कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————– सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल शेयर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए सभी दलों को 30 मई तक का वक्त दिया है। पहले केंद्र ने इस मामले में आम चुनाव तक हस्तक्षेप नहीं करने की अपील की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी बॉन्ड खरीदे जाते हंै। चुनावी बॉन्ड योजना को राजनीतिक चंदे के लिए नकदी के एक विकल्प के रूप में पेश किया गया है। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारर्दिशता लाने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है। चुनावी बॉन्ड खरीदकर किसी पार्टी को देने से बॉन्ड खरीदने वाले को कोई फायदा नहीं होगा, न ही इस पैसे का कोई रिटर्न है। ये पैसा पॉलिटिकल पार्टियों को दिए जाने वाले दान की तरह है। एसबीआई की जिन 29 शाखाओं को इन बॉन्ड्स को जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है, उनमें नई दिल्ली, गांधीनगर, पटना, चंडीगढ, बेंगलुरु, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कोलकाता और गुवाहाटी की शाखाएं शामिल हैं। बॉन्ड की मियाद 15 दिनों की होती है, यानी खरीदने के 15 दिन बाद पॉलिटिकल पार्टी को बॉन्ड दे देना है वो भी पंजीकृत राजनीतिक दल को, पार्टी भी इन्हें सिर्फ अधिकृत बैंक खाते के जरिए ही भुना सकेगी। खरीदने वाले का केवाईसी जरुरी होगा। ये बॉन्ड उन्हीं पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जा सकेंगे जिन्हें पिछले चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिले हों।