इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस ने की दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
.महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम में 65 फीसदी तो घरेलू हिंसा में दोगुनी बढ़ोत्तरी
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
कोविड-19 जैसी महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। लाॅकडाउन में दंपत्ति और परिवार के लोग घरों के अंदर हैं। देखा जा रहा है कि संयुक्त परिवार का जहां माॅडल है वहां पर काम एक दूसरे का हाथ बटाया जा रहा है। एकल परिवार में भी पार्टनर एक दूसरे के काम में हाथ बटा रहे हैं। इसके अतिरिक्त घर पर कोई म्यूूजिक सुन कर, तो कोई सिंगिग तो कोई डंास कर समय व्यतीत कर रहे हैंै। वहीं परिवार में कलह होने की खबरें आ रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि इन घटनाओं में लॉकडाउन के दौरान वृद्धि हुई है। कई कारणों की वजह से महिलाओं को घर में इन मामलों का शिकार होना पड़ रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बच्चों के उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया गया है। यह याचिका इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस ने दायर की है। याचिका में अदालत से इन मामलों का संज्ञान लेने को कहा गया है। याचिका में कहा गया है कि क्योंकि एक.दूसरे से दूरी बनाकर रहने को कहा गया है और लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने का सुझाव दिया गया है, अपने पार्टनरों से होने वाली हिंसा की आशंका बढ़ गई है। महिलाओं की मुश्किल यह भी है कि उनको इस हिंसा से बचाने वाले लोगों से ज्यादा संपर्क नहीं होता है। महामारी के दौरान घर में कई बातों का खयाल रखे जाने के संदर्भ में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की आशंका बढ़ गई है। इस याचिका में कहा गया है कि कोविड- 19 के फैलने के बाद से दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों के मानसिक, शारीरिक और यौन स्वास्थ्य पर घरेलू हिंसा का खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है। इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस ने अपनी याचिका में कुछ सुझाव दिए हैं और कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 34, 51 और 65 के तहत इन्हें लागू किया जा सकता है। इनमें पीड़ितों के डिस्ट्रेस कॉल को सुनने के लिए कोई नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। 24 घंटे काम करने वाला क्षेत्रवार हॉट लाइन नंबर जारी किया जाए जिसे एनजीओ और दिल्ली सरकार चला सकती हैं। सभी हेल्पलाइन नंबर का टीवी, सोशल मीडिया और अखबारों, रेडियो, एसएमएस और टेली.कॉल के माध्यम से प्रचार.प्रसार किया जाए। पीड़ित और उत्पीड़क दोनों को मुफ्त ऑनलाइन टेली.काउंसलिंग की व्यवस्था हो। दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए सभी सुविधाओं से लैस अस्थाई शेल्टर होम बनाया जाए और इसका भी व्यापक प्रचार.प्रसार किया जाए। जो लोग लॉकडाउन के दौरान इस तरह की हिंसा की जानकारी देते हैं उन्हें लॉकडाउन में छूट दी जाए। घरेलू हिंसा के बारे में जानकारी देने के लिए आम सहमति से बिना घंटी के कॉल या कोड वर्ड की सुविधा विकसित की जाए ताकि पीड़ित इस बारे में शिकायत करे तो किसी को पता नहीं चल पाए। हाईकोर्ट से कहा गया है कि वह इन सुझावों पर गौर करे ताकि घरेलू हिंसा के शिकार लोगों को राहत पहुंचाई जा सके। वकील मिथु जैन, अर्जुन सयाल और विदिशा कुमार के माध्यम से यह याचिका दायर की गई है।
लॉकडाउन में साइबर क्राइम की शिकार बनी महिलाएं
कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण जहां घर.घर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग काफी बढ़ गया है। वहीं, इसको लेकर अपराध में भी बढ़ोत्तरी हुई है। खासकर महिलाओं के साथ साइबर क्राइम में करीब 65 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही घरेलू हिंसा,वैवाहिक दुर्व्यवहार, अंतरंग साथी हिंसा, घरेलू मारपीट या पारिवारिक हिंसा आदि के मामले दोगुने हो गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 27 फरवरी से 22 मार्च तक महिलाओं के साथ 20 अपराध के मामले दर्ज हुए थे, वहीं 23 मार्च से 16 अप्रैल तक यह संख्या बढ़कर 33 हो गई। जबकि घरेलू हिंसा के मामलों में लगभग दोगुनी बढोतरी दर्ज की गई है। 27 फरवरी से 22 मार्च तक घरेलू हिंसा के 123 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 23 मार्च से 16 अप्रैल तक यह शिकायतें बढ़कर 239 हो गई। कुल मिलाकर महिलाओं के खिलाफ अपराध और हिंसा में बढोतरी ही दर्ज की गई है। घरेलू हिंसा की संख्या में बढ़ोतरी पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया कि महिलाओं से प्राप्त शिकायतों की संख्या और लॉकडाउन को देखते हुए आयोग ने हाल ही में महिलाओं के लिए विशेष वाट्सएप नंबर 72177135372 की शुरुआत की थी जिसके माध्यम से भी 40 शिकायतें प्राप्त हुई हैं बाकी शिकायतें आयोग की ईमेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं। वे बताती हैं कि इन दिनों महिलाएं घर पर ही रह कर काम कर रही हैं, लेकिन वे अपनी परेशानियां किसी को बता नहीं पा रही। लॉक डाउन के कारण न तो बड़े.बुजुर्गों के पास जा पा रही हैं और न ही पुलिस में शिकायत करने के लिए पुलिस स्टेशन जा पा रही है। ऐसे में कई शिकायतें आयोग के पास आ रही हैं। आयोग इन शिकायतों की जांच करके संबंधित पुलिस स्टेशन को कार्रवाई के लिए निर्देश देता है।