हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दिए संकेत
- कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
–———————————————जीएसटी की पहुंच में अब रियल एस्टेट कारोबार भी आने वाला है। इस बात के संकेत सरकार की ओर से दिए जा चुके हैं। रियल एस्टेट सेक्टर को जल्दी ही जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। यह संकेत अरुण जेटली ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ज्यादा टैक्स चोरी वाले सेक्टरों में एक है। इसमें कैश का इस्तेमाल भी बहुत होता है। गुवाहाटी में 9 नवंबर को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इसे नए टैक्स सिस्टम में शामिल करने पर चर्चा होगी। कुछ राज्य रियल एस्टेट को जीएसटी में लाने का खिलाफ हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में टैक्स सुधारों पर हार्वर्ड महिंद्रा लेक्चर में जेटली ने कहा कि कुछ राज्य रियल एस्टेट को जीएसटी में लाने पर जोर दे रहे हैं, पर कुछ इसके खिलाफ भी हैं। व्यक्तिगत रूप से वह भी इसके फेवर में है। इससे खरीद्दारों को फायदा होगा। कालेधन की इकोनॉमी भी कम होगी। अभी बिल्डर खरीद्दार को फ्लैट बेचता है तो 18ः जीएसटी का प्रोविजन है लेकिन जमीन की कीमत पर जीएसटी नहीं लगता है। कुल कीमत में एक तिहाई जमीन की कीमत मानी गई है। यानी बाकी दो तिहाई कीमत पर ही टैक्स का कैलकुलेशन होता है। यह फ्लैट की कुल कीमत का 12ः बनता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन चार्ज भी होता है जो हर राज्य में अलग अलग है। जीएसटी में शामिल किए जाने के बाद घर खरीदने पर सिर्फ एक बार टैक्स लगेगा।
खराब मैनेजमेंट के शिकार हैं इन्फ्रा और पावर सेक्टर
- ——————————- अरुण जेटली ने कहा कि स्टील और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर खराब मैनेजमेंट का असर पड़ा है। पावर सेक्टर भी करप्शन का शिकार है। जेटली ने इस बात से इनकार किया कि प्राइवेट सेक्टर में ग्रोथ नहीं हो रही। उन्होंने बताया कि पिछली तिमाही में निवेश का ग्राफ ऊपर गया है।
बैंकिंग सेक्टर की कैपिसिटी बढ़ाने की प्लानिंग पर काम
- ——————————————————- वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार बैंकिंग सेक्टर की कैपिसिटी बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। इससे जीडीपी ग्रोथ में मदद मिलेगी। यह हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि एनपीए के कारण बैंक नए लोन देने में हिचक रहे हैं। इससे प्राइवेट सेक्टर पर असर पड़ा है। रिजर्व बैंक के मुताबिकए 2016-17 में लोन ग्रोथ 25 साल में सबसे कम थी।
बैंकों से मद्द की जरूरत है छोटी व मझोली कंपनियों को
- ——————————————————-जेटली के मुताबिक बैंक कर्ज में कमी का बड़ी कंपनियों पर असर कम हुआ है। बड़ी कंपनियां बॉन्ड मार्केट और विदेश से पैसे जुटा रही हैं। वहां उन्हें भारतीय बैंकों से कम ब्याज पर पैसे मिल रहे हैं। बैंकों से मद्द की जरूरत छोटी और मझोली कंपनियों को है। यही सेक्टर ज्यादा नौकरियां भी देता है। इसलिए सरकार इन पर फोकस कर रही है।
नोटबंदी से टैक्स देने वालों की तादाद बढ़ी
- ———————– यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए जेटली ने नोटबंदी के फायदे भी गिनाए। बोले यह एक मौलिक सुधार था। भारत को टैक्स कम्प्लायंट सोसाइटी बनाने के लिए यह जरूरी था। इससे व्यक्तिगत आयकर देने वालों की संख्या बढ़ी है। इकोनॉमी में नकदी तीन फीसदी कम हुई है। शॉर्ट टर्म में कुछ दिक्कतें जरूर रहीं लेकिन ये सुधार लॉन्ग टर्म के लिए हैं।
टैक्स कम हुआ तो रियल एस्टेट कारोबार तेजी पकड़ेगा
- ——————————————————— रियल एस्टेट जीएसटी के दायरे में आता है तो कारोबार में तेजी आएगी रोजगार के मौके बढ़ेंगे। क्रेडाई के मनोज मीक के मुताबिकए मौजूदा वक्त में बिल्डर्स को 12ः के रेट से वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट देना होता है और करीब 9ः के रेट से स्टाम्प ड्यूटी वसूली जाती है। अगर टैक्स रेट कम होगा तो इसका फायदा बिल्डर्स और कंज्यूमर्स दोनों को होगा।