पेड वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार का यह रवैया पूरी तरह से पहली नजर में ही चिढ़ाने वाला और मनमानाः सुप्रीम कोर्ट
आखिर बजट में वैक्सीन के लिए तय किए गए 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे खर्च हुए हैं? और 18 से 44 साल वाले लोगों के लिए उसका क्या इस्तेमाल किया जा रहा है? कोर्ट ने सरकार से एफिडेविट दाखिल कर यह बताने को कहा कि कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक.वी की कब और कैसे खरीद की है?
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार को कडी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 45 साल से अधिक आयु वाले लोगों को फ्री टीका लगाने और उससे कम वालों के लिए पेड वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार का यह रवैया पूरी तरह से पहली नजर में ही चिढ़ाने वाला और मनमाना है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह रोडमैप पेश करे कि आखिर कैसे दिसंबर के अंत तक देश में सभी वयस्क लोगों को टीका लगाने की बात कर रही है। इससे पहले सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस साल के अंत तक सभी लोगों के टीकाकरण के लिए काम करेगी। विपक्ष की आलोचना के जवाब में भी सरकार कई बार यह बात दोहरा चुकी है। वैक्सीनेशन की पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 से 44 साल के लोग न सिर्फ संक्रमण का शिकार हो रहे हैं बल्कि उसके चलते और भी कई असर हो रहे हैं। लंबे समय तक उन्हें अस्पतालों में रहना पड़ रहा है और मौतें हो रही हैं। यही नहीं सरकार की ओर से इस तर्क पर भी कि नीतियों को लागू करने से कोर्ट को दूर रहना चाहिए, कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे वक्त में अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती, जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान यह नहीं कहता कि जब नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो अदालतें मूकदर्शक बनी रहें। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर बजट में वैक्सीन के लिए तय किए गए 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे खर्च हुए हैं? और 18 से 44 साल वाले लोगों के लिए उसका क्या इस्तेमाल किया जा रहा है? कोर्ट ने सरकार से एफिडेविट दाखिल कर यह बताने को कहा कि कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक.वी की कब और कैसे खरीद की है? इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मंगलवार को कहा था कि आखिर युवाओं को कोरोना के इलाज में प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा रही है? कोर्ट ने कहा था कि 80 साल की आयु तक पहुंच चुके लोग अपनी जिंदगी जी चुके हैं। ऐसे में उनकी बजाय युवाओं को तरजीह दी जाए।