दिल्ली के एक छात्र ने विरोध प्रदर्शन को अलग अधिकृत विरोध क्षेत्र में स्थानांतरित करने की,की थी मांग
कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
सीएए के विरोध प्रदर्शन के बाद अभी तक सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए मुसीबत कम होने का नाम नही ले रही है। ओखला क्षेत्र खास कर शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी आरपार के मूड में हैं और अभी भी विरोध प्रदर्शन जारी है। इस विरोध प्रदर्शन के चलते हुए इस क्षेत्र में आने जाने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है। रूट डायवर्ट कर दूसरी ओर से वाहनों को निकाला जा रहा हैं। अब कोर्ट से भी सरकार और पुलिस को एक तरह से झटक लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग में चल रहे सीएए के विरोध को कहीं और स्थानांतरित करने से साफ इंकार कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग में सीएए के विरोध में चल रहे विरोध प्रदर्शन को अलग अधिकृत विरोध क्षेत्र में स्थानांतरित करने की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि यह आवेदन दिल्ली में रहने वाले एक छात्र ने दिया था। यह छात्र चाहता था कि विरोध प्रदर्शन को शाहीन बाग से स्थानांतरित कर दिया जाए। छात्र के अनुसार इस प्रदर्शन के कारण डीएनडी फ्लाईओवर मार्ग की ओर ट्रैफिक का बहुत बढ़ जाता है। आवेदन में उल्लेख किया गया था कि विरोध प्रदर्शनों से कालिंदी कुंज रोड क्षेत्र में भारी भीड़ हो गई है, जिससे सड़कों पर यातायात और पैदल यात्रियों के आवागमन मुश्किल हो गया है। उक्त सड़क की नाकाबंदी के कारण अधिकांश यातायात को पहले से ही डीएनडी फ्लाईओवर के ऊपर से हटा दिया गया है। यह भी प्रस्तुत किया गया था कि नोएडाए आश्रम, अपोलो अस्पताल और बदरपुर जाने वाले विभिन्न मार्ग, शाहीन बाग में विरोध क्षेत्र की बैरिकेडिंग के कारण अनुपलब्ध हो गए हैं। इसके अलावा आवेदक ने यह भी उल्लेख किया कि प्रदर्शनकारियों ने डिवाइडर और अन्य सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान पहुंचा है। न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति हरि शंकर की खंडपीठ ने बस सिर हिलाया और आवेदक को कोई राहत देने से इनकार कर दिया। शाहीन बाग में कई लोग हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ 14 दिसंबर से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन ने बड़ी भीड़ को आकर्षित किया है, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जो प्रदर्शनकारियों को दवाए भोजन इत्यादि सभी प्रकार की सहायता प्रदान करते हैं।
सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया। अब आवेदन पर 22 जनवरी को विचार किया जाएगा। जब अधिनियम को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर अन्य याचिकाएं सूचीबद्ध होंगी। केंद्र ने प्रस्तुत किया कि विभिन्न उच्च न्यायालय मामले में अलग अलग विचार दे सकते हैं। यह भी कहा गया कि शीर्ष अदालत में पहले ही सीएए के खिलाफ 60 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। गौरतलब है कि 60 याचिकाओं का एक बड़ा समूह सुप्रीम कोर्ट में पहले से है जिस पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही केंद्र को नोटिस जारी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 22 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय की है। यह कहा गया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सीएए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेने से रोकने के लिए हाईएकोर्ट को कोई आदेश नहीं दिया है। केंद्र सरकार ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका दाखिल की थी। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई होनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एस0 ए0 बोबडे से अनुरोध किया कि इस याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए। तुषार मेहता ने कहा कि सभी याचिकाएं जो उच्च न्यायालयों में लंबित हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाना चाहिए क्योंकि विभिन्न उच्च न्यायालय विभिन्न निष्कर्षों पर पहुंच सकते हैं।