2021 की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्ट्रर को अपडेट किया जाएगा
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
पहले सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून और फिर एनआरसी की बात से बवंडर खडा हो गया। अब सरकार ने इस शोरगुल के बीच एनपीआर की घोषणा कर दी है। नरेंद्र मोदी सरकार दूसरे इस कार्यकाल में इन ताबडतोड फैसलों के लिए जानी जाएगी। इन सब उलझनों के बीच नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्ट्रर को अपडेट करने को मंजूरी भी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। इसके तहत अब देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। कैबिनेट ने इस पूरी कवायद के लिए 3941 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है। अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जनगणना का यह कार्य अंग्रेजों के जमान से हो रहा है। भारत में अब तक 15 बार जनगणना का काम हुआ है। आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत की आठ बार जनगणना करवाई थी, फिर आजादी के बाद सात जनगणना हो चुकी है। अब 16 वीं जनगणना का काम बेहद आसान कर दिया गया है। इस बार तकनीकी की मद्द ली जाएगी। एक ऐप लॉन्च होगा जिसमें नागरिक जो भी जानकारी देंगे, उन्हें बिल्कुल सही मान लिया जाएगा। भारत में रह रहे हर व्यक्ति की गणना होगी। एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए सरकार में शुरू हुआ और सारे लोगों का रजिस्ट्रर बना और उसके कार्ड मनमोहन सरकार ने वितरित किए थे। 2015 में इसका अपडेशन हुआ। चूंकि जनगणना का काम हर 10 साल में होता ह,ए इसलिए 2020 में जनगणना का काम पूरा करना है। इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है, सभी राज्यों ने नोटिफिकेशन निकाले हैं, सभी राज्यों में कर्मचारियों के प्रशिक्षण हो रहे हैं। जो भी भारत में रहता है, उसकी गणना इसमें होगी। सरकरी सूत्रों का दावा है कि एनपीआर से सरकारी योजनाओं के सही लाभार्थियों की पहचान हो पाएगी और यह भी पता चल पाएगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंच रहा है या नहीं। केंद्र सरकार के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का सापफ कहना है कि एनपीआर से आयुष्मान, उज्ज्वला, सौभाग्य जैसी योजनाओं के लिए लाभार्थियों की पहचान होगी। सभी और सही लाभार्थियों तक योजना का लाभ पहुंचे, यह सुनिश्चित हो सकेगा। बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा, मणिपुर में पीडीएस सर्वम के लिए एनपीआर में दर्ज जानकारी उपयोग में लाई गई। वहीं राजस्थान में भामाशाह योजना के लिए भी इसका इस्तेमाल हुआ। इस पूरी कवायद के लिए 3941.35 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है। 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाएगा। इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्ट्रर को अपडेट किया गया था। असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा।
क्या है, एनपीआर
नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्ट्रर एनपीआर और कुछ भी नहीं है, ये हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही नया रूप है। इसके तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर.घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। एनपीआर में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्ट्रर, ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून 1955 और सिटिजनशिप रूल्स 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है। देश के हर निवासी की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के अधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है। नागरिकता कानून 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था। जिसके तहत एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए। सिटिजनशिप एक्ट 1955 के सेक्शन 14। में यह प्रावधान तय किए गए हैं.।. केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्ट्रर तैयार कर सकती है और इसके लिए नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है। नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के मुताबिक सेक्शन 14 के तहत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ इंडियन सिटिजंस के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और एनपीआर इस दिशा में पहला कदम है। एनपीआर और एनआरसी मेंं क्या अंत है? एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है। यही नहीं बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है। एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून पर बहस के बीच एनपीआर यानी नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्ट्रर को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल हैं। आइए जानते हैं क्या है एनपीआर और क्या होंगे इसके मकसद
1ः-एनपीआर रजिस्ट्रर में क्या जानकारियां देनी होंगी?
एनपीआर रजिस्ट्रर में ये जानकारियां होंगी। व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम यदि विवाहित है, लिंग, जन्म तिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बॉयोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा। 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा।
2ः-क्या एनआरआई भी होंगे एनपीआर का हिस्सा?
एनआरआई भारत के आम नागरिक नहीं माने जाते और उनके बाहर रहने के चलते उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यदि वह भारत आते हैं और यहां रहने लगते हैं तो उन्हें भी एनपीआर में शामिल किया जा सकता है।
3ः-जानबूझकर या गलती से गलत जानकारी देने पर क्या होगा?्
यदि एनपीआर के तहत आप गलत सूचना देते हैं तो सिटिजनशिप रूल्स 2003 के तहत आपको जुर्माना अदा करना होगा।
4ः-क्या एनपीआर के तहत पहचान पत्र जारी होता है?
सरकार एनपीआर के तहत आइडेंटिटी कार्ड जारी करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यह एक तरह का स्मार्ट कार्ड होगा जिसमें आधार का भी जिक्र होगा।
5ः-एनपीआर और आधार के बीच क्या संबंध है?
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक आम रजिस्ट्रर है। इसके तहत जुटाए गए डेटा को यूआईडीएआई को री.ड्युप्लिकेशन और आधार नंबर जारी करने के लिए भेजा जाएगा। इस रजिस्ट्रर में तीन मुख्य चीजें. डेमोग्राफिक डेटा, बॉयोमीट्रिक डेटा और आधार नंबर शामिल होंगे।