कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का विकल्प भी खुला-डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
नई दिल्ली
———————————————–यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने बयान में कहा है कि सरकार कानून बना कर राममंदिर का निमार्ण करा सकती है। डिप्टी सीएम का यह बयान एक शिगूफे से ज्यादा कुछ भी नही है। ऐसा 2019 लोकसभा चुनाव में सत्ता की कुंजी हथियाने की तैयारी है। हिंदुत्व विचारा अब यह सवाल पूछने के मूड में हैं कि आखिर क्या केंद्र और उत्तर प्रदेश में और वह भी पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सत्ता की काबिज है फिर राम मंदिर का निमार्ण क्यों नही हो रहा हैं। चूंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव अब प्राय सिर पर ही है, ऐसे में सरकार और भाजपा को यह नही सूझ रहा है कि आखिर किस मुंह से हिंदुत्व वोटरों के सामने जाएं और राम मंदिर निमार्ण न होने के लिए आखिर कौन सी मजबूरी बताएं। डिप्टी सीएम का यह बयान काफी महत्वपूर्ण भी है। क्योंकि बयान देने वाला व्यक्ति कोई ऐरा गैरा न होकर उत्तर प्रदेश सरकार का एक तरह से मुखिया ही है। दूसरी ओर यदि गौर करें हिंदुत्व को साधने की कोशिश यदि राम मंदिर निमार्ण की भी जा रही है तो दोनो सदनों में भाजपा का बहुमत हैं कहां। राज्यसभा जैसे सदन में तीन तलाक जैसे बिल लटके हुए हैं फिर राम मंदिर निमार्ण के लिए बहुमत राज्यसभा मेंं कहां से आ पाएगा। इसलिए डिप्टी सीएम का बयान एक शिगूफे से ज्यादा कुछ भी नही है और हिंदुत्व को साधने भर की कोशिश का ही परिणाम है। स्वयं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही यह कहते रहे हैं कि राम मंदिर निमार्ण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट के फैसले का इंतजार करना जरूरी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही नही बल्कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकारों के जिम्मेदार मंत्री भी यही बात कहते रहे हैं।
क्या कहा डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने————
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बयान दिया है कि सरकार के पास संसद में कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का विकल्प भी खुला हुआ है। पत्रकारों से बात करते हुए मौर्य ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों लोग अयोध्या में राम मंदिर बनता हुआ देखना चाहते हैं और भाजपा के लिए यह आस्था का एक महत्वपूर्ण विषय है। राम मंदिर को लेकर खुला है तीसरा विकल्प राम मंदिर को लेकर पूछे गए सवाल पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा लोगों को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत जल्द आएगा और राम मंदिर निर्माण के रास्ते में आ रही रुकावटें खत्म होंगी। राम मंदिर को लेकर या तो जल्द ही फैसला आएगा या फिर हम बातचीत के माध्यम से इसका समाधान निकालेंगे। हमारे सामने संसद में कानून पारित करने का तीसरा विकल्प भी खुला हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, अगर राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत होता तो विधेयक पारित कराकर कानून के रास्ते से भी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मार्ग खोल दिया जाता। उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारे पास बहुमत नहीं है इसलिए अभी ऐसा करना संभव नहीं है। मौर्य ने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है।् केशव प्रसाद मौर्य से जब पूछा गया कि बहुमत ना होने के बावजूद सरकार ने एससीएसटी बिल और ओबीसी कमीशन संबंधी बिल राज्यसभा में पास करा लिए तो राम मंदिर पर क्या समस्या है। इस पर मौर्य ने कहा कि दोनों मुद्दे अलग.अलग है। एससीएसटी और ओबीसी बिल पर दूसरे दलों का समर्थन मिल गया था लेकिन राम मंदिर के मुद्दे पर अन्य दलों का समर्थन नहीं मिलेगा।
चुनाव सिर आया है तो लॉलीपॉप बांट रही है भाजपा
———————————————–डिप्टी सीएम के राम मंदिर निर्माण के लिए संसद में बिल लाने की बात पर विवाद से जुड़े पक्षकारों ने इसे चुनावी लॉलीपॉप बताया है। हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि मामला कोर्ट में है, अब इस तरीके का बयान कोर्ट की अवमानना है। कानून बना कर बीजेपी को मंदिर निर्माण कराना होता तो बहुमत मिलते ही करा देती। चुनाव नजदीक है राम अब नहीं याद आएंगे तो कब याद आएंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस तरह के सेंसिटिव मुद्दे पर बयानबाजी करना गलत है। उन्होंने सुझाव दिया कि नेताओं को इस मामले में बयानबाजी से बचना चाहिए। फरंगी महली ने पूछा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फिर नेता जानबूझकर ऐसे बयान क्यों देते हैं। उन्होंने कहा कि कई चुनाव इसी मुद्दे पर पार्टियों ने लड़े हैं। जानबूझकर ऐसे मुद्दों को हवा दी जा रही है। जनता भी यह चाहती है कि एक अच्छे माहौल में कोर्ट के फैसले का हल निकले।
जनता को देनी है राम मंदिर न बना पाने की सफाईः इकबाल अंसारी
——————————————————————–मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि चुनाव सिर पर आ गया है। जनता को राम मंदिर न बना पाने की सफाई देनी है इसीलिए उसकी भूमिका तैयार की जा रही है। मामला अदालत में है, इस तरह का बयान देना अदालत का अपमान है। अदालत बड़ी होती है न कि नेता। हाजी महबूब ने कहा कि चुनावी बिगुल बीजेपी ने फूंक दिया है लेकिन ये जो भी कर लें अगला इलेक्शन इनके हाथ में नहीं है। जब अदालत में हियरिंग हो रही है तो इस तरह के बयान का क्या मतलब? ये केवल जनता को भ्रमित कर रहे हैं।
मंदिर अब नहीं बना तो कब बनेगाः निर्मोही आखाडा
——————————————————–निर्मोही अखाड़े के पक्षकार महंत दिनेन्द्र दास ने कहा कि मालिकाना हक निर्मोही अखाड़ा के पास है और मामला कोर्ट में है। इस तरह का बयान कोर्ट की अवेहलना है। मंदिर तो बना है केवल भव्य निर्माण बाकी है। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नित्यगोपाल दास ने कहा कि मंदिर निर्माण अभी नहीं तो कभी नहीं। केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी के रहते हिंदू समाजए संत.धर्माचार्य आशान्वित हैं। अब जब लोकसभा में पूर्ण बहुमत है तो देरी क्यो? इसके बावजूद मंदिर निर्माण में देरी होती है तो इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। जनता ने बहुमत दे दिया है अब राम मंदिर बनाने की बारी बीजेपी की है। वीएचपी के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शारद शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला कछुवे की रफ्तार से चल रहा है और हिंदू समाज का धैर्य टूट रहा है। न्याय की चौखट पर भू स्वामी याची बना खड़ा है, ऐसे में संसद ही एक मार्ग है, इसका चिंतन स्वयं केंद्र की सरकार करे। पार्षद से लेकर महामहिम तक मंदिर आंदोलन को बखूबी जानते हैं। ऐसे में सरकार को ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है।
2019 चुनाव से पहले अयोध्या में बनेगा भव्य राम मंदिरःवेदांती
——————————————————————अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। राम मंदिर के निर्णाम को लेकर विवादित बयान देते हुए वेदांती ने कहा कि हमें मंदिर के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के इजाजत की जरूरत नहीं होगी क्योंकि जब मुगलों ने मंदिर तोड़े थे तो उन्होंने किसी से इजाजत नहीं ली थी और जब हमने अयोध्या में मस्जिद गिराया था तो भी कानून हमें नहीं रोक पाया था। इतना ही नहीं वेदांती ने यह भी कहा है कि न सिर्फ राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा बल्कि आचार संहिता लागू होने से पहले ही धारा 370 को भी खत्म कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले द्वारका के शंकराचार्य जगदगुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि बीजेपी राम मंदिर बनवाना नहीं चाहती है। बल्कि बीजेपी का उद्देश्य राम मंदिर के नाम पर सत्ता हासिल करना है। शंकराचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बीजेपी राम मंदिर बनवाना नहीं चाहती है। वह आगामी लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के नाम पर सत्ता पाना चाहती है।
धार्मिक पर्यटन स्थल बनेगा अयोध्या
———————————————अयोध्या भारत के अहम शहरों में से एक है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। भगवान राम का यहीं जन्म होने के कारण अयोध्या का महत्व और बढ़ जाता है। हिंदू धर्म के बड़े ग्रंथों में अयोध्या का उल्लेख मिलता है। इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है। आइये आज जानते हैं कि अयोध्या में घूमने के लिए कौन से स्थान खास हैं?
कनक भवनः————कनक भवन को सोने का घर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान राम और सीता की सोने के मुकुट वाली मूर्तियां हैं। यह काफी भव्य और सुंदर महल है।
हनुमान गढ़ीः-भगवान राम का जन्मस्थान होने के नाते पूरे अयोध्या शहर में कई भव्य धार्मिक स्थान हैं। हनुमान गढ़ी उन सबमें सबसे अहम है। हनुमान को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में हुआ था। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए आपको 76 सीढ़ियां पार करनी पड़ेंगी। देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान के भ्रमण से हनुमान के सच्चे भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।
नागेश्वरनाथ मंदिरः–इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के बेटे कुश ने करवाया था। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है जहां शिवरात्रि या अन्य कोई शिव पूजा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गुलाब बारीः-शुजाउद्दौला के मकबरे के चारों तरफ फैले इस गुलाब के बागीचे में तरह.तरह के गुलाब के फूल देखने को मिलेंगे। इस स्थान को गुलाब के बागीचे के अलावा यहां मौजूदा इमामबाड़ा और मस्जिद के लिए भी जाना जाता है।
सीता की रसोईः-वास्तव में सीता की रसोई कोई रसोई घर नहीं है बल्कि यह एक मंदिर है। माना जाता है कि सीता की रसोई यहीं पर थी। मंदिर के एक कोने में पुराने रसोई घर का एक मॉडल है जहां प्राचीनए बर्तन आदि का नमूना है। मंदिर परिसर के दूसरे किनारे में चारों भाई रामए लक्ष्मणए भारत और शत्रुघन एवं उनकी पत्नियों की मूर्तियां हैं।
दशरथ भवनः-शहर के मध्य में स्थित दशरथ भवन वह जगह है जहां भगवान राम के पिता और अयोध्या के राजा दशरथ का निवास था। यह एक भव्य महल है जिसको अच्छी तरह से सजाया गया है।
मणि पर्वतः-मणि पार्वत का खास धार्मिक और पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि युद्ध में बुरी तरह से जख्मी हुए भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी की जरूरत थी। संजीवनी बूटी की तलाश में हनुमान ने पूरे पहाड़ को ही उठा लिया था। माना जाता है कि उस विशाल पर्वत का एक भाग अयोध्या में गिर गया जिसे मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। मणि पर्वत से पूरे शहर के मनोरम दृश्य के अलावा यहां सम्राट अशोक द्वारा निर्मित स्तूप एवं बौद्ध मठ को भी देख सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है बाबरी मजिस्द राम जन्म भूमि विवाद की सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट में इस संवदेनशील बाबरी मजिस्द राम जन्म भूमि विवाद की सुनवाई चल रही है। तीन जजों की पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिन्दू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं जिनमें उन्होंने मुस्लिमों के इस अनुरोध का विरोध किया था कि मस्जिद को इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अता की जाने वाली नमाज का आंतरिक भाग नहीं मानने वाले 1994 के फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाए। अयोध्या मामले में मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल और निधन के बाद कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा प्रतिनिधित्व पाने वाले एम सिद्दीकी ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 में आए फैसले के कुछ निष्कर्षों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने पीठ से कहा था कि अयोध्या की जमीन से जुड़े भूमि अधिग्रहण मामले में की गई टिप्पणियों का मालिकाना हक विवाद के निष्कर्ष पर प्रभाव पड़ा है। हालांकि हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस मामले को सुलझाया जा चुका है और इसे फिर से नहीं खोला जा सकता। शीर्ष अदालत की विशेष पीठ चार दीवानी वादों पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर विचार कर रही है। इससे पहले मार्च में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद से जुड़ी उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था जो ऑरिजिनल वादियों या प्रतिवादियों की तरफ से दायर नहीं की गई थीं। कोर्ट सिर्फ ऑरिजिनल पिटिशनर्स को ही सुनने का फैसला किया था। कोर्ट ने जिन याचिकाओं को खारिज किया थाए उनमें बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी की वह याचिका भी शामिल हैए जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद.राम मंदिर संपत्ति विवाद में दखल की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका समेत कुल 32 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। जिनमें अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिकाएं भी शामिल हैं। मामले की सुनवाई के दौरान स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उनके मूल अधिकार उनके संपत्ति से जुड़े अधिकारों से बड़े हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट स्वामी की उस अन्य याचिका पर फिर सुनवाई के तैयार हो गया जिसमें बीजेपी नेता ने अयोध्या के राम मंदिर में पूजा करने को अपना मूल अधिकार बताते हुएए इस अधिकार को लागू कराने की मांग की थी। गौरतलब है कि पिछले साल 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में 7 साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि 7 भाषा वाले दस्तावेज का पहले अनुवाद किया जाए। उल्लेखनीय है कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में है, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।
अयोध्या टाइटल विवाद 6 साल से है पेंडिंग
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अयोध्या मामले में टाइटल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तमाम पक्षकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की हुई थी। अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को लेकर हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया था उसके बाद तमाम पक्षों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी और याचिका सुप्रीम कोर्ट में 6 साल से लंबित है। पिछले साल 26 फरवरी को बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी को इस मामले में पक्षकार बनाया गया था। स्वामी ने राम मंदिर निर्माण के लिए याचिका दायर की थी। स्वामी का दावा है कि इस्लामिक देशों में किसी सार्वजनिक स्थान से मस्जिद को हटाने का प्रावधान है और उसका निर्माण कहीं और किया जा सकता है। मामले में मुख्य पक्षकार हिंदू महासभा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि हैं।
क्या है, बाबरी मजिस्द राम जन्म भूमि विवाद का पूरा मामला?
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राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ.साथ दीवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई लगातार की जा रही है।