मुरादाबाद की विशेष न्यायालय मे हैं,ं फिलहाल सांसद,.विधायकों के खिलाफ 16 आपराधिक केस विचाराधीन
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब कई माननीयों के मुकदमा वापसी की प्रक्रिया पर ब्रेक लग जाएगा। आपराधिक केस वापसी की जुगत में लगे माननीयों को सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से तगड़ा झटका लगा है। यूपी की बात करें तो मुरादाबाद की विशेष न्यायालय में फिलहाल सांसद,.विधायकों के खिलाफ 16 आपराधिक केस विचाराधीन हैं। यह आपराधिक मामले भाजपा और सपा समेत सभी महत्वपूर्ण सियासी दलों के माननीयों से जुड़े है। छजलैट और कांठ प्रकरण में माननीयों के खिलाफ केस वापस लेने के लिए शासन की ओर से पत्र भी जारी किया है। इनमें छजलैट केस में आरोपी सांसद आजम खां समेत अन्य के खिलाफ स्थानीय अदालत ने पत्र पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया, जबकि कांठ प्रकरण में शासन के मुकदमा वापसी आदेश पर सुनवाई होनी बाकी है। इन माननीयों के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई के लिए एमपी.एमएलए की स्पेशल कोर्ट हर जिले में गठित की गई है। मुरादाबाद में रामपुर के सांसद आजम खां, मुरादाबाद के सपा सांसद डा0 एसटी हसन, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री चौ0 भूपेंद्र सिंह के अलावा सपा और भाजपा विधायकों के आपराधिक मामलों की सुनवाई एमपी.एमएलए की स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन है। बसपा सरकार में 2008 में छजलैट में सपा नेता आजम खां की चेकिंग के लिए गाड़ी रोकने को लेकर बवाल हुआ था। इस केस में अब सांसद आजम, बेटा अब्दुल्ला के अलावा अमरोहा से विधायक महबूब अली, बिजनौर के मनोज पारस, नईमुल हसन और मुरादाबाद के हाजी इकराम कुरैशी के अलावा सपा नेता समेत नौ लोगों के खिलाफ छजलैट प्रकरण में केस दर्ज हैं। जयाप्रदा केस में सांसद डा0 एसटी हसन, रामपुर के आजम.अब्दुल्ला, पालिका चेयरमैन पति अजहर के अलावा संभल के जिलाध्यक्ष फिरोज खां आदि नेता आरोपित हैं। तत्कालीन सपा सरकार में शासन ने छजलैट प्रकरण में दर्ज मुकदमों के वापस लेने के आदेश दिए थे। शासन के मुकदमा वापसी पत्र पर एमपी.एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। इस पर कोर्ट ने केस वापसी पत्र को खारिज कर मुकदमा चलाने के आदेश दिए। इसके अलावा ठाकुरद्वारा से सपा विधायक नवाबजान के खिलाफ आचार संहिता का उल्लंघन की सुनवाई विचाराधीन है। इसी तरह भाजपा सरकार में कांठ प्रकरण में भी केस वापसी के आदेश हुए हैं। मौजूदा केबिनेट मंत्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह, शहर विधायक के अलावा मुरादाबाद, अमरोहा और संभल के करीब 80-.85 लोगों के खिलाफ दर्ज केस की वापसी के आदेश दिए हैं। वैसे कोर्ट में इस पर अभी सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है, जबकि केसों में स्पेशल कोर्ट में सुनवाई लगातार चल रही है। कांठ प्रकरण में अब तक 7 सरकारी गवाह पेश होकर बयान रिकार्ड करा चुके हैं। बचाव और अभियोजन पक्ष भी गवाहों से जिरह मुकम्मल कर चुका है। पूर्व सांसद सर्वेश कुमार सिंह और अन्य के खिलाफ कोर्ट में केस विचाराधीन है। मुरादाबाद डीजीसी क्रिमिनल नितिन गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उचित है। इससे राजनीति में साफ छवि के लोग आएंगे। प्रतिष्ठित संसद और विधानसभा में आपराधिक लोगों का हस्तक्षेप भी कम होगा। वहीं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजीव अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि है। जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमे वापसी से राजनीति में अपराधियों के प्रवेश पर प्रभावी अंकुश लगेगा। राजनीति में सुधार की संभावनाएं भी जगेंगी।