चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी के साथ रेप के प्रयास में दोषी ठहराए जाने के बाद लखनऊ की कोर्ट ने फैसला सुनाया
अमित कुमार राणा/उत्तर प्रदेश
————————————–पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को लखनऊ की कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने यह फैसला चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी के साथ रेप के प्रयास में दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाया है। सजा सुनते ही गायत्री फूट.फूटकर रोने लगा। वहीं मामले में आरोपी गायत्री के दोनों साथियों आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है। इन तीनों दोषियों को जेल से लाकर विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय के सामने पेश किया गया। गायत्री प्रसाद सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हुआ करता था।
मैं निर्दोष हूं………………………..मेरा बयान नहीं लिया गयाः गायत्री प्रजापति
——गायत्री प्रजापति ने हाथ जोड़कर मीडिया से कहा कि ये जो फैसला आया है, यह गलत है। राजनीतिक विरोधियों द्वारा साजिश की गई है। मैं निर्दोष हूं………मेरा बयान नहीं लिया गया। मेरी मांग के बाद भी नार्को टेस्ट तक नहीं कराया गया। मैं अमेठी से चुनाव न लड़ सकूं, इसलिए ये फैसला सुनाया गया है। मुझे इस सरकार ने फंसाया है। मुझे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है। हम बाइज्जत बरी होंगे। मैं हिंदुस्तान की जनता से अपील करता हूं कि मुझे इंसाफ दिलाए। मैं व्हील.चेयर पर चल रहा हूं………….इलाज तक नहीं हो रहा।
अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप का आरोप
पीड़ित महिला ने बताया था कि 2013 में चित्रकूट में गंगा आरती के कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से एक काम के सिलसिले में मिली थी। उसे उसके एक करीबी ने गायत्री से मिलवाया था। इसके बाद गायत्री प्रजापति के लखनऊ आवास पर आने.जाने लगी। उसके साथ अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप किया गया। मंत्री के डर के कारण चुप रही। मगर जब आरोपियों ने छेड़छाड़ की कोशिश की तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। 18 फरवरी 2017 को उसने केस दर्ज कराया था। नाबालिग से रेप की कोशिश में दोषियों पर पॉक्सो एक्ट भी लगा था। पॉक्सो एक्ट में अधिकतम सजा के लिए उम्र कैद या मृत्यु दंड का प्रावधान है। गायत्री प्रजापति 15 मार्च 2017 से जेल में ही था।
कोर्ट ने बयान बदलने पर पीड़िता के खिलाफ भी दिए जांच के आदेश
10 नवंबर को जब गायत्री प्रजापति को दोषी ठहराया तो कोर्ट ने पीड़िता को भी कटघरे में खड़ा किया। बार.बार बयान बदलने के कारण कोर्ट ने पीड़िता और उनके पक्ष के गवाह राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा था कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार.बार बयान बदले गए। इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराए। वहीं,इस केस में 4 आरोपियों चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने निर्दोष माना था।
समझिए कब क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर गायत्री प्रजापति समेत 7 अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 में गायत्री के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। 18 फरवरी 2017 को थाना गौतमपल्ली लखनऊ में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इस दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। गायत्री 15 मार्च 2017 से जेल में रहा। 18 जुलाई 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए और बाद में सुनवाई विशेष अदालत को सौंप दी गई। अखिर 12 नवंबर-2021 को पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को लखनऊ की कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगाया।