ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा
कानून रिव्यू/
उत्तर प्रदेश
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मुमताज डिग्री कॉलेज में 3 घंटे चली बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ये निर्णय लिया है। बोर्ड की प्रेस कांफ्रेंस में सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि बोर्ड ने तय किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पेटीशन दाखिल करेगा। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने साथ ही फैसला किया है कि मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ की जमीन मंजूर नहीं है। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्मभूमि.बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिए बुलाया था। उन्होंने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ.साथ अन्य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय समझ से परे है। लिहाजा, इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए। इसके अलावा एक अन्य पक्षकार मिसबाहुद्दीन ने भी फोन पर बात करके यही राय जाहिर की। जिलानी ने बताया कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं लेनी चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक अध्यक्ष हजरत मौलाना सैय्यद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई। इसमें मुख्य तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले में दिए गए 10 निष्कर्षों मुद्दों पर चर्चा हुई। जिनमें प्रमुख रूप से सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1857 से 1949 तक बाबरी मस्जिद का तीन गुंबद वाला भवन और मस्जिद का अंदरूनी सदन मुसलमानों के कब्जे व प्रयोग में रहा है और अंतिम नमाज 16 दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी। 22,23 दिसंबर 1949 की रात को बाबरी मस्जिद के बीच वाले गुंबद के नीचे असंवैधानिक रूप से रामचंद्रजी की मूर्ति रख दी गई और बीच वाले गुंबद के नीचे की भूमि को जन्मस्थान के रूप में पूजा किया जाना साबित नहीं है। जमीन हिंदुओं को दी गई है इसलिए 5 एकड़ जमीन दूसरे पक्ष को दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के 142 का इस्तेमाल कर यह बात कही। इसमें वक्फ एक्ट का ध्यान नहीं रखा गया, उसके मुताबिक मस्जिद की जमीन कभी बदली नहीं जा सकती है। एएसआई के आधार पर ही कोर्ट ने यह माना कि किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण नहीं हुआ था। ऐसे में कोर्ट का यह फैसला समझ से परे है और गैरमुनासिब है। वहीं बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन यानी पुनर्विचार अर्थात समीक्षा याचिका दायर करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें मालूम है रिव्यू पिटीशन का हाल क्या होना है? लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। उन्होंने आगे कहा कि बोर्ड की बैठक में क्या फैसला हुआ यह प्रेस कॉन्फ्रेंस में पता चलेगा? अरशद मदनी ने कहा कि हम न मस्जिद को दे सकते हैं और न ही उसकी जगह कोई जमीन ले सकते हैं। मुकदमे में हमें हमारा हक नहीं दिया गया। इसलिए इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी। इस मामले में अधिकतर पक्षकारों की राय. फैसले के खिलाफ अपील किए जाने की है। एक दिन पहले ही मामले से जुड़े मुस्लिम पक्षकारों ने बोर्ड को अपनी राय दी कि वह फैसले के खिलाफ अपील की मंशा रखते हैं। उन्होंने यह भी राय दी है कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिए। इन पक्षकारों ने पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्वाहिश जाहिर की। जब कि दूसरी ओर मामले से जुड़े एक अहम पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है। इकबाल बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह फैसले से खुश हैं।
मसला यहीं खत्म किया जाए, हम अब रिव्यू दाखिल नहीं करेंगेः इकबाल अंसारी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि फैसला आ गया है और फैसले को हमने मान भी लिया और अब हम आगे नहीं जाना चाहते। हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं। इकबाल अंसारी ने कहा कि यह हिंदुस्तान का अहम फैसला था। हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे। हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए, जितना मेरा मकसद था, उतना मैंने किया। घर अल्लाह का है और अल्लाह मालिक है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला कर दिया, उसे मान लो। अयोध्या समेत पूरे देश में शांति का माहौल बना रहे, देश तरक्की करें। हम पक्षकार थे और हम अब रिव्यू दाखिल करने आगे नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षकार ज्यादा हैं, कोई क्या कर रहा है नहीं मालूम लेकिन हम अब रिव्यू दाखिल नहीं करेंगे।