आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा समाचार चैनलों के खिलाफ देशद्रोह के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
समाचार चैनलों.टीवी 5 और एबीएन आंध्र ज्योति के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाना चाहिए। यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा समाचार चैनलों के खिलाफ देशद्रोह के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंध्र प्रदेश सरकार चैनलों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज कर उनको दबा रही है। यह समय है कि अदालत देशद्रोह को परिभाषित करें। भारतीय दंड विधान में शामिल देशद्रोह की धारा के तहत केस दर्ज करने के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस की आजादी पर सवाल खडा हो गया है। सरकारें देशद्रोह की धारा को एक हाथियार के रूप में प्रयोग कर रही हैं। दो तेलुगु चैनलों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि उसे समाचार चैनलों.टीवी 5 और एबीएन आंध्र ज्योति के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाना चाहिए। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार चैनलों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज कर उनको दबा रही है। यह समय है कि अदालत देशद्रोह को परिभाषित करे। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़़ की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने इन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इन चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उस एफआईआर से संबंधित समाचार चैनलों के कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रेस की आजादी के संदर्भ में धारा 124 ए और 153 की व्याख्या की जरूरत है। उक्त समाचार चैनलों ने आंध्र में सत्तारूढ़ वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के आपत्तिजनक भाषण का प्रसारण किया था। इसलिए राज्य सरकार ने उन चैनलों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया था। सांसद राजू अपनी ही सरकार की कोविड नीतियों के आलोचना कर रहे हैं। इस पर वाई.एस.आर. कांग्रेस सरकार ने राजू को भी देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। राजू को 21 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। आंध्र के उक्त दोनों समाचार चैनलों ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि आंध्र सरकार ने हाल ही में कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें सरकारों को कोविड महामारी से संबंधित शिकायतें करने वाले नागरिकों को दंडित नहीं करने का निर्देश दिया गया था।