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सीआरजेड क्षेत्र में निर्माण कार्य को अवैध ठहराते हुए गिराने का दिया आदेश

18.05.2019 By Editor

कानून रिव्यू/नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने गत सप्ताह केरल के एर्नाकुलम जिले के मरादु नगर निगम में बने सीआरजेड क्षेत्र में निर्माण कार्य को अवैध ठहराते हुए इन निर्माणों को गिराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये निर्माण तटीय विनियमन ज़ोन नियम विनियम के नियमों के खिलाफ़ हैं। न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने कहा कि अधिसूचित सीआरजेड  क्षेत्र में निर्माण कार्य की अनुमति तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की अनुमति से ही दी जा सकती है। केरल हाईकोर्ट ने इससे पहले उन बिल्डरों की याचिका स्वीकार की थी जिनके खिलाफ नोटिस जारी किए गए थे। हाईकोर्ट का मानना था कि जिनके पास परमिट है उनको स्थानीय प्राधिकरण की ग़लतियों का ख़ामियाज़ा भुगतने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने तीन सदस्यों की एक समिति बना दी जिसमें स्थानीय स्वशासन विभाग, संबंधित नगर निगम के मुख्य निगम अधिकारी और ज़िला कलक्टर बतौर सदस्य शामिल थे। समिति को इस निर्माण कार्य की वैधता, वे किस श्रेणी में आते हैं और यह कि क्या इन भवनों का निर्माण प्रतिबंधित क्षेत्र में हुआ है कि नहीं इसके निर्णय के बारे में रिपोर्ट देने को कहा। इस रिपोर्ट के आधार पर पीठ ने कहा कि जब इस क्षेत्र में निर्माण कार्य हुआ उस समय यह सीआरजेड क्षेत्र था। पीठ ने कहा जहां तक सीआरजेड् क्षेत्र की बात है, इस बारे में 19.2.1991 को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि हाई टाइड लाइन से 200 मीटर के क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हो सकता और सिर्फ़ अधिकृत संरचनाओं की मरम्मत भर हो सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले में पंचायत ने निर्माण की अनुमति का कोई आवेदन अग्रसारित नहीं किया था और केरल राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने भी इस निर्माण के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी। पीठ ने कहा स्थानीय प्राधिकरण के लिए यह ज़रूरी है कि वह समय.समय पर अधिसूचना के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को माने। इसलिए पंचायत 1991 की अधिसूचना को देखते हुए केरल राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की अनुमति के बिना इसकी इजाज़त नहीं दे सकता है। समिति की रिपोर्ट के बाद यह निष्कर्षतः कहा जा सकता कि यह क्षेत्र सीआरजेड् में आता है और इसमें राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की अनुमति के बिना इसकी इजाज़त नहीं दे सकता है। हम केरल में हाल ही में आए आपदा का न्यायिक संज्ञान लेते हैं जो सिर्फ़ इसी तरह के बेलगाम निर्माण के कारण हुआ और जिसकी वजह से जानमाल की भारी क्षति हुई। कोर्ट ने कहा कि पंचायत ने जो अनुमति दी थी वह ग़ैर क़ानूनी था और इसे निरस्त किया जाता है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण कार्या नहीं होना चाहिए था। जांच समिति की रिपोर्ट के अनुरूप आज से एक महीने के भीतर इस क्षेत्र में सभी अवैध निर्माण को गिरा दिया जाए और कोर्ट के इस आदेश का पालन हुआ है इसकी जानकारी इस अदालत को दी जाए।

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