• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

logo kanoonreview

  • Home
  • About Us
  • Our Team
    • Editorial
    • Reporters
  • News
  • Crime News
  • Legal News
  • English Articles
  • Hindi Articles
  • Contact Us

 मोदी सरकार की 140 साल पुराने कानून को खत्म करने की तैयारी

08.11.2017 By Editor

नाट्य प्रदर्शन अधिनियम 1876 में कहा गया है कि जब कभी राज्य सरकार की यह राय हो कि किसी सार्वजनिक स्थान में प्रदर्शित खेल, नाटक, मूक अभिनय सरकार के प्रति नफरत पैदा करता है या ऐसा होनी की अशंका हो और प्रदर्शन में उपस्थित व्यक्तियों के भ्रष्ट होने की अशंका हो तो राज्य सरकार या उसकी ओर से नामित मजिस्ट्रेट उस प्रदर्शन को आदेश द्वारा निषिद्ध कर सकेगा। ब्रिटिश  शासनकाल में प्रदर्शित ऐसे ही नाटकों की सूची में  चक्र, दर्पण, और गायकवाड का प्रमुख स्थान हैं।  इन नाटकों पर मानहानिकारक राजद्रोहात्मक बताकर प्रतिबंध लगाया गया था।

तीन साल में 1200 कानून समाप्त कर चुकी है केंद्र सरकार

 

  • कानून रिव्यू/नई दिल्ली

……………………………..नरेंद्र मोदी सरकार ने अब 140 साल पुराने कानून को खत्म किए जाने की तैयारी शुरू कर दी है। आजादी से पहले देश में लोक नाटक और कलाओं मंचन का प्रचलन था। उस वक्त इनकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटिश सरकार मे इनके मंचन पर रोक लगाने के लिए राजद्रोह और मानहानिकारक कानून बनाया था। इस कानून को देश में आए 140 साल हो गए है।

गौरतलब है कि ये कानून 1876 में अमल में आया था। केंद्र सरकार पुराने एंव अप्रचलित कानून को समाप्त करने की श्रृंखला में इस कानून को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ रही है।

स्वतंत्रता संग्राम के समय आजादी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए इन नाटको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पोवाडा, तमाशा,कीर्तन जैसे लोक माध्यमों में संगीत एंव नृत्य का समावेश करके लोगों के बीच आजादी का संदेश पहुंचाया जाता था।  

गिरीश चंद्र घोष ने सिराज उद दौला, और मीर कासिम नाटकीय श्रृंखला लिखी थी जो अंग्रेजी शासनकाल के दमन चक्र को दर्शाती थी। अंग्रेजों ने इन सीरीज पर रोक लगा दी गई थी। इन नाटकों में भी मृणालिनी, छत्रपति  शिवाजी, कारगार जैसे नाटक प्रमुख है।  

 

इन नाटको पर भी लग गया था प्रतिबंध

—————————————बंगाल के महत्वपूर्ण नाटक नील दर्पण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इससे दीन बंधु मित्रा ने लिखा था। इस नाटक को कोलकाता स्थित नेशनल थियेटर ने पेश किया था। इसका अंग्रेजी अनुवाद लांग जेंम्स ने किया है।

 

राष्ट्रवाद की भावना वाले नाटक

——————————-साल 1870 के बाद देश में राष्ट्रवाद की भावना अभिव्यक्ति करने वाले कई नाटक आए थे । इन नाटकों ने अंग्रेजों के शासन काल के दमन चक्र को प्रतिबिंबित किया था। इसका असर लोगों की राय पर भी देखने को मिला था। इसके बाद 16 दिसंबर 1876 में ये कानून आया था। इसका प्रारूप थामस बोरिंग ने तैयार किया था। देश की आजादी के 70 साल पूरे होने के बाद भी ये कानून देश में मौजूद है।

कब कानून को समाप्त करने का प्रस्ताव आया

——————————————–सरकार ने संसद के 2017 के मानसून सत्र में निरसन और संशोधन का दूसरा विधेयक पेश किया था । इस विधेयक के जरिए 131 पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया था

 

क्या कहता है 1876 का अधिनियम

———————————–नाट्य प्रदर्शन अधिनियम 1876 में कहा गया है कि जब कभी राज्य सरकार की यह राय हो कि किसी सार्वजनिक स्थान में प्रदर्शित खेल, नाटक, मूक अभिनय सरकार के प्रति नफरत पैदा करता है या ऐसा होनी की अशंका हो और प्रदर्शन में उपस्थित व्यक्तियों के भ्रष्ट होने की अशंका हो तो राज्य सरकार या उसकी ओर से नामित मजिस्ट्रेट उस प्रदर्शन को आदेश द्वारा निषिद्ध कर सकेगा। ब्रिटिश  शासनकाल में प्रदर्शित ऐसे ही नाटकों की सूची में  चक्र, दर्पण, और गायकवाड का प्रमुख स्थान हैं।  इन नाटकों पर मानहानिकारक राजद्रोहात्मक बताकर प्रतिबंध लगाया गया था।

 

Filed Under: News

Primary Sidebar

Go to Youtube!
Kanoon Review
Go to Hotel Twin Towers

RSS Our Latest Youtube Videos

  • सचिन पायलट अच्छे नेता हैं। #news #yt #ytshorts #bjp #rajasthan #sachinpilot 01.12.2023
  • बहुत सुंदर जागरूकता #news #yt #ytshorts #trending #amitrana #viral 26.11.2023
  • वोटिंग के रुझान आना शुरू #news #rajasthan #bjp #congress #yt #ytshorts #election 25.11.2023
  • वर्ल्ड कप फाइनल का बदला आज के मैच में टीम इंडिया ने कंगारुओं के छुड़ाए छक्के । #india #ytshorts #yt 23.11.2023
  • छाता तहसील के अंतर्गत ग्राम धानौता में बिजली विभाग की लापरवाही के कारण लाइनमैन की करंट लगने से मौत 03.11.2023

Copyright © 2023 Managed By : Layerwire