कानून रिव्यू राजस्थान
राजस्थान अपने पुरातात्विक महत्व के किले, महल और हवेलियों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। राज्य सरकार इनके संरक्षण के लिए अलग से कानून बनाने पर विचार कर रही है। सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने यह बात इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस आइबीसी की कार्यशाला के दौरान कही। मंत्री ने ऐतिहासिक धरोहरों के लिए अलग कानून की बात कही। जबकि इसी सरकार के कार्यकाल में 2015 में विरासत संरक्षण का कानून पारित हो चुका है। राज्य सरकार ने धरोहर संरक्षण और प्रोन्नति प्राधिकरण की स्थापना कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ऐसे में अलग से कानून बनाने की जरूरत क्या है या फिर प्राधिकरण अपने उद्देश्यों में अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त कर सका था, जिसे सरकार छुपाना चाहती है। राज्य सरकार ने 2015 में राजस्थान विरासत संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसके तहत गठित प्राधिकरण का कार्य राज्य सरकार को विरासत आस्तियों के प्रवर्गों और वर्गों की सिफारिश करना, संरक्षित विरासत की घोषणा करना, विरासत उपविधियों का अनुमोदन करना, राज्य विरासत सरंक्षण नीति तैयार करना व सरकार से इसकी सिफारिश करना, विरासत संरक्षण योजना का अनुमोदन करना था।