राज्य सरकार एडीजे कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगी
कानून रिव्यू/राजस्थान
—————————-मॉब लिंचिंग का शिकार हुए पहलू ख़ान की हत्या के मामले में अलवर ज़िला न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए 6 आरोपियों को बरी कर दिया है। विगत 1 अप्रैल 2017 में राजस्थान के अलवर ज़िले में भीड़ ने गो.तस्करी के संदेह में पहलू खान की पीट.पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए अलवर जिला न्यायालय ने बरी कर दिया है। अप्रैल 2017 में दिल्ली और जयपुर के बीच मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहलू खान को पीटा गया। मौके पर 200 लोग मौजूद थे। उससे मारपीट का बकायदा मोबाइल फोन से वीडियो भी बनाया गया। 9 लोगों में से तीन नाबालिग को भी आरोपी बनाया गया। तमाम गवाह, वीडियो और बाकी सबूत अदालत में पेश किए गए, लेकिन अदालत ने 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।
अलवर जिले की अपर सेशन न्यायाधीश डॉ सरिता स्वामी ने 92 पेज के अपने फैसले में पुलिस की घटिया जांच को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि आरोपियों का नाम प्रारंभिक प्राथमिकी में या पहलू खान के मरने से पहले दिए बयान में नहीं था। इन नामों को दो साल बाद जोड़ा गया था, जिससे संदेह बढ़ जाता है। आरोपियों की शिनाख्त नहीं कराई गई अदालत ने कहा कि पुलिस और अभियोजन के लिए अभियुक्तों की गवाहों द्वारा पहचान कराना अनिवार्य था। ऐसी परिस्थितियों में जब आरोपी जेल में थे तो शिनाख्त परेड के रूप में ये पहचान नहीं कराई गई और न ही अदालत में ये किया गया। मोबाइल से बना घटना का वीडियो घटना का एक बड़ा साक्ष्य घटना का वीडियो था। यहां अदालत ने पुलिस को गंभीर खामियों के साथ जांच के लिए फटकार लगाई। जिस फोन पर यह वीडियो शूट किया गया था, जिसमें पहलू को घसीटे जाने और पीटते हुए दिखाया गया था, उसे पुलिस द्वारा कभी जब्त नहीं किया गया था और इसे कभी अदालत में पेश नहीं किया गया। जिस गवाह रवींद्र सिंह ने वीडियो पुलिस को दिया था, उसके बयान अभियोजन पक्ष से मेल नहीं खाते थे ; वो मुकर गया था। अदालत ने पुलिस द्वारा मरने से पहले पहलू खान के बयान दर्ज करने पर भी सवाल उठाया गया है।
अदालत ने कहा कि बयान दर्ज करने से पहले पुलिस ने डॉक्टरों से ये प्रमाण पत्र नहीं लिया कि वो अपने बयान दर्ज करने के लिए एक उपयुक्त स्थिति में था। मामले में इलाज करने वाले डॉक्टरों का बयान और पोस्टमार्टम भी विरोधाभासी हैं। इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि पहलू की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत का कारण गंभीर आंतरिक चोट और मारपीट है। मामले की जांच में गंभीर खामियों पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि इससे संदेह पैदा होता है और इसका लाभ आरोपी को दिया जाता है। अदालत ने कहा कि किसी घटना के पहले संस्करण में सच्चाई की गुठली होती है, अगर मामले की तथ्यात्मक बुनियाद में बदलाव होता है तो अदालत को सतर्क होना चाहिए और सबूतों की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए। इस मामले की जांच 2017 में वसुंधरा राजे सरकार द्वारा दी गई थी जिसने मरने से पहले पहलू खान द्वारा बताए गए छह लोगों को छोड़ दिया था। पुलिस का कहना था कि ये लोग अपराध के समय उपस्थित नहीं थे और उनकी मोबाइल लोकेशन तीन किलोमीटर दूर एक गौ शाला में पहलू से जब्त की गई गायों के साथ मौजूद होना दिखा रही थी। गौरतलब है कि हरियाणा के नूंह मेवात ज़िला निवासी पहलू ख़ान जयपुर से दो गाय खरीद कर अपने घर ले जा रहा था। शाम करीब सात बजे बहरोड़ पुलिया से आगे निकलने पर भीड़ ने पिकअप गाड़ी को रुकवा कर पहलू ख़ान और उनके बेटों के साथ मारपीट की । इलाज के दौरान पहलू खान की अस्पताल में मौत हो गई । पहलू ख़ान की हत्या के मामले में 8 आरोपी पकड़े गए, जिनमें दो नाबालिग थे। नाबालिग आरोपियों की सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में हो रही है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों की शिनाख्त परेड जेल में नहीं कराई गई है। ऐसे में गवाहों पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा पहलू खान का बेटा कोर्ट में भी आरोपियों की पहचान नहीं कर सका। निचली अदालत के इस फैसले को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। राज्य सरकार जल्द ही फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगी। पहलू खान मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ अगस्त 2019 के पहले सप्ताह में कानून लागू किया है। हम पहलू खान के परिवार को न्याय दिलाने के प्रति कमिटेड हैं। राज्य सरकार एडीजे कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।