गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया की पत्नी ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉरपस याचिका दायर की
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा शनिवार को गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने उनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉरपस याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष वकील नित्या रामकृष्णन ने इस मामले को मेंशन किया और अब पीठ मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। द इंडियन एक्सप्रेस और द वायर हिंदी में काम के अनुभव वाले भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व छात्र कनौजिया ने दरअसल ट्विटर पर एक महिला के बारे में यह दावा करते हुए एक वीडियो साझा किया कि वह योगी आदित्यनाथ के साथ रिश्ते में थी और वह उनसे शादी करना चाहती थी। इस खबर को गुरुवार शाम को कनौजिया ने एक मजाकिया टिप्पणी के साथ साझा किया। यूपी पुलिस ने कनौजिया को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर दिल्ली के पश्चिम विनोद नगर स्थित उनके घर से उन्हें गिरफ्तार किया। यूपी पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत दर्ज की गई है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि कनौजिया ने अपने ट्विटर सोशल मीडिया से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास किया है। कनौजिया की पत्नी द्वारा दायर याचिका में गिरफ्तारी को अवैध और मनमाना बताया गया है। यह कहा गया है कि आपराधिक मानहानि से निपटने के लिए धारा 500 एक गैर.संज्ञेय अपराध है। आईटी अधिनियम की धारा 66 जो कपटपूर्ण तरीके से या बेईमानी से एक कंप्यूटर सिस्टम के जरिए नुकसान पहुंचाने से संबंधित है, इस मामले में लागू नहीं होती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह गिरफ्तारी डीके बसु के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किए बिना पुलिस के लोगों द्वारा सादे कपड़ों में की गई थी। इन टिप्पणियों को लेकर कनौजिया के अलावा 2 और पत्रकारों को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें न्यूज चैनल नेशन लाइव की चैनल हेड इशिका सिंह और संपादक अनुज शुक्ला शामिल हैं। इन्होंने यूपी के सीएम के साथ संबंध होने का दावा करने वाली महिला के बारे में चर्चा की थी। इस गिरफ्तारी के खिलाफ सोशल मीडिया में भारी आक्रोश पनप रहा है। एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान जारी कर इसकी निंदा की है। गिल्ड ने एक बयान में कहा कि पुलिस की कार्रवाई उच्चस्तरीय और मनमानी है और कानून के दुरुपयोग के समान है। गिल्ड इसे प्रेस की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को धमकी और प्रेस को डराने के प्रयास के रूप में देखता है।