ट्रेफिक मैनेजमेंट और रोड सैफ्टी के लिए एसपी यातायात अनिल झा, एसपी नोएडा अरूण कुमार, एसपी क्राइम प्रीति द्वारा सहरानीय सेवा सम्मान से सम्मानित किया
प्रत्येक व्यक्ति चाहे, जिस क्षेत्र से भी जुडा हो सुरक्षा व्यवस्था से उसका जरूर सरोकार होता है, इसलिए हर व्यक्ति से एक नया विचार निकल कर आ सकता है। इस हाईटेक शहर की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी लोगों का भी सराहनीय योगदान रहा है। गौतमबुद्धनगर की कानून व्यवस्था को चाक चौबंद और बेहतर बनाने की कडी में ’कानून रिव्यू’ ने -’कानून व्यवस्था पर एक नजर’- विशेष कॉलम शुरू किया है। इनमें एक्टिव सिटीजन टीम ने रांग साइड चलने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के उद्देश्य से कई बार जागरूता अभियान चलाया है। एक्टिव सिटीजन टीम के इस अभियान को न केवल सराहा गया है बल्कि सत्तारूढ भाजपा के जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने तो गांधीगिरी यानी गुलाब का फूल देकर चालकों को रांग साइड से बचने के लिए प्रेरित भी किया है। एक्टिव सिटीजन टीम में शहर के कई प्रबुद्ध लोग जुडे हुए हैं। जिनमें से समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी एक नाम आता है सरदार मनजीत सिंह का। सरदार मनजीत सिंह, ग्रेटर नोएडा श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। इस कडी में श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष व एक्टिव सिटीजन टीम के फांउडर मैंबर सरदार मनजीत सिंह से ’कानून रिव्यू’ ने खास बातचीत की हैं आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंशः-
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
श्री रामलीला कमेटी ग्रेटर नोएडा अध्यक्ष व एक्टिव सिटीजन टीम के फांउडर मैंबर सरदार मंजीत सिंह से ’कानून रिव्यू’ की खास बातचीत
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रांग साइड चलने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए एक्टिव सिटीजन का अभियान
जीवन परिचय
नामः–सरदार मनजीत सिंह
पिता का नामः– स्व0 सरदार गुरनाम सिंह
जन्म तिथिः– 25 दिसंबर 1966
मूल स्थानः– जगत फार्म,ग्रेटर नोएडा
शिक्षाः– बी0ए0 मेरठ यूनिवर्सिटी
पदः– अध्यक्ष श्री रामलीला कमेटी, ग्रेटर नोएडा
ः-फाउंडर मैंबर- एक्टिव सिटीजन टीम, ग्रेटर नोएडा
ः-लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराना प्रमख सेवा कार्य
पूर्व तैनातीः– पूर्व हॉकी कप्तान मेरठ यूनिवर्सिटी, मेरठ
एक्टिव सिटीजन टीम मैंबरः– आलोक सिंह, मनोज गर्ग, हरेंद्र भाटी, जेपीएस रावत, अंजू पुंडीर, सुनील प्रधान, राहुल नंबरदार, संदीप भाटी, सुभाष चंदेल उर्फ चाचा हिंदुस्तानी, मुकुल गोयल, सुमिता वैद्य दीक्षित, मनीषा शर्मा, परशूराम यादव, प्रदीप मुखिया, योगेश भाटी और आशीष शर्मा आदि हैं।
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1ः-शहर की कानून व्यवस्था को किस रूप में लेते हैं क्या पहले की अपेक्षा का्रइम का ग्राफ गिर गया है?
- …………….अपराधों का कोई ग्राफ नही गिरा है और इसके लिए पुलिस का रवैया ज्यादा जिम्मेदार है। पीडित जब थाने और चौकी जाता है पुलिस मामले को गंभीरता से नही लेती है। अंत में पीडित पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटता है तब तक अप्रिय घटना घट चुकी होती है। पुलिस यदि अपनी जिम्मेदारी समझे तो अपराध वाकई कम हो सकते हैं।
2ः- रांग साइड चलने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए एक्टिव सिटीजन टीम ने अभियान चलाया है, कितनी सफलता मिली है?
- ………. ग्रेटर नोएडा शहर में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गोल चक्कर, चौराहे, रोड व सर्विस रोड बनाए गए हैं मगर ट्रेफिक मैनेजमेंट और रोड सैफ्टी के बिंदु पर कोई काम नही किया गया है, लोग रांग साइड चलना अपनी शान समझते हैं। एक्टिव सिटीजन टीम रांग साइड चलने से बचने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। टीम के लोग व्हीकल चालकों को गांधीगिरी यानी गुलाब का फूल देकर रांग साइड न चलने के लिए समझाते हैं और इसका अच्छा खासा असर भी हो रहा है।
3ः- ग्रेटर नोएडा शहरवासी एक्टिव सिटीजन के इस अभियान को किस रूप में लेते हैं?
- …………… ग्रेटर नोएडावासी रांग साइड जागरूकता अभियान को गंभीरता से ले रहे हैं यही कारण है कि शहर के प्रबुद्ध वर्ग के लोग इस मिशन में तेजी से जुड रहे हैं। भाजपा के जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह को एकिटव सिटीजन टीम के इस अभियान से इतने प्रभावित हुए कि स्वयं उन्होंने सडक पर उतर कर रांग साइड न चलने के प्रति गांधीगिरी यानी गुलाब का फूल देकर जागरूक किया था। विधायक के इस उत्साहवर्द्धन से एक्टिव सिटीजन टीम में एक नई उर्जा का संचार हुआ है।
4ः-एक्टिव सिटीजन टीम ने ऑटो कोड के लिए काफी काम किया है और जिसका नतीजा क्या पॉजीटिव रहा है?
- ……… सपनों के इस नए शहर में ऑटो आए तो लोगों को टां्रसपोर्ट की सुविधा जरूर मिली किंतु ऑटो चालकों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से लूट और छिनैती जैसी घटनाएं भी प्रकाश में आईं। एक्टिव सिटीजन टीम ने तत्कालीन सीओ ग्रेटर नोएडा-1 आलोक प्रियदर्शी की सलाह पर ऑटो कोड अभियान चलाया। ऑटो कोड अभियान में ऑटो का रजि0, ऑटो चालक का नाम व पूरा पता, ऑटो मालिक का नाम और नाम पूरा पता आदि सारा रिकार्ड इकट्ठा किया और संबंधित ऑटो पर कोड संख्या अंकित की। ऑटो कोड का काफी पॉजीटिव असर रहा है और लोगों को खोए हुए बैग व लैपटॉप दिलवाए गए हैं।
5ः-ऑडो कोड से कितने लोगों को खोए हुए सामान वापस दिलाए गए है?
- ………. ऑटो कोड से 70 लैपटॉप,150 मोबाइल,55 बैग तथा कैश बैग दिलवाए गए हैं। ऑटो में बैठी सवारी का कोई सामान बैग, मोबाइल बैग अथवा कैश बैग अचानक छूट गया और ऑटो चालक चला गया ऐसी स्थिति में सवारी ऑटो का कोड पढ कर पुलिस को बताती है, तब पुलिस एक्टिव सिटीजन टीम से संपर्क करती है। एक्टिव सिटीजन टीम अमुक कोड के आधार पर ऑटो का रिकार्ड पुलिस को मुहैया करा देती है ऑटो तक पहुंच कर खोए सामान को जब्त कर वापस दिला दिया जाता है। एक्टिव सिटीजन टीम यही अपील करती है कि जब भी कोई व्यक्ति ऑटो में बैठे ऑटो पर अंकित रेड कलर के कोड को नोट कर लें, ताकि किसी अप्रिय घटना होने पर उनकी मद्द की जा सके।
6ः- एक्टिव सिटीजन टीम के मैंबरों को सादी वर्दी में पुलिस कहा जाता है क्या कहना है?
- ……… देखिए एक्टिव सिटीजन के लोग सेवादार के रूप में काम करते हैं। जब खोए हुए सामान को वापस दिलवा दिया जाता है सवारी के चेहरे पर राहत और संतोष के भाव पैदा होते हैं, उससे परमशांति का अनुभव होता है। एक्टिव सिटीजन टीम का मूल उद्देश्य सेवा और परोपकार ही सबसे बडा धर्म है की भावना है। इसी भावना को लेकर शहर के प्रबुद्ध वर्ग के लोग तेजी से जुड रहे हैं। सेवा और परोपकार की भावना को लेकर एक्टिव सिटीजन टीम ऑटो कोड, रांग साइड जागरूकता अभियान और बैनर पोस्टर हटाने जैसे कई तरह अभियान चला रही है।
7ः-पुलिस के लिए एक्टिव सिटीजन एक मद्दगार साबित हो रही है कोई अवार्ड दिया गया है क्या?
- ………. बिल्कुल, एक्टिव सिटीजन टीम पुलिस की मद्द करती है। जब ऑटो में खोए हुए सामान अथवा ऑटो चालकों द्वारा लूट तथा छिनैती के शिकार लोग पुलिस के पास आते हैं तो एक्टिव सिटीजन टीम पुलिस के लिए एक मित्र का कार्य करती है और ऑटो कोड के आधार पर ऑटो चालक को सर्च कर सारा रिकार्ड मुहैया करा देती है जिससे उलझा हुआ मामला बिना किसी देरी के हल हो जाता है। एक्टिव सिटीजन टीम को हाल में ही ट्रेफिक मैनेजमेंट और रोड सैफ्टी के लिए एसपी यातायात अनिल झा, एसपी नोएडा अरूण कुमार, एसपी क्राइम प्रीति द्वारा सहरानीय सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा तत्कालीन पुलिस कप्तान डा0 प्रीतेंदर सिंह द्वारा सराहनीय कार्य के लिए प्रशस्त्रि पत्र देकर सम्मानित किया गया था।
8ः-परी चौक पर पब्लिक अनाउंस सिस्टम, टीम की ओर से लगाया गया है कितना रेस्पोंस मिल पा रहा है?
- …………..परी चौक ग्रेटर नोएडा शहर का सेंट्रल प्वाइंट बन गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे जब से शुरू हुआ है दिल्ली और आगरा तक का ट्रेफिक यहां से होकर गुजरता है। अक्सर शाम के वक्त जब दफ्तरां की छुट्टी होती है परी चौक पर ट्रेफिक का दवाब बढ जाता है। ऐसे वक्त पुलिस फोर्स ट्रेफिक को व्यवस्थित करती है ताकि जाम न लगने पाए। एक्टिव सिटीजन टीम ने पुलिस की मद्द के लिए पब्लिक अनाउंस के लिए एक साउड सिस्टम दिया था जो बेहतर काम कर रहा है। पब्लिक अनाउंस सिस्टम से ट्रेफिक को डायर्वट करने में पुलिस को मद्द मिलती है।
9ः-शहर के सेक्टरों में महिलाओं से लूट और छिनैती की घटनाओं पर कुछ हद तक कमी आई है?
- ………….महिलाओं से लूट और छिनैती की घटनाओं में कोई कमी नही आई है। जब महिलाएं सेक्टरों में घर से बाजार आदि के लिए अथवा किसी जरूरी काम से निकलती है तो हमेशा यही डर बना रहता है कब और कौन कहां पर लूट जाए अथवा चैन आदि की झपटमारी हो जाए। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की गश्त 24 घंटे होना जरूरी है,जो सेक्टरों में नही की जा रही है।
10ः- जिला पुलिस की ओर से यातायात सुविधा को बेहतर बनाने के लिए 40 गरूड और शक्ति लैपर्ड उतारी गई हैं कितना असर हो रहा है?
- …………. ट्रेफिक मैनेजमेंट और रोड सैफ्टी के लिए गरूड और शक्ति लैपर्ड सडक पर उतारी गई हैं जो ग्रेटर नोएडा में कहीं भी नही दिखाई दे रही हैं, ऐसा लग रहा है कि सब कुछ फाइलों में ही चल रहा है। पुलिस कप्तान को चाहिए कि गरूड और शक्ति लैपर्ड की मॉनीटरिंग की जाए ताकि ये लैपर्ड सडक पर दिखाई दें और ट्रेफिक मैनेजमेंट और रोड सैफ्टी का काम हकीकत में दिखाई देने लग जाए।
11ः-एक्टिव सिटीजन टीम की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस को मद्द देने की क्या भावी योजना है?
- …………ऑटो कोड अभियान पुलिस अधिकारियों के सुस्त रैवये के कारण पिछले एक वर्ष से बंद पडा है और यही कारण है कि करीब 1000 नए ऑटो शहर में आ चुके हैं जिन पर ऑटो कोड अंकित नही है। घटना के बाद जब पीडित से पूछा जाता है तो पता चलता है अमुक ऑटो पर ऑटो कोड लिखा ही नही था तो कैसे नोट करते। हाल ही में एसपी ग्रामीण सुनीति से इस संबंध में एक बैठक हुई है और पुनः ऑटो कोड अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है जो शीघ्र ही चलाया जाएगा। इसके अलावा शहर के प्रत्येक गोल चक्कर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने चाहिए। कुलेसरा से कासना तक रोड के सेंट्रल वर्ज में जगह जगह अवैध कट बने हुए है और फुटओवर ब्रिज बनाने के मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण हीलहवाली बरत रहा है। इस तरह के सभी कार्यो के लिए एक्टिव सिटीजन पूरी शिद्दत के साथ संघर्ष करेगी।
12ः-लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराते है इससे आत्मसंतुष्टि मिलती है क्या?
- ………मानव शरीर निर्मित हुआ है तो अंत होना भी निश्चित है। कई बार देखा जाता है कोई लावारिस शव मिला और पुलिस इसी इंतजार में रहती है कि कहीं से कोई मद्द मिले और अमुक शव का अंतिम संस्कार किया जाए। कब, किसकी और कहां तथा किस परिस्थिति में मृत्यु हो जाए यह कोई जानता, ऐसी स्थिति में जब कि उसका कोई अपना साथ न हो। मानवता का यही मूल कर्तव्य है कि चाहे जिस विषम परिस्थिति में मृत्यु हुई हो अंतिम संस्कार हरेक का होना जरूरी है। हालांकि श्री रामलीला कमेटी ही ग्रेटर नोएडा के मोक्षधाम की देखभाल करती है किंतु ऐसे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी करवाते हैं और अब तक करीब 30 शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके है एक अंतिम संस्कार में 2000 रूपये तक का खर्चा आ जाता है जिसे वह खुद ही वहन करते हैं और इस कार्य से उन्हें बडी आत्मसंतुष्टि मिलती है।