’इस प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई ज़रूरत नहीं है. हम सरकार को 126 विमान खरीदने पर बाध्य नहीं कर सकते, साथ ही इस मामले के सभी पहलुओं की जांच कोर्ट की देखरेख में कराना सही नहीं होगा।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————-राफेल सौदों पर किसी जांच की जरूरत नही है और राफेल लडाकू विमानों की कीमत पर फैसला लेना अदालत का काम नही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर 2018 को सुनवाई पूरी किए जाने के दौरान की। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर शक करने की कोई वजह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ’इस प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई ज़रूरत नहीं है. हम सरकार को 126 विमान खरीदने पर बाध्य नहीं कर सकते, साथ ही इस मामले के सभी पहलुओं की जांच कोर्ट की देखरेख में कराना सही नहीं होगा।
राफेल सौदा कोर्ट तक कैसे पहुंचा
राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले वकील मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक और वकील विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था। इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी याचिका दायर की थी। इसके बाद बीजेपी के दो पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की। दरअसल राफेल कई भूमिकाएं निभाने वाला और दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है। फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकारों के स्तर पर समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी। घोषणा के बाद, विपक्ष ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के बिना कैसे इस सौदे को अंतिम रूप दिया। मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच वार्ता के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वे 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने पर सहमत हुए हैं।