कानून रिव्यू की खबर का असर
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू गौतमबुद्धगर
——————————————————–कानून रिव्यू की खबर पर आखिरकार उत्तर प्रदेश शासन की ओर से मुहर लगा ही दी गई। कई तरह के आरोपों में घिरे संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह का गौतमबुद्धनगर से पीलीभीत के लिए प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण कर दिया गया। संयुक्त निदेशक अभियोजन रहे वीरेंद्र विक्रम सिंह पर गैंगस्टर और भूमाफियाओं की तरफदारी समेत कई तरह के आरोप रहे हैं। स्वंय डीएम बीएन सिंह भी उनसे न्यायपालिका, पुलिस और जिला प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल न स्थापित न किए जाने से नाखुश चल रहे थे। उत्तर प्रदेश में जब से महंत योगी आदित्यनाथ की सरकार आसित्व में आई है, भूमाफिया और गिरोह बना कर अपराध करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। गौतमबुद्धनगर में भी स्वयं डीएम बीएन सिंह इसकी कमान संभाले हुए हैं यही कारण है कि हाल में डीएम को इस तरह के माफियाओं की ओर धमकी तक भी मिली है। डीएम द्वारा अपनी सुरक्षा को लेकर एसएसपी को लिखा गया पत्र भी मीडिया में सुर्खिया बना रहा है। संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह से डीएम इसी बात को लेकर नाखुश रहे कि प्रशासन की ओर से जिस तेजी से माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की जाती रही उस तेजी से अभियोजन निदेशक की ओर से तत्परता नही दिखाई दी गई। ऐसा ही एक मामला उस समय प्रकाश में आया जब गौतमबुद्धनगर में एंटी भूमाफिया सेल ने इस तरह के भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान छेडा और कई स्थानों पर भूमि को मुक्त भी कराया गया। किंतु एंटी भूमाफिया धरपकड अभियान को मात देने के लिए खुद ही प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट आडे आ गया।। डीएम और एसएसपी भूमाफिया के खिलाफ गैंगस्टर की कार्यवाही भेजने का इंतजार करते ही रहे और प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट भूमाफिया को बचाने में ही लगा रहा। गैंगस्टर की कार्यवाही के लिए ओपीनयन में खुद एसपीओ और ज्वाइंट डायरेक्टर आमने सामने आ गए। देरी का फायदा भूमाफिया को मिलने ही वाला था अर्थात भूमाफिया जमानत कराने में कामयाब हो जाता, इससे पहले ही एसपीओ की ओर से गैंगस्टर की ओपीनयन भेज दी गई। गैंगस्टर की ओपीनयन मिलने पर गैंगस्टर लागू हो गया और भूमाफिया के जमानत करने के मंसूबों पर साफ पानी फिर गया। गौरतलब है कि थाना बिसरख क्षेत्र का गैंग लीडर देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया पुत्र करण सिंह मूल मुकदमों में जेल के अंदर था, उसी दौरान उसके विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही करने हेतु पुलिस के आला अधिकारियों और जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए। थाना बिसरख पुलिस ने देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के खिलाफ दर्ज किए गए सारे मुकदमों और चार्जशीटों का विवरण नही भेजा। सीनियर प्रोसीक्यूटिंग ऑफिसर ललित मुद्दगल ने गत दिनांक 2 नवंबर 2017 को क्षेत्राधिकारी, ग्रेटर नोएडा-3 को एक पत्र प्रेषित कर अवगत कराया कि अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के विरूद्ध वर्ष 2005,2006 और 2007 के 4 अभियोग छल एवं कूटरचना से संबंधित दर्शाए गए हैं। इनके अतिरिक्त एक अन्य प्रकरण, जो कि मारपीट और धमकी देने से संबंधित है, वर्ष 2017 का है। गैंग के दूसरे सदस्य के रूप में देवेंद्र सिंह के भाई राजेंद्र का दर्शाया गया है,जिसके विरूद्ध केवल मु0अ0स0-459/17 पंजीकृत है। अभियुक्त देवेंद्र मुखिया के विरूद्ध पंजीकृत मामले गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही हेतु अच्छे मामले हैं, लेकिन गैंग के गठन और अपराधिक घटनाओं को गिरोहबंद अपराधिक क्रियाओं की परिभाषा में लाने हेतु पर्याप्त साक्ष्य का प्रथमदृष्टया अभाव है। इस प्रकार सरसरी तौर पर गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही किए जाना उचित नही होगा। इसलिए थानाध्यक्ष बिसरख अथवा थाने के किसी अन्य उपनिरीक्षक को यह निर्देशित करने का कष्ट करें कि वे अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया पंजीकृत समस्त मामलों को छांट कर उनकी प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं अपरोप पत्र की प्रतियां लेकर उनके कार्यालय मे विचार विमर्श के लिए उपस्थित हों, जिससे गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत गुणात्मक कार्यवाही किए जाने हेतु गैंग चार्ट तैयारा जा सके। गैंग चार्ट तैयार किए जाने की कार्यवाही यह मामला जब संयुक्त निदेशक अभियोजन के वीरेंद्र विक्रम सिंह समक्ष आया। संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर की ओर से दिनांक 22 फरवरी 2018 को एक पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रेषित करते हुए अवगत कराया गया कि गिरोह के सदस्य लटूर के विरूद्ध गैंग चार्ट के अनुसार तीन वाद दर्ज हैं, जिनमें से मु0अ0स0-35/05 धारा 420,467,468,471,120-बी तथा मु0अ0स0 1262/07 धारा 420,467,468,471 थाना दादरी में पंजीकृत हैं। इस वाद में गिरोह के दो सदस्य देवेंद्र सिंह व राजेंद्र सिंह अभियुक्त नही हैं, अपितु केवल लटूर की गैंग चार्ट में अभियुक्त दर्शाया गया है। गैंग चार्ट में नवीन वाद के रूप दर्शाए गए दो वाद के रूप में गैंग चार्ट की तीन अभियुक्तों में से एक में दो तथा एक में एक अभियुक्त होने से गैंग चार्ट कमजोर प्रकृति का है जिसकी सफलता की संभावना न्यायालय में बहुत अधिक नही होगी। गैंग चार्ट दर्शित अपराध भा0द0वि0 के अध्याय 16,17 व 22 में आते हैं, जो उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाजविरोधी क्रियाकलाप(निवारण) अधिनियम 1986 की धारा 2(ख)(एक) से आच्छादित है। गैंग चार्ट अनुमोदन करना चाहें। इसी प्रकार फिर प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन के तौर पर सीनियर प्रोसीक्यूटिंग ऑफिसर ललित मुद्दगल ने दिनांक 05 मार्च 2018 को एक पत्र जिलाधिकारी को प्रेषित करते हुए अवगत कराया कि मेरे द्वारा गैंग चार्ट एवं उसके साथ संलग्न अभिलेखों का अध्यन्न किया गया। थाना बिसरख की आख्या अनुसार अभियुक्त गैंग लीडर देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया का एक सुसंगठित गिरोह है। जो भा0द0वि0 के अध्याय 16,17 एवं 22 में वर्णित दंडनीय अपराध कारित कर अपने निजी आर्थिक एवं भौतिक हितों की पूर्ति हेतु फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरों की कृषि भूमि की खरीद फरोख्त कर अवैध धन अर्जित कर जीवन यापन करते हैं। उपरोक्त गैंग का यह कृत्य उ0प्र0 गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 की धारा 2/3 के अंर्तगत दंडनीय अपराध है। थाना बिसरख द्वारा तीनों अभियुक्तों क अपराधिक इतिहास प्रस्तुत किया गया है। अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया के विरूद्ध वर्ष 2007 से 2017 के मध्य की अवधि के मामले भी अपराधिक इतिहास के रूप में संलग्न किए गए हैं। 2 मामलों में देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया और राजेंद्र अभियुक्त हैं तथा 2 मामलों में देवेंद्र सिंह उर्फ मुखिया और लटूर अभियुक्त हैं। गैंग चार्ट में अभियुक्तों की उम्र दर्शाई गई है, अभियुक्तों के विरूद्ध कायम अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा आरोप पत्रों की स्व. प्रमाणित प्रतियां संलग्न की गई हैं। साथ ही थानाध्यक्ष बिसरख द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र भी संलग्न किया गया है कि गैंग चार्ट में दर्शित अपराधों में जनपद के किसी भी थाने पर अन्य गैंगस्टर अधिनियम का अपराध पंजीकृत नही है। अतः मेरी राय में उपरोक्त अभियुक्तगणों के विरूद्ध गैंग चार्ट अनुमोदित करने में कोई विधिक बाधा नही है। गैंग चार्ट के अनुमोदन होते ही भूमाफिया देवेंद्र मुखिया पर गैंगस्टर का मामला दर्ज हो गया। इससे भूमाफिया देवेंद्र मुखिया के जमानत पर आने के मंसूबों पर एक बार फिर पानी गया। भूमाफिया देवेंंद्र मुखिया गैंगस्टर के मामले के अलावा और भी कई मामले ऐसे रहे जिसमें सुई संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह की ओर घूमती ही रही। इसी बीच कानून रिव्यू इंटरनेशनल लॉ एंड क्राइम मैग्जीन ने अपने जून-2018 के अंक में ’’ भूमाफिया को गैंगस्टर की कार्यवाही से बचाने की, पुरजोर कोशिश’’—-‘‘गौतमबुद्धनगर प्रोसीक्यूटिंग डिपार्टमेंट का कारनामा’’शीर्षक और उपशीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से गंभीरता से लिया गया और पूरे मामले की तह तक जांच शुरू कर दी गई। उधर डीएम बीएन सिंह ने भी शासन को कई पत्र भेज लिखे। आखिर नतीजा यह हुआ कि संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह को गौतमबुद्धनगर से हटा दिया गया। गत 6 फरवरी 2019 को मार्कण्डेय शाही विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन गृह (पुलिस) अनुभाग-9 लखनऊ ने शासनादेश संख्या 2569/छ-पु0-9-18-31(36) /18 ने कहा कि गौतमबुद्धनगर में संयुक्त निदेशक अभियोजन के पद पर तैनात वीरेंद्र विक्रम सिंह को तत्कालिक प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर जनपद गौतमबुद्धनगर से स्थानांतरित कर जनपद पीलीभीत में संयुक्त निदेशक अभियोजन के पद पर तैनात किया जाता है। जिसके बाद 16 फरवरी 2019 को एसपीओ छवि रंजन द्विवेदी ने प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर का कार्यभार ग्रहण कर संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह को कार्यमुक्त कर दिया। प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर छवि रंजन द्विवेदी ने ’’कानून रिव्यू’’ को बताया कि शासन के आदेश पर उन्होंने प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन के तौर पर कार्यभार ग्रहण कर संयुक्त निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम सिंह को कार्यमुक्त कर दिया है। जब तक शासन द्वारा यहां संयुक्त निदेशक अभियोजन की नियुक्ति नही हो जाती है वह कार्य करते रहेंगे।