कानून रिव्यू/नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी का विरोध एक बार फिर से तेज हो गया है। शुक्रवार सुबह मंडी हाउस लेकर जंतर.मंतर तक विरोध में रैली निकाली गई। इस मौके पर एक्ट और रजिस्टर के विरोध में नारे भी लगाए गए। इस बार विरोध की इस लड़ाई में ट्रांसजेंडर भी कूद गए हैं। शुक्रवार को निकाली गई विरोध रैली में बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर मौजूद रहे। रैली के बाद उन्होंने जंतर.मंतर पर धरना भी दिया। इस दौरान कई महिला संगठन और छात्र भी शामिल थे। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों से आए छात्रों एवं चित्रकारों ने विश्वविद्यालय परिसर के बाहर मुख्य सड़क पर पेंटिंग्स बनाकर विरोध दर्ज करने का नया तरीका निकाला। छात्रों ने जियो और जीने दो, नो सीएए, नो एनआरसी, मेरा देश, मेरा संविधान जैसे नारों को सड़क पर लिखकर चित्रित किया। दूसरी तरफ जामिया टीचर्स एसोसिएशन जेटीए ने भारत के संविधान को बचाने और विरोध को जारी रखने का निर्णय लिया। जेटीए के सचिव प्रोफेसर माजिद जमील ने छात्रों से परिसर में वापस आने और जामिया परिसर में सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील की। साथ ही प्रशासन से आग्रह किया कि जल्द से जल्द परीक्षा का आयोजन किया जाए। नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में लगातार धरना.प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन को 17.18 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। बिना किसी हिंसा के यह लगातार चल रहा है और हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी रोज यहां पर जुटते हैं और नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ अपनी बात रखते हैं। 31 दिसंबर- 2019 की रात भी इन प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर ही बिताई। इस दौरान हजारों की भीड़ में एक मां भी अपनी 29 दिन की बेटी को गोद में लेकर प्रोटेस्ट कर रही थीं।
यूपी पुलिस ने सीएए विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम युवकों पर की ज्यादतीः राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गयूर उल हसन रिज़वी ने यूपी में हुए विरोध.प्रदर्शन के दौरान पुलिस को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून सीएए और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी के विरोध के दौरान मुस्लिम युवकों पर यूपी पुलिस ने ज्यादती की है। बेकसूर लड़के पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए हैं। उनकी रिहाई के लिए मैंने गृह सचिव और डीजीपीए यूपी से मिलकर एसआईटी का गठन किए जाने का सुझाव दिया था। मैं लगातार दोनों लोगों के संपर्क में हूं। लेकिन बिना सोचे समझे लोगों को सीएए का भी विरोध नहीं करना चाहिए। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गयूर उल हसन रिज़वी ने कहा कि असम में हुई एनआरसी की कार्रवाई एक पुरानी लिखा पढ़ी के तहत हुई है। देश के दूसरे हिस्सों में जो लोग यह सोच रहे हैं कि जब भी एनआरसी होगी तो वो असम जैसी होगी, वो सोचना एकदम गलत है, और अभी तो एनआरसी की कार्रवाई हो भी नहीं रही है। जब होगी तब सोचा जाएगा। अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन ने कहा कि सीएए का विरोध ऐसे लोग कर रहे हैं जिन्होंने अभी उसे समझा नहीं है। असम में सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं देने वाला एक्ट है। इससे मुसलमानों को कतई घबराने की जरूरत नहीं है, जो लोग भी जगह.जगह धरना दे रहे हैं उन्हें उठ जाना चाहिए। विरोध करने से पहले सीएए को एक बार पढ़ जरूर लें।