मेरठ बार एसोसिएशन चुनाव-2018
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू, मेरठ
————————————————-मेरठ बार एसोसिएशन का चुनाव गत 27 अप्रैल 2018 को संपन्न हो गया है। हर बार की तरह इस बार भी बार कार्यकारणी का चुनाव पैनल यानी खेमों के बीच लडा गया। जिनमें बार अध्यक्ष पद के लिए अजय त्यागी, राजेंद्र सिंह जानी के बीच चुनावी घामासान देखा गया। राजेंद्र सिंह जानी ने कुल 1265 मत प्राप्त कर बार अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा जमा लिया है। जब कि महामंत्री पद पर राजेंद्र जानी के पैनल से देवकीनंदन शर्मा ने 1237 मत प्राप्त कर जीत का सेहरा पहन लिया है। चुनाव समिति के आरएच अंसारी, जगदीश गिरी, नगेन्द्र यादव ने बताया कि बार अध्यक्ष पद के लिए राजेंद्र सिंह जानी ने 1265 मत और महामंत्री पद के लिए देवकीनंदन शर्मा ने 1237 मत प्राप्त कर जीत दर्ज कर ली है। इसी प्रकार वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए अजय गुप्ता ने 1144 मत, उपाध्यक्ष पद के लिए मनोज गुप्ता ने 1177 मत प्राप्त कर अपने प्रतिद्वंधियों को करारी मात दी है। कोषाध्यक्ष पद के लिए नीरज कुमार ने 855 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की है। इसी प्रकार संयुक्त सचिव प्रशासन पद के लिए मनोज कुमार ने 1292 मत, संयुक्त सचिव पुस्तकालय पद के लिए वरून गुप्ता ने 1027 मत प्राप्त और संयुक्त सचिव प्रकाशन पद के लिए रजत पालीवाल ने 1400 सर्वाधिक मत प्राप्त कर जीत दर्ज कर ली है। इस प्रकार मेरठ बार कार्यकारणी चुनाव में राजेंद्र सिंह जानी पैनल ने अजय त्यागी पैनल को करारी मात दे दी है। जब कि चौ0 देवप्रकाश का तीसरा पैनल, तीसरे स्थान पर खिसक गया है। बार अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अजय त्यागी को 1118 मत और चौ0 देवप्रकाश को मात्र 49 मत प्राप्त कर संतोष करना पडा है। इसी प्रकार महामंत्री पद के प्रत्याशियों में परवेज आलम को 928, राजीव गोयल को 152, प्रशांत भारद्वाज को 79 और संजीव कुमार को मात्र 25 मत प्राप्त कर संतोष करना पडा है। बार कार्यकारणी के निर्वाचित पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट बैंच को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित कराए जाने का संकल्प व्यक्त किया है। 2019 का चुनाव नजदीक होने के कारण सभी को यह उम्मीद है कि इस मांग को यदि अच्छे से सरकार के सामने प्रस्तुत किया गया तो सरकार 2019 के चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेंच की घोषणा कर सकती है।
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हाईकोर्ट बैंच के लिए कमजोर राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया
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मेरठ बार एसोसिएशन चुनाव में हाईकोर्ट बैंच का मुद्दा ही हावी रहा
मेरठ की नई बार कार्यकारणी हाईकोर्ट बैंच मुद्दे पर संघर्ष करेगी
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हाईकोर्ट बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित किए जाने का मुद्दा एक लंबे अरसे से बना हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को न्याय प्राप्त करने के लिए करीब 700 किमी दूर चल कर इलाहाबाद जाना पडता है। जब कि इलाहाबाद से चंद कदम की दूरी पर लखनउ में हाईकोर्ट की बैंच है किंतु यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां बैंच की ज्यादा जरूरत है,वहां बैंच नही है। बैंच पश्चिम में स्थापित किए जाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 22 जिलों के अधिवक्ता संघर्ष कर रहे हैं। इनमें आगरा, मेरठ और मुरादाबाद के अधिवक्ताआेंं का बैंच के आंदोलन में रचनात्मक योगदान रहा है। मेरठ के अधिवक्ता इस बैंच के आंदोलन की अगुवाई करते रहे हैं। मेरठ बार एसोसिएशन का पदेन अध्यक्ष ही हाईकोर्ट बैंच संघर्ष का समिति का संयोजक अथवा अध्यक्ष होता है। इस बार मेरठ बार एसोसिएशन का चुनाव 27 अप्रैल 2018 को संपन्न हुआ। जिसमें हाईकोर्ट बैंच का मुद्दा हमेशा की तरह ही सिर चढ कर बोलता रहा। ’कानून रिव्यू’ ने जब वरिष्ठ और युवा अधिवक्ताओं से बैंच पश्चिम में स्थापित कराए जाने के मुद्दे पर बात की तो हाईकोर्ट बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित न किए जाने के पीछे मुख्य वजह यहां का कमजोर राजनीतिक नेतृत्व निकल आया। अधिवक्ता समुदाय ने इसके लिए राजनेताओं को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया।
हाईकोर्ट बैंच स्थापित न होने के पीछे कमजोर राजनीतिक नेतृत्वः अग्रवाल
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1ः-इस मुद्दे पर मेरठ बार एसोसिएशन के जो पूर्व में पांच बार, बार अध्यक्ष रहे हैं रोहिताश्व कुमार अग्रवाल ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच स्थापित न होने के पीछे यहां का कमजोर राजनीतिक नेतृत्व है। जब नेता सत्ता में नही होते हैं तो उन्हें हाईकोर्ट बैंच का मुद्दा दिखाई देता रहता और जब सत्ता मेंं आ जाते हैं तो बैंच का मुद्दा किनारे कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि सत्ता में बैठे नेता क्षेत्रवाद में सब कुछ भूल जाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेताओं के दवाब के चलते हुए सरकारें हाईकोर्ट की बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नही दे पा रही हैं अर्थात जनहित की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। जब कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेता कुछ कर ही नही पा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 23 सांसद हैं यदि ये सभी सांसद प्रधानमंत्री पर बैंच देने के लिए दवाब बनाएं तो बैंच अवश्य ही मिल सकती है। मगर इन सबमें इच्छा शक्ति का अभाव है जसवंत आयोग में भी बैंच की बात कही गई है मगर राजनीतिक नेतृत्व की वजह से सब कुछ जस तस ही रहा है। बैंच की यह मांग जनता की है और जो जनता के साथ वायदा खिलाफी करता है जनता सबक भी सिखा देती है। बैंच मेरठ में स्थापित कराने के लिए अब आंदोलन को और अधिक गति दी जाएगी, इसके लिए बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों और आम जनता में भी जनजागरण अभियान चलाया जाएगा और जब तक बैंच स्थापित नही हो जाती है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता चुप नही बैठेंगे।
बैंच की स्थापना के लिए राजनीतिक लोगों का सौतेलापन जिम्मेदारःआलम
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2ः-पूर्व संयुक्त सचिव सरताज अलाम ने बताया कि मेरठ में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए राजनीतिक लोगों का सौतेलापन जिम्मेदार रहा है। जब ये नेता विपक्ष में होते हैं तो बैंच के लिए सुर सकारात्मक होते हैं और जब सत्ता में आ जाते हैं तो सुर बदल जाते हैं। ऐसा ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया जब जब ये लोग विपक्ष में रहे तो मेरठ में हाई कोर्ट बैंच का वायदा किया और सत्ता में आए तो कह दिया कि पूरब के लोगों का दवाब ज्यादा है अभी कुछ नही कह सकते हैं, आपका गवाह, होस्टाइल हो गया है,की बात कह कर पल्ला झाड लिया।
दवाब की बात कहते हुए बैंच के मुद्दे से साफ मुकर गएः त्यागी
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3ः- पूर्व बार अध्यक्ष सुभाष चंद त्यागी ने बताया कि मेरठ बार एसोसिएशन के इस चुनाव में हर बार की तरह ही हाईकोर्ट बैंच पश्चिम में स्थापित किए जाने का मुद्दा आम रहा है। हर पैनल और प्रत्याशी ने यही बात कही है कि हाईकोर्ट बैंच स्थापित कराना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। हाईकोर्ट बैंच का मुद्दा देश की आजादी से ही चला आ रहा है। संविधान में भी यह लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति को सस्ता न्याय सुलभ हो किंतु इलाहबाद हाईकोर्ट यहां से करीब 700 किमी दूर हैं वहां जाने में ही कितना समय और धन बर्बाद हो जाता है यह किसी से छिपा नही है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंच पश्चिम में स्थापित किए जाने के लिए जसवंत आयोग बनाया जिसमें बैंच यहां लाने की बात कही गई। अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए बैंच के मामले को गंभीरता से लिया और जब सत्ता में आए तो पूरब के लोगों के दवाब की बात कहते हुए साफ मुकर गए।
केंद्र सरकार को बैंच देने के लिए बाध्य किया जाएगाः राजेंद्र सिंह जानी
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4ः- नए बार अध्यक्ष राजेंद्र सिंह जानी ने बताया कि हाईकोर्ट बैंच का मुद्दा ज्वलंत है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को न्याय प्राप्त करने के लिए 700 किमी दूर इलाहाबाद में भटकना पडता है और जहां पर धन और समय दोनों की बर्बादी होती है। हाईकोर्ट की बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित हो इसके लिए संघर्ष समिति डटकर आंदोलन करेगी और केंद्र सरकार को बैंच देने के लिए बाध्य किया जाएगा। उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि कचहरी परिसर में साफ सफाई की व्यवस्था, चैंबरों की व्यवस्था और लाईब्रेरी में पर्याप्त पुस्तकों की व्यवस्था कराई जाएगी। इसके साथ ही कचहरी में ऐसा माहौल तैयार किया जाएगा कि हडताल कम से कम हों और काम करने की अवधि ज्यादा बढे। इससे दो फायदें होंगे एक तो ऐसे नौजवान जो कानून के क्षेत्र में अभी नए आएं हैं उन्हें काम करने का मौका मिलेगा वहीं न्यायपालिका में भी मुकदमों के निस्तारण की गति बढेगी और न्याय प्राप्त करने आने वाले व्यक्ति को जल्द न्याय मिल सकेगा। साथ ही सभी अधिवक्ताओं के लिए इश्योरेंस और युवा अधिवक्ता साथियों के लिए स्टाईपेंड की व्यवस्था कराई जाएगी।
लोकसभा चुनावों से पूर्व ही केंद्र सरकार पर पूरा दवाब बनाएंगेः शर्मा
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5ः-नए बार महामंत्री देवकीनंदन शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट बैंच का मुख्य मुद्दा है। हाईकोर्ट बैंच यहां स्थापित हो जाने परयुवा अधिवक्ताओं के लिए रोजगार बढेगा और दूसरी ओर यहां के लोगों को हाईकोर्ट में जज बनने का मौका मिलेगा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व ही केंद्र सरकार पर पूरा दवाब बनाया जाएगा और उम्मीद है कि चुनावों से पूर्व ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना हो जाएगी।