सुप्रीम कोर्ट में गुनाहागर अक्षय की फांसी पर पुर्नवविचार याचिका खारिज होने से जाने मिला इंसाफ
अक्षय ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर किए जाने के लिए समय मांगा
पटियाला हाउस कोर्ट ने अभी डेथ वारंट जारी किए जाने से किया इंकार
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
राजधानी के निर्भया दुष्कर्म मामले के फांसी की सजा पाने वाले दोषी अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए0एस0 बोपन्ना की पीठ ने करीब एक घंटे तक याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है। अक्षय कुमार सिंह की पुर्नविचार याचिका में कहा गया कि मौत की सजा पर अमल अपराध को नहीं बल्कि सिर्फ अपराधी को मारता है। इतना ही नहींए दोषी ने अपनी याचिका में फांसी से बचने के लिए पुराण.उपनिषद का भी जिक्र किया है और दिल्ली में प्रदूषण का भी। उसके वकील ने यह दलील देते हुए दया की मांग की है कि दिल्ली में बढ़ते वायु एवं जल प्रदूषण के चलते वैसे ही आयु छोटी हो रही है। कोर्ट में अक्षय की ओर से पेश वकील ए0पी0 सिंह ने दलीलें दी और कहा कि मामले की जांच सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि हमारे पास नए तथ्य हैं। मीडिया, राजनीति और जनता के दवाब में अक्षय को दोषी ठहरा दिया गया। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ित का दोस्त मीडिया से पैसे लेकर इंटरव्यू दे रहा था। इससे केस प्रभावित हुआ। वह विश्वसनीय गवाह नहीं था। इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि इसका इस मामले से क्या संबंध है? वकील ने कहा. वह लड़का मामले में इकलौता चश्मदीद गवाह है। उसकी गवाही मायने रखती है। रेयान इंटरनेशनल केस में स्कूल छात्र की हत्या का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में बेकसूर को फंसा दिया गया था। अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता। इसलिए हमने इस केस मे भी सीबीआई जांच की मांग की थी, बाद में दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि संबंधित मामले में मानवता शर्मसार हो गई थी और भगवान को भी इस तरह के हैवान बनाने के लिए खुद को शर्मिंदा होना पड़ा होगा। उन्होने किसी प्रकार की राहत दिए जाने का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार.बार सुनवाई के लिए नहीं होती। हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला। इससे पहले हाईकोर्ट ने चारों को मौत की सजा के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी। दक्षिण दिल्ली में 16.17 दिसंबर- 2012 की रात चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया को बाद में 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में निधन हो गया था। इस प्रकरण में 33 वर्षीय अक्षय के अलावा तीन अन्य दोषियों की पुनर्विचार याचिका न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है। वहीं निर्भया के दोषियों को डेथ वारंट जारी करने को लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस में सुनवाई 7 जनवरी तक के लिए टाल दी गई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई करते हुए निर्भया की मां से कहा कहा कि आपके के साथ पूरी सहानुभूति है, लेकिन दोषी के भी अधिकार हैं। हम यहां आपको सुनने के लिए हैं लेकिन कानून से भी बंधे हैं। सरकारी वकील ने दिल्ली कोर्ट में दलील दी कि लंबित दया याचिका, अदालत को डेथ वारंट जारी करने से नहीं रोक सकती। पीड़िता के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि हम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। जब तक पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी नहीं किया जाता है, हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे।. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समीक्षा करने के लिए सात दिन दिए जा सकते हैं और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित है। इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता निर्धारित समय के भीतर ही दया याचिका फाइल कर सकते हैं। इस मामले में मुजरिमों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की अंतिम मुहर लग जाने के बाद वक्त जैसे.जैस बीत रहा है। इस मामले से जुड़ी कोई न कोई नई जानकारी बाहर आ रही है। दिल्ली में जहां तिहाड़ जेल नंबर.3 में मौजूद फांसी.घर की साफ.सफाई के बाद उसकी सुरक्षा मजबूत कर दी गई है वहीं दूसरी ओर निर्भया के मुजरिमों को फांसी चढ़ाने वाले संभावित जल्लादों में सबसे आगे चल रहे उप्र के मेरठ शहर निवासी पुश्तैनी जल्लाद पवन कुमार को जेल अफसरों ने तमाम हिदायतें देनी शुरू कर दी हैं। जेल अफसरों ने पुश्तैती जल्लाद पवन को सलाह दी कि मीडिया की सुर्खियों से बचे और इधर उधर भीड भाड वाले जगहों पर घूमने से भी परहेज रखी जो उसकी सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चार मुजरिमों को एक साथ एक जल्लाद फांसी कैसे चढ़ा पाएगा, जबकि चारों की मौत की सजा पर अदालत की अंतिम मुहर के बाद चारों को एक साथ ही फंदे पर लटकाया जाना जरूरी होगा। पवन जल्लाद ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि एक साथ चार फंदे टांगूंगा। फिर एक.एक करके चारों मुजरिमों को पहले पीछे की ओर पीठ की तरफ, दोनों हाथ, फिर रस्सी से दोनों पांव बांध दूंगा। चारों को गले में फंदा डालकर खड़ा कर दूंगा। जैसे ही जेलर रुमाल हिलाकर इशारा करेगा, एक साथ चारों ही फंदों के तख्ते का लीवर खींच दूंगा। आधे घंटे या फिर 45 मिनट बाद मौत के कुंए में लटक रहे शवों की पड़ताल के लिए सबसे पहले मैं जल्लाद और एक डॉक्टर उतरेगा। जब डॉक्टर और जल्लाद चारों की मौत हो जाने का इशारा करेंगे तब कुंए के भीतर मौजूद लाइट्स बल्बों को जलाकर रोशनी की जाएगी। उसके बाद जल्लाद और डॉक्टर के इशारे पर फांसी घर के कुएं से चंद कदम दूर खड़े जेलर साहब कुंए की तरफ बढ़ेंगे और मौका.मुआयना करने के बाद कागज पर मौके के हालात लिखित में दर्ज करेंगे।