुरतमंद लोगों को भोजन, आश्रय, मनोवैज्ञानिक परामर्श और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान किया जाना बेहद जरूरी है। सीजेआई बोबडे ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लॉकडाउन के दौरान जरुरतमंद लोगों को भोजन, आश्रय, मनोवैज्ञानिक परामर्श और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए उचित निर्देश दिए हैं। सीजेआई ने कहा कि संकट के समय देश के सभी तीनों अंगों को मिलकर काम करना चाहिए। न्यायपालिका जो कुछ भी कर सकती है वह कर रही है। उन्होंने कहा कि यह कार्यपालिका पर निर्भर करता है कि वह इस स्थिति को प्रभावी ढंग से कैसे संभाल सकती है? जहां तक पैसा, राहत सामग्री और स्वयंसेवकों को तैनात करने का सवाल है। उन्होंने कहा संकट में प्राथमिकता से निपटने के लिए कार्यपालिका की प्रणाली में तेजी है। वह महामारी या किसी आपदा से बेहतर ढंग से निपट सकती है। न्याय तक लोगों की पहुंच नहीं होने की चिंताओं को दूर करते हुए सीजेआई बोबडे ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दर्ज मामलों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन 205 मामले दर्ज किए गए थे। अप्रैल में 305 मामले ई.फाइलिंग के माध्यम से दायर किए गए हैं। इस दौरानए अपराध दर में भी कमी आई है।