कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————— सरकार बनाम न्यायपालिका में सुलह के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। सरकार और न्यायपालिका के बीच तनातनी की खबरों को विराम देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मुलाकात की है। कानून मंत्री रविवार की शाम करीब ढाई घंटे तक मुख्य न्यायाधीश के घर रहे और उनसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। दोनों के बीच हुई इस लंबी मुलाकात के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों का एक के बाद एक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर कार्यपालिका पर सवाल उठाना सामान्य नहीं है। इसके अलावा कानून मंत्री का स्वयं मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर कर्नाटक के जज कृष्ण भट्ट के खिलाफ महिला जज द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुप्रीम कोर्ट के विशाखा फैसले के मुताबिक निष्पक्ष जांच कराने की जरूरत पर बल देना भी सामान्य प्रक्रिया नहीं कही जा सकती। इससे पहले की घटना पर अगर नजर डाली जाए तो न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुख्य न्यायाधीश की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे। पिछले दो तीन महीनों से बहुत कुछ ऐसा चल रहा है जो न सिर्फ न्यायपालिका में खलबली दिखा रहा है बल्कि सरकार और न्यायपालिका के तल्ख होते रिश्तों की ओर भी इशारा करता है। ऐसे माहौल में कानून मंत्री का मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करना और उनके घर बैठ कर दो ढाई घंटे चर्चा करना अहमियत रखता है। माना जा रहा है कि कानून मंत्री ने कई मुद्दों पर मुख्य न्यायाधीश से विचार विमर्श किया है। हालांकि बातचीत का ब्यौरा साफ नहीं है। कानून मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पहले भी कानून मंत्री इस तरह मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करते रहे हैं। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच एक सौहार्द और तालमेल बनाए रखने के लिए इस तरह की मुलाकातें होती रहती हैं। ये माहौल को हल्का करने का डिप्लोमेटिक तरीका होता है। पूर्व के कानून मंत्री भी न्यायाधीशों से मुलाकात करते रहे हैं। हालांकि मुलाकात के बाद का घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। मुलाकात रविवार यानी 15 अप्रैल को हुई। इसके दो दिन बाद 17 अप्रैल को कोलेजियम ने बैठक की और सरकार की ओर से दोबारा विचार के लिए भेजे गए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडीशनल जज रामेंद्र जैन को स्थायी करने के प्रस्ताव पर एक बार फिर अपनी मुहर लगा दी है। कोलेजियम ने सरकार से जज रामेंद्र जैन को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में स्थायी करने की सिफारिश करते हुए कहा है कि उनके बारे में जल्द आदेश जारी किए जाएं क्योंकि उनका कार्यकाल 19 अप्रैल को खत्म हो रहा है। सरकार ने यह कहते हुए प्रस्ताव वापस भेजा था कि जस्टिस जैन के स्थानांतरण की बात चली थी। कोलेजियम का कहना है कि जज रामेंद्र अच्छा काम कर रहे हैं और हाईकोर्ट में जजों की कमी को देखते हुए उन्हें स्थायी किया जाना चाहिए। जजों की नियुक्त को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच वैसे ही खींचतान चल रही है। उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश पर अभी तक सरकार ने कुछ नहीं किया है। कर्नाटक के जज भट्ट का मामला यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसा है। कोलेजियम के सदस्य दो वरिष्ठ जजों ने सरकार द्वारा इन सिफारिशों को दबाकर बैठने पर आपत्ति जताते हुए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर दखल देने को कहा था।