खौफ में अपराधी राजनेता : अदालत ने 6 महीने में सुनाई 22 राजनेताओं को सजा
लखनऊ। कुछ साल पहले जक कानून को अपनी मुट्ठी में मानने की फितरत पाल चुके राजनेताओं के बुरे दिन चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपराधी राजनेताओं के विरुद्ध चलाया जा रहे सख्त अभियान के नतीजे अब सामने आने लगे हैं । इस वर्ष 30 जून तक कुल 22 राजनेता कानून के शिकंजे में फंस चुके हैं। वर्ष 2023 के 6 महीनों में प्रदेश की एमपी-एमएलए विशेष अदालतें उत्तर प्रदेश के कुल 22 राजनेताओं (वर्तमान या भूतपूर्व सांसद-विधायकों) को सजा सुना चुकी हैं। वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार ने एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में राजनेताओं के विरुद्ध चल रहे मुकदमों की प्रभावी पैरवी शुरू कर दी है और अब तक 22 राजनेताओं समेत कुल 65 आरोपितों को सजा सुनाई जा चुकी है। न्यायालय ने इन बाहुबली राजनेताओं को विभिन्न अपराधों का दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनाई है। इन मुकदमों में हत्या, गैंगेस्टर एक्ट, बाहुबल से चुनाव जीतने से लेकर सरकारी जमीन पर कब्जा करना और भडकाऊ भाषण जैसे मामले भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के एमपी-एमएलए विशेष न्यायालयों द्वारा जिन प्रमुख नेताओं को सजा सुनाई गई है, उनमें माफिया मुख्तार अंसारी, उसका भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, पूर्व सांसद रमाकांत यादव, सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान तथा बसपा के पूर्व मंत्री रामेंद्र सिंह उर्फ बादशाह सिंह जैसे दिग्गज बाहुबली राजनेता शामिल हैं। चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन कभी एक बहुत मामूली सी घटना मानी जाती थी। लेकिन प्रदेश सरकार के सख्त रवैया और प्रभावी पैरवी के चलते मोहम्मद आजम खान जैसे दिग्गज नेता भी चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में सलाखों के पीछे जा चुके हैं। एमपी एमएलए कोर्ट में अभियोजन की सक्रियता का ताजा उदाहरण बसपा के पूर्व मंत्री रामेंद्र सिंह उर्फ बादशाह सिंह को विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में सजा दी गई है। महोबा में सरकारी जमीन पर कब्जा करके और विधायक निधि का दुरुपयोग करके अपने पिता के नाम से डिग्री कॉलेज के निर्माण के मामले में कोर्ट ने पूर्व मंत्री समेत चार आरोपितों को डेढ़ वर्ष के कारावास एवं अर्थ दंड की सजा सुनाई है। जौनपुर में वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व सांसद रमाकांत यादव के विरुद्ध मारपीट एवं जान से मारने की धमकी देने के मामले में भी रमाकांत यादव को दोषी ठहराया गया है।
डीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार का कहना है कि एमपी-एमएलए कोर्ट में प्रभावी पैरवी के साथ ही गवाहों की शत-प्रतिशत उपस्थित सुनिश्चित कराने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। पिछले साल (वर्ष 2022) में भी एमपी-एमएलए कोर्ट ने कुल 292 मुकदमों का निस्तारण किया था, इनमें से 46 मामलों में आरोपियों को सजा सुनाई गई थी।