अजान पर रोक को लेकर सांसद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की
सांसद ने कहा है कि चूंकि यह रमजान का महीना है और हर किसी ने अपने घर से ही नमाज पढ़ने का निर्णय किया है, अजान आवश्यक है क्योंकि यह लोगों को नमाज के वक्त के बारे में बताती है, विशेषकर सहरी और इफ्तार के बारे में। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की है, पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। हर व्यक्ति किसी मौखिक आदेश की बात कर रहा है लेकिन इस बारे में कोई खुलासा नहीं कर रहा है। अजान पर प्रतिबंध का लिखित आदेश कोई नहीं दिखा रहा है।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/उत्तर प्रदेश
कोरोना कहर के चलते हुए लॉकडाउन में सभी धार्मिक स्थलों पर सिर्फ 3-4 लोगों के अलावा किसी को भी पूजा या इबादत किए जाने की इजाजत नही है। इन धार्मिक स्थलों पर इन चुनिंदा लोगों में पुजारी, मौलवी, इमाम, ग्रंथी और पादरी भी सोसशल डिस्टेटिंग का पालन किए जाने की पाबंदी में बंधे हुए हैं। सरकारी सूत्रों की माने माने तो धार्मिक स्थलों पर भीड लगने के मद्देनजर यह पाबंदी लगाई गई हैं, ताकि कोरोना जैसी महामारी को हराया जा सके। साथ ही भारत जैसे विभिन्न भाषा, संस्कृति वाले देश में किसी की आस्था के साथ खिलवाड किए जाना बिल्कुल नही है। यह सभी धार्मिक संस्थान संचालित भी होते रहने चाहिए मगर भीड इकट्ठी न हो और सोसशल डिस्टेटिंग का पालन होता रहे, धर्मगुरूआेंं को पूजा या इबादत किए जाने की पूरी आजादी है। कितुं वहीं दूसरी ओर यूपी के गाजीपुर जिले में मस्जिद में अजान को लेकर एक सासंद द्वारा कोर्ट जाने का मामला प्रकाश मेंं आया है। गाजीपुर जिले में अजान पर रोक को लेकर सांसद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। उत्तर प्रदेश के सांसद अफजल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर जिले में कलेक्टर की निषेधाज्ञा का जिक्र करते हुए अजान पर प्रतिबंध लगाने की बात का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि पूरे देश में लोग कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और मस्जिद सहित किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ लगाने की मनाही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अजान पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। याचिका में कहा गया है कि 24 अप्रैल को अचानक यह पता चला कि मस्जिदों से अजान पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने प्रतिबंध लगा दिया गया है और अगर कोई इसका उल्लंघन करता है और अजान पढ़ने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होगी। सांसद अफजाल अंसारी ने इस पत्र में कहा है कि उनके चुनाव क्षेत्र के कई लोगों ने उनसे इस कठोर कार्रवाई के बारे में पूछा और कहा कि मस्जिदों के कुछ इमामों के खिलाफ मामले अकारण दर्ज किए जा रहे हैं। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि लोगों ने प्रशासन से इस बारे में लिखित आदेश देने को जब कहा तो उनसे कहा गया कि यह आदेश जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने जारी किया है। पत्र में कहा गया है कि मेरे चुनाव क्षेत्र के लोगों ने मुझसे संपर्क किया और मुझसे इस मामले में मदद मांगी है। मैंने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की है पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। हर व्यक्ति किसी मौखिक आदेश की बात कर रहा है लेकिन इस बारे में कोई खुलासा नहीं कर रहा है। अजान पर प्रतिबंध का लिखित आदेश कोई नहीं दिखा रहा है। सांसद ने कहा है कि चूंकि यह रमजान का महीना है और हर किसी ने अपने घर से ही नमाज पढ़ने का निर्णय किया है, अजान आवश्यक है क्योंकि यह लोगों को नमाज के वक्त के बारे में बताती है, विशेषकर सहरी और इफ्तार के बारे में। इस पत्र याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि वह एक व्यक्ति से ही अजान की अनुमति दे यानी सिर्फ मोआज्ज्नि को ही इसकी अनुमति दें कि वह मस्जिद से अजान दे सकें और ऐसा करके लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।