यूपी पुलिस के इस सब इंस्पेक्टर अनुप कुमार सिंह पर न केवल गर्व है बल्कि उनकी बहादुरी, जज्बे और दरियादिली के लिए भी सैल्यूट
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/कानून रिव्यू
गौतमबुद्धनगर
———————————————-हर पुलिस वाला गलत नही होता है, जी हां हम बात रहे हैं उत्तर प्रदेश पुलिस की, जो पुलिस हमेशा विवादों में घिरी रहती है। इस समय ग्रेटर नोएडा की परी चौक, पुलिस चौकी
पर प्रभारी के तौर पर तैनात हैं पुलिस उप निरीक्षक अनुप कुमार सिंह। गौतमबुद्धनगर पुलिस को गलत बताने वालों को आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं दरोगा अनुप कुमार सिंह। अनुप कुमार सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर क्षेत्र से हैं। गौतमबुद्धनगर से पहले दरोगा अनुप कुमार सिंह की तैनाती गाजियाबाद समेत कई दूसरे जनपदों में भी रही है। शराब तस्कारी हो या फिर अन्य कोई अवैध काम जहां इनकी तैनाती हुई बंद होना तय मानिए। दूसरी ओर इन दरोगा जी की कार्यशैली ही कुछ ऐसी है कि लोग इन्हें जब मद्द के लिए पुकराते हैं तो ये मद्द के लिए फौरन दौड पडते हैं और जान जोखिम में डालते हुए संकट में फंसे लोगों की मद्द करना अपना फर्ज मानते हैं। ग्रेटर नोएडा का ही ताजा उदाहरण सामने हैं कि दूर दराज से यहां पर छात्र परीक्षा देने आए और उन्हें रात हो गई। उन बैगाने छात्रों के लिए इस शहर में कोई अपना नही था, इस ठिठुरते हुए मौसम में रात कैसी काटी जाए यही सवाल बार बार कचैट रहा था? दरोगा अनुप कुमार सिंह ने छात्रों से पूछा कि यहां पर क्यों खडे हुए हैं तो छात्रों ने बताया कि बाहर से आए हैं और अब यहां से सवारी पकड कर किसी तरह गंतव्य तक पहुंचेंगे। बस फिर क्या था, दरोगा अनुप कुमार सिंह ने पुलिस के फर्ज के साथ साथ इंसानियत को भी सबसे उपर रखा। चौकी इंचार्ज अनुप कुमार सिंह ने रात में ही रजाईयों की व्यवस्था की और चैकी के अंदर ही उन सभी छात्रों के ठहरने और खाने की व्यवस्था की। दूसरे दिन जब वह छात्र यहां से जा रहे थे तो उनकी आंखों में चैन और राहत के आंसू थे, कि जिस पुलिस को लोग गलत कहते हुए नही थकते हैं। इस पुलिस महकमे में ऐसे भी दरियादिली लोग हैं जो इंसानियत को सबसे पहला फर्ज मानते हैं। छात्र जाते हुए यही कह रहे थे कि यूपी पुलिस में इस तरह के चैकी इंचार्ज के जज्बे, साहस और इंसानियत के लिए उन्हें सैल्यूट करते हैं और इससे पुलिस पर उनका विश्वास दोगुना हो गया है। यहां से पहले एसआई अनुप कुमार सिंह गाजियाबाद के डासना गेट पुलिस चौकी के प्रभारी थे तो उन्होंने अवैध शराब तस्करी के धंधे को ध्वस्त कर दिया। उन दिनों अवैध शराब तस्करी का यह करोबार जटवाडा, बालुपरा, पच्छदान, कल्लूपरा से लेकर बोझा,दीनागढी, प्राणगढी, मालीवाडा, दौलतपुरा, तक पैर पसार चुका था। यहां शराब तस्करी का धंधा जैसे ही बंद हुआ लोगों और खास कर महिलाओं ने राहत की सांस ली। आखिर यहां के लोगों ने दरोगा अनुप कुमार सिंह को सिंगम का नाम दे ही दिया। एक बार की बात है हमेशा की तरह की 21 फरवरी को शादी की वर्षगांठ थी। पत्नी ने कहा कि शाम को टाईम से घर आ जाना। यही एक दिन साल में आपसे कहती हूं। पत्नी ने एक छोटी सी पार्टी भी पुलिस लाइन में सखियों के साथ रखी थी। अनुप कुमार सिंह जल्दी घर आना का वायदा कर ड्यूटी के लिए निकल लिए। जब वह शाम को चलने के लिए तैयार हुए तो उनके पास सूचना आई कि एक व्यक्ति सडक दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हुआ। अनुप कुमार सिंह सबसे पहले उसे अस्पताल लेकर पहंुचे। अस्तपाल में घायल व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की शिनाख्त होना आसान नही हो पा रहा था। अनुप कुमार सिंह अपनी शादी की वर्षगांठ भूल गए और शिनाख्त के लिए मशक्कत शुरू कर दी। काफी देर बाद मृतक से एक कार्ड मिला और परिजनों तक सूचना भिजवाई। मृतक के परिजन जब मौके पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि जिस दरोगा ने यह सूचना भिजवाई है खुद उसकी शादी की सलागिर है मगर वह सब कुछ छोडते हुए अपनी ड्यूटी के फर्ज को निभाने में ही लगा रहा। आंखों में आंसू लिए परिजनों ने दरोगा के कर्तव्यनिष्ठता की तारीफ की। अनुप कुमार सिंह जब देर रात घर पहंुचे तो पत्नी बेहद नाराज थी। पत्नी बार बार फोन कर रही थी मगर दूसरी ओर से कोई सटीक जवाब तक नही मिल पा रहा था। दरोगा अनुप कुमार सिंह ने पत्नी को सारी बात विस्तार से बताई, जब पत्नी ने भी कह दिया कि चलों ठीक है, आपने ड्यटी का फर्ज पूरा करते हुए मानवता की मिशाल पेश की, मेरे लिए यही एक बडा तोहफा है। गाजियाबाद में ही तैनाती के दौरान पति पत्नी के बीच कलह हुई और फिर मारपीट शुरू हो गई। एक छोटा बच्चा चैकी में आया और बोला अंकल जल्दी चलो, नही तो पापा मम्मी को मार डालेंगे। दरोगा अनुप कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और पत्नी को पति के हाथो पिटने से बचाया। उस परिवार की तंगहाली का आलम यह था कि जख्मी महिला को इलाज कराने के लिए भी पैसे नही थे। वहीं पुलिस कार्यवाही से बचाने के लिए पति ने जहर खाने की कोशिश की। दरोगा अनुप कुमार सिंह महिला को अस्पताल लेकर पहुंचे और अपनी जेब से पैसे देकर उसका इलाज करवाया। जब कि पति शराबी थी। दरोगा अनुप कुमार सिंह ने पति को जेल भेजने बजाय उन दोनों पति पत्नी को बैठा सुलह समझौता करवाया और उनकी इस पहले से रास्ता भटक रहा परिवार टूटने से बच गया। यहां भी दरोगा जी को सिंगम कहा जाने लगा। एक बार डासना ऐरिया में गैस सिलेंडर में आग लग गई और घर के अंदर कई लोग फंस गए। हालत यह थे, कि यदि गैस सिलेंडर को बाहर नही निकाला जाता, तो आग भयंकर रूप ले सकती थी और न जाने कितने ही लोगों को जानें चली जातीं। दरोगा अनुप कुमार सिंह मौके पर पहंुचे और अपनी जान की परवाह किए बिना जलते हुए सिलेंडर को खींच कर बाहर ले आए। इसके बाद मिट्टी आदि डाल कर आग को बुझाया। इसके अलावा दरोगा अनुप कुमार सिंह ने विभिन्न जगहों पर अपनी ड्यूटी के दौरान इनामी और खूंखार बदमाशों को दबोचा और पुलिस महकमें का मान बढाया है। गुर्जर समाज का नाम का नाम रोशन करने वाले यूपी पुलिस के इस सब इंस्पेक्टर अनुप कुमार सिंह पर न केवल गर्व है बल्कि उनकी बहादुरी, जज्बे और दरियादिली के लिए भी यह समाज उन्हें सैल्यूट करता है।