कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने के लिए कांग्रेस ने लामबंदी तेज कर दी है किंतु कांग्रेस को इसका समर्थन प्राप्त होता नही दिखाई दे रहा है। महाभियोग चलाने की अगुवा कांग्रेस ने करीब 25 साल पहले इसके उलट भूमिका निभाई थी। सत्तासीन रहते हुए तब कांग्रेस ने महाभियोग की कार्यवाही का विरोध किया था। लेकिन इतिहास गवाह है कि महाभियोग चलाने का कोई भी प्रस्ताव अब तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है। अगर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के पैनल की जांच के बाद प्रस्ताव संसद तक पहुंचता है तो यह पहली ऐसी घटना होगी जिसमें देश के सीजेआई को बर्खास्तगी का सामना करना पड़ेगा और उच्च न्यायालयों के जजों का चौथा ऐसा मामला होगा। महाभियोग के पिछले तीनों प्रस्ताव कांग्रेस शासन में ही लाए गए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वह महाभियोग को हथियार बनाकर जजों को डराने की कोशिश कर रहा है। जेटली ने महाभियोग को बदले की याचिका बताते हुए कहा कि इस पूरे मामले को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनता व राजनीतिक क्षेत्र में झूठे प्रचार व साजिश की पोल खोल कर रख दी है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के नही हैं दस्तखत
———————————————-महाभियोग के नोटिस पर कांग्रेस भी असहमति के स्वर सुनाई दे रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन उनके दस्तखत इस पर नहीं हैं। कांग्रेस का कहना है पूर्व पीएम
के नाते संवैधानिक मर्यादा के कारण उनके दस्तखत नहीं कराए। वहीं कुछ सदस्यों के खिलाफ कानूनी मामले चल रहे हैं। इसलिए उनके भी दस्तखत नहीं कराए। वहीं कांग्रेस नेता व पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि महाभियोग एक गंभीर मामला है। मैं चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल नहीं हूं। न्यायपालिका से हर कोई सहमत नहीं हो सकता है। यहां तक कि खुद न्यायपालिका के जज आपस में सहमत नहीं होते हैं। मुझे उम्मीद है और पूरा विश्वास भी है कि यह नहीं होगा। हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिएए जो संस्थानों को नुकसान पहुंचाता हो।
न्यायविदों की राय में राजनीतिक कदम
———————–प्रख्यात न्यायविद् सोली सोराबजी हाई कोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा, अजित कुमार सिन्हा और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने राजनीति से प्रेरित माना है। अटल सरकार में अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने के लिए यह सबसे घातक कदम है। इससे लोगों का विश्वास और आस्था न्यायपालिका से डिगने लगेगी।
कई विपक्षी दल दूर
——————नोटिस पर कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, मुस्लिम लीग के सांसदों के दस्तखत हैं। तूणमूल और द्रमुक जैसे कई अन्य विपक्षी दलों ने दूरी रखी।
25 साल में महाभियोग के सिर्फ तीन मामले चले
—————————————————देश में महाभियोग को प्रस्ताव तो कई जजों के खिलाफ लाया गया। लेकिन बीते 25 साल में सिर्फ तीन जजों पर ही इसके तहत कार्यवाही अंतिम मुकाम तक पहुंची। हालांकि किसी को भी हटाया नहीं जा सका।
जस्टिस कब क्या हुआ
वीण् रामास्वामी 1993 प्रस्ताव गिरा
सौमित्र सेन 2011 इस्तीफा दिया
पीडी दिनाकरण 2011 इस्तीफा दिया
जस्टिस लोया को कभी नहीं भूल पाएगा देशः राहुल
—————————————————————————————— कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सीबीआई कोर्ट के जस्टिस रहे बीएच लोया को देश कभी नहीं भूल पाएगा। करोड़ों लोग इसके पीछे का सच देख रहे हैं। लोया के परिवार का कहना है कि कहीं कोई उम्मीद नहीं बची। राहुल ने ट्विटर पर लिखा कि मैं उनको बताना चाहता हूं कि अभी उम्मीद है क्योंकि करोड़ों लोग सच को देख सकते हैं।
महाभियोग प्रस्ताव और उसकी प्रक्रिया
..सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों को कदाचार, अक्षमता और भ्रष्टाचार के आरोप में इस प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। यह प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा किसी में भी पेश किया जा सकता है। लोस में यह प्रस्ताव लाने के लिए 100 और रास में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी है। नोटिस को स्वीकार या खारिज करने का अधिकार लोस स्पीकर या रास सभापति को है। नोटिस मंजूर करने पर स्पीकर या सभापति तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाते हैं। कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद उस पर विचार के बाद स्पीकर या सभापति आरोपित जज को सदन में आकर पक्ष रखने का मौका देते हैं। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो सदन में बहस के बाद वोटिंग कराई जाती है। यदि संसद दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से जज को हटाने का प्रस्ताव पारित हो जाए तो उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही जज को हटाया जाता है।
आसान नही है, चीफ जस्टिस को हटाना
———————————– उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को सौंपे गए इस प्रस्ताव में विपक्ष ने प्रधान न्यायाधीश पर पांच आरोप लगाए हैं और महाभियोग शुरू करने की मांग की है। कांग्रेस सहित 7 पार्टियों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव दिया है। उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को सौंपे गए इस प्रस्ताव में विपक्ष ने प्रधान न्यायाधीश पर पांच आरोप लगाए हैं और महाभियोग शुरू करने की मांग की है। लेकिन विपक्ष के इस दांव की राह में कई रोड़े हैं। इस पूरी प्रकिया में एक खास बात यह भी है कि अगर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू भी हुई तो उसके पूरी होने से पहले ही चीफ जस्टिस का कार्यकाल पूरा हो चुका होगा, वह 2 अक्टूबर को रिटायर होंगे।