विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से फैसला सुनाया
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता शशि थरूर सुनंदा पुष्कर हत्याकांड में बरी हो गए हैं। सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात शहर के एक लग्जरी होटल के एक कमरे में मृत मिली थीं। यह दंपति होटल में ठहरे हुए थे क्योंकि उस समय थरूर के आधिकारिक बंगले का नवीनीकरण किया जा रहा था। शशि थरूर पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए यानी महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसपर क्रूरता करना, धारा 306 अर्थात खुदकुशी के लिए उकसाने के तहत आरोप लगाया गया था, लेकिन इस मामले में गिरफ्तारी नहीं की गई थी। अदालत ने पांच जुलाई 2018 को उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की एक होटल में हुई मौत के मामले में आज बुधवार को आरोपमुक्त कर दिया है। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। थरूर ने न्यायाधीश का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बीते साढ़े सात साल प्रताड़ना में बीते और यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। पुलिस ने अदालत से भारतीय दंड संहिता की धारा 306 ;खुदकुशी के लिए उकसाने समेत विभिन्न आरोपों में आरोप तय करने का आग्रह किया था, जबकि थरूर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने अदालत से कहा कि एसआईटी की जांच राजनीतिक नेता को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से मुक्त करती है। आइए एक नजर डालते हैं अब तक के पूरे घटनाक्रम पर और जानते हैं कि अब तक कब, क्या हुआ?
16 जनवरीए 2014ः-सुनंदा पुष्कर ने पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के साथ ट्विटर पर शशि थरूर के साथ कथित संबंध को लेकर बहस की।
17 जनवरी 2014ः-दिल्ली के लीला पैलेस होटल में पुष्कर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गईं, उनकी मेडिकल हिस्ट्री के कारण, आत्महत्या के संदेह और ड्रग ओवरडोज की आशंका जाहिर की गई।
19 जनवरीए 2014ः-कई रिपोर्टों में कहा गया कि पुष्कर का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने खुलासा किया कि उनके हाथों पर एक दर्जन चोट के निशान थे और उनके गाल पर खरोंच थी। उन्होंने कहा कि उनके शरीर में नाम मात्र एंटी एंजाइटी दवा एप्राजोलम मौजूद थी और नशीली दवाओं के ओवरडोज का कोई संकेत नहीं था।
21 जनवरीए 2014ः-जांच का नेतृत्व कर रहे सब डिविजिनल मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुष्कर की मौत जहर खाने से हुई।
23 जनवरी 2014ः-जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को दे दी गई, उसी दिन उनके शरीर में एंटी एन्जाइटी और एंटी ड्रिप्रेशन की दवा के अंश पाए गए।
25 जनवरी 2014ः- मामला वापस दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया।
2 जुलाईए 2014ः-पुष्कर का पोस्टमॉर्टम करने वाले पैनल का नेतृत्व कर रहे एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन पर ऑटोप्सी रिपोर्ट को बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा था।
30 सितंबर 2014ः- एम्स के डॉक्टर ने दिल्ली पुलिस को विसरा रिपोर्ट सौंपी।
1 जनवरीए 2015ः- दिल्ली के तत्कालीन पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने निष्कर्ष निकाला कि पुष्कर की मौत आत्महत्या नहीं, हत्या के कारण हुई थी। दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 302 यानी हत्या के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
15 जनवरीए 2015ः- दिल्ली पुलिस को मौत के कारण जानने के लिए पुष्कर के विसरा नमूनों पर यूएस एफबीआई लैब रिपोर्ट पर एम्स मेडिकल बोर्ड की सलाह मिली।
नवंबर 2015ः- दिल्ली पुलिस ने पत्रकार नलिनी सिंह से मदद मांगी। सिंह कथित तौर पर पुष्कर से बात करने वाले अंतिम लोगों में से एक थीं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुष्कर ने थरूर और तरार के बीच हुई चैटिंग को हासिल करने के लिए कथित तौर पर सिंह से मदद मांगी थी।
फरवरी 2016ः- दिल्ली पुलिस के एक विशेष जांच दल ने थरूर से पूछताछ की। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि पुष्कर की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी।
मार्च 2016ः- दिल्ली आने के बाद तरार एक वरिष्ठ अधिकारी से मिलीं और पुष्कर की मौत से जुड़ी किसी जानकारी से इनकार किया।
जुलाई 2017ः- भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी सुनंदा पुष्कर की मौत की एसआईटी जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे।्
26 अक्टूबरए 2017ः-हाईकोर्ट ने स्वामी की याचिका खारिज करते हुए उनकी जनहित याचिका को राजनीतिक हित मुकदमेबाजी का उदाहरण बताया।
जनवरी 2018ः- स्वामी ने एसआईटी जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में एक साल की देरी हुई।
फरवरी 2018ः- सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।
अप्रैल 2018ः- दिल्ली पुलिस का कहना है कि मामले में पूरी तरह से पेशेवर और वैज्ञानिक जांच करने के बाद अंतिम रिपोर्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया है।
मई 2018ः- दिल्ली पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की।
मई 2018ः- मामला अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में ट्रांसफर किया गया।
मई 2018ः-कोर्ट ने इस मामले में थरूर को आरोपी के तौर पर समन करने पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
जून 2018ः-सुनंदा पुष्कर के मामले में अदालत ने थरूर को आरोपी के रूप में समन किया, कहा कि उनके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
अगस्त 2019ः- दिल्ली पुलिस ने शहर की एक अदालत से कांग्रेस सांसद पर आत्महत्या के लिए उकसाने या उनकी पत्नी की मौत के मामले में हत्या के आरोप में विकल्प के रूप में् मुकदमा चलाने का आग्रह किया।
फरवरी 2020ः- दिल्ली हाईकोर्ट ने थरूर की उस याचिका पर आप सरकार से जवाब मांगा कि पुलिस को निचली अदालत के समक्ष उनकी पत्नी के 2014 में उनकी मृत्यु से पहले के कुछ ट्वीट पेश करने का निर्देश दिया जाए। थरूर ने दावा किया कि उनकी पत्नी के ट्वीट उनकी मनःस्थिति का हाल बयान कर सकता है।
जून 2020ः- थरूर ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पुलिस को निर्देश देने की मांग की कि उनकी पत्नी द्वारा उनकी मृत्यु से पहले किए गए ट्वीट और ट्विटर अकाउंट को संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जाएं।्
अगस्त 2021ः- दिल्ली की अदालत ने थरूर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।