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शारदा चिट फंड मामले में सीबीआई की याचिका पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित

03.05.2019 By Editor

कानून रिव्यू/ सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली

———————————————-शारदा चिट फंड मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने सीबीआई की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पीठ ने सीबीआई ् की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुरक्षित रखा। दरअसल पीठ यह तय करेगी कि क्या वो 5 फरवरी के अपने आदेश को वापस ले या नही जिसमें राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई थी। सीबीआई  ने अदालत को कुमार के खिलाफ सीलकवर में दिए दस्तावेज, इससे पहले भी सीबीआई् ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीलकवर में कुछ दस्तावेज और केस डायरी सुप्रीम कोर्ट को दी और यह दावा किया कि घोटाले की तह तक जाने के लिए एजेंसी कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।

 पीठ के सामने सीबीआई् की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस केस के महत्वपूर्ण सबूत मोबाइल फोन और लैपटॉप राजीव कुमार के निर्देश पर आरोपियों को वापस दिए गए और ये सबूत नष्ट करने के समान है। उन्होंने मोबाइल और लैपटॉप पर जांच एजेंसी के सामने जांच अधिकारी के बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं और उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है। पश्चिम बंगाल सरकार की दलील वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि सीबीआई राजनीतिक कारणों से आईपीएस अधिकारी की हिरासत में पूछताछ करना चाहती है। 4 मोबाइल फोन और 1 लैपटॉप आरोपी को दिए गए क्योंकि सीबीआई  ने इन सामग्रियों को नहीं मांगा। इसलिए इसे अदालत के आदेशों के बाद शारदा चिट फंड की कार्यकारी निदेशक देबजानी मुखर्जी को सौंपा गया। अब तक सबूत नष्ट करने के लिए राजीव कुमार के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की गई। इससे पहले राजीव कुमार से शिलांग में सीबीआई ने करीब 40 घंटे तक पूछताछ की।

इसी दौरान सीजेआई् ने सिंघवी से पूछा कि शिलांग में पूछताछ के दौरान मोबाइल फोन और लैपटॉप पर आपका क्या जवाब था तो सिंघवी ने कहा कि यह सवाल जांच अफसर से पूछे जाने के लिए है। सीबीआई  ने कहा कि मोबाइल फोन और लैपटॉप पर जांच अधिकारी ने अपने बयान में जो कहा वो, और सीबीआई् को जो आपने जवाब दिया है वो उससे कुछ अलग है।

 वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि वो कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को हिरासत में पूछताछ करने के लिए अपने दावों को लेकर सबूत अदालत में पेश करें। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोर्ट को यह संतुष्ट करने के लिए कहा कि कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने का उनका अनुरोध उचित और न्याय के हित में है। पीठ ने मेहता को इस बात को साबित करने के लिए साक्ष्य लाने को कहा कि कुमार भी चिट फंड मामले में सबूत नष्ट करने या गायब करने में शामिल थे। मेहता ने अदालत से कहा कि वह बुधवार तक कुमार के खिलाफ सबूत दाखिल करेंगे। राजीव कुमार पर आरोप सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि राजीव कुमार ने एसआईटी  प्रमुख के तौर पर ना केवल सबूत नष्ट किए बल्कि मामले की जांच को भी प्रभावित किया। जांच में शामिल होने पर भी उन्होंने एजेंसी के सवालों के सही जवाब नहीं दिए। इसलिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है। 23 अप्रैल को शारदा चिट फंड घोटाले के मामले में सीबीआई ने एक बार फिर अपने रुख पर कायम रहते हुए सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि टेलीकॉम आपरेटरों ने इस संबंध में पूरा कॉल डिटेल रिकॉर्ड कोलकाता पुलिस को सौंपा था लेकिन तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने एक उल्टे मकसद के साथ इसके एक हिस्से को अपने पास रख लिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सीए के अध्ययन और वोडाफोन की जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि मोबाइल कंपनियों द्वारा पूरा रिकॉर्ड दिया गया था, फिर भी उन रिकॉर्डों को सीबीआई के पास नहीं भेजा गया।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजीव कुमार को इन आरोपों का जवाब देने के लिए कहा था। इसके बाद उनके द्वाराए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें कहा गया है कि सीबीआई भाजपा के 2 नेताओं द्वारा एक बड़ी साजिश के हिस्से के रूप में उन्हें निशाना बना रही है। इससे पहले 6 अप्रैल को शारदा चिट फंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को गिरफ्तार करने और हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति मांगी थी। सीबीआई ने शीर्ष अदालत से राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाले 5 फरवरी के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। सीबीआई ने याचिका में कहा है कि इस घोटाले की बड़ी साजिश का पता लगाने व सबूत छिपाने या नष्ट करने के मामले में कुमार व अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए राजीव कुमार की हिरासत में पूछताछ जरूरी है। सीबीआई का कहना है कि राजीव कुमार को हिरासत में लेकर शारदा समूह के निदेशकों व राजनेताओं के बीच सांठगांठ का पता लगाना आवश्यक है। इससे पहले 29 मार्च को सीबीआई बनाम पश्चिम बंगाल सरकार मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर सीबीआई द्वारा दाखिल सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट को बहुत ही गंभीर बताया था।

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