मोटर व्हीकल एक्ट न तो किसी ट्रैफिक पुलिस को चाबी निकालने का अधिकार देता है और न ही आपकी गाड़ी की हवा निकालने का। मोटर व्हीकल एक्ट गुंडागर्दी करने का अधिकार नहीं देता, वो सिर्फ चालान काट सकते हैं और गाड़ी जब्त कर सकते हैं, यह काम वो खूब करें। एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पुलिसकर्मी किसी वाहन चालक से बदसलूकी या मारपीट करे और उसे गाली दे। कोई पुलिसकर्मी यदि आपको रुकने का इशारा कर रहा है तो जांच के लिए रुकिए, लेकिन यदि चाबी और हवा निकाल रहा है तो बचाव में इसकी वीडियो बनाइए। सबूत के साथ उसके उच्चाधिकारियों को लिखिए। उस पर जरूर विभागीय कार्रवाई होगी। यदि उच्चाधिकारी भी उससे मिले हुए हैं यानी वो लीपापोती की कोशिश करते हैं, तो केस हाईकोर्ट ले जाइए।
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद अचानक ट्रैफिक पुलिस सक्रिय हो गई है। वाहनों के भारी.भरकम चालान नए मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार ही काटे जा रहे हैं। नए नियम का पालन करवाने के नाम पर ज्यादातर जगहों पर पुलिस लोगों से बदसलूकी भी कर रही है। कहीं नियम तोड़ रहे पुलिसवालों से सवाल पूछने पर मारपीट पर उतारू हो रहे हैं तो कहीं वाहन चालकों से हाथापाई करते नजर आ रहे हैं। गौरव शर्मा की मौत का ताजा उदाहरण है। सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत गौरव शर्मा की कार में डंडा मारकर रोकने के मामले में अब पुलिस विभाग ने कार्रवाई की है। गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना पुलिस ने अज्ञात ट्रैफिक पुलिसकर्मी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ये कार्रवाई मृतक गौरव के पिता मूलचंद शर्मा की शिकायत पर हुई है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो की बाढ़ आई हुई है। देखने में यह आता है कि आमतौर से पुलिसवाले किसी वाहन को रोकते ही उसकी चाबी निकाल लेते हैं। इसे लेकर सबसे ज्यादा झगड़े होते हैं, लेकिन कानून के जानकार बताते हैं ट्रैफिक पुलिस को ऐसा करने का हक नहीं है। ऐसा करके वो कानून तोड़ रहे होते हैं। कानूनी जानकार बताते हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट न तो किसी ट्रैफिक पुलिस को चाबी निकालने का अधिकार देता है और न ही आपकी गाड़ी की हवा निकालने का। मोटर व्हीकल एक्ट गुंडागर्दी करने का अधिकार नहीं देता, वो सिर्फ चालान काट सकते हैं और गाड़ी जब्त कर सकते हैं, यह काम वो खूब करें। एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पुलिसकर्मी किसी वाहन चालक से बदसलूकी या मारपीट करे और उसे गाली दे। कोई पुलिसकर्मी यदि आपको रुकने का इशारा कर रहा है तो जांच के लिए रुकिए, लेकिन यदि चाबी और हवा निकाल रहा है तो बचाव में इसकी वीडियो बनाइए। सबूत के साथ उसके उच्चाधिकारियों को लिखिए। उस पर जरूर विभागीय कार्रवाई होगी। यदि उच्चाधिकारी भी उससे मिले हुए हैं यानी वो लीपापोती की कोशिश करते हैं, तो केस हाईकोर्ट ले जाइए। यदि आप गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल है, महिला या विकलांग हैं तो आपको मुफ्त कानूनी सहायता मिलेगी। इसकी मदद से पुलिसकर्मी के खिलाफ अपने नागरिक और मानव अधिकार के हनन का केस डालिए। उम्मीद है कि पुलिसकर्मी सस्पेंड होगा और उसे बचाने वाले उच्चाधिकारियों से भी जवाब तलब किया जाएगा। फरीदाबाद निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अनुभव सुखीजा की एक आरटीआई के जवाब में हरियाणा पुलिस ने तो यहां तक साफ किया है कि पुलिसकर्मी हाथ से इशारा कर के वाहन रुकवा सकता है, चेक कर सकता है, अगर कोई चालक पुलिसकर्मी द्वारा दिए गए इशारे पर अपना वाहन नहीं रोकता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन पुलिसकर्मी किसी व्यक्ति को न तो गाली दे सकता है और न मारपीट कर सकता है। पुलिसकर्मी को वाहन के प्रदूषण स्तर का सर्टिफिकेट चेक करने का अधिकार है।