सियासी दल बताएं, क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया?
कुल 542 सांसदों में से 233 यानि 43 फीसदी सांसदों के खिलाफ हैं, आपराधिक मुकदमे लंबित
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। यदि आंकडों पर गौर करें तो पता चलता है कि इस बार संसद में 43 फीसदी सांसद दागी हैं। कुल 542 सांसदों में से 233 यानि 43 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हलफनामों के हिसाब से 159 यानि 29 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर मामले लंबित है। दल विशेष की बात करें तों भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। जब कि कांग्रेसी सांसद कुरियाकोस पर 204 मुकदमे हैं। 204 लंबित मामलों वाले केरल से नवनिर्वाचित कांग्रेसी सांसद डीन कुरियाकोस सूची में प्रथम पर हैं। कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हुए हैं। सत्तारूढ़ राजद के घटक दल लोजपा के सभी 6 निर्वाचित सदस्यों, बसपा के आधे 10 में से 5, जदयू के 16 में से 13, तृणमूल कांग्रेस के 22 में से 9 और माकपा के 3 में 2 दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है। बिहार और बंगाल के सबसे ज्यादा सांसदों पर आपराधिक मामले हैं। केरल से निर्वाचित 90 फीसदी, बिहार से 82 फीसदी, पश्चिम बंगाल से 55 फीसदी, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत सांसदों पर केस लंबित हैं। वहीं सबसे कम 9 प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं। जब कि 16 वीं लोकसभा में 34 प्रतिशत दागी सांसद थे। 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 यानी 34 प्रतिशत थी। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अब सभी राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि उसे अपने उम्मीदवारों के आधिकारिक मामलों का रिकॉर्ड अपने वेबसाइट पर दिखाना होगा। साथ ही यब भी आदेश जारी किया कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को वो टिकट क्यों दे रहे हैं,इसकी वजह भी बतानी होगी और जानकारी वेबसाइट पर देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सियासी दलों को वेबसाइट, न्यूजपेपर और सोशल मीडिया पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए। सुप्रीम कोर्ट ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया। उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था।