कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आपसी समझौते से तलाक लेने वाले दंपत्ति को कहा कि समझौते की शर्तो का पालन करे या फिर कोर्ट की अवमानना के लिए तैयार रहे। पति ने इस मामले में शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की थी क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत के उस आदेश को सही ठहराया था,जिसमें जिला कोर्ट ने उसकी तलाक की अर्जी को नामंजूर कर दिया था। इस मामले में अपील पर सुनवाई के दौरान पीठ ने दंपत्ति को मध्यस्थता केंद्र में भेज दिया था। मध्यस्थता केंद्र में दोनों पक्षकार आपस में मिलकर मामला सुलझाने के लिए तैयार हो गए और एक अलग अर्जी दायर कर भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत आपसी सहमति से विवाह को भंग करने के लिए सहमति व्यक्त की। समझौते की शर्तो के अनुसार पति ने अपनी पत्नी को दस लाख रुपए व बेटी को तीन लाख रुपए देने के लिए सहमति जताई। उसने इस बात के लिए भी सहमति जताई की बेटी की शादी के समय वह एक लाख रुपए और देगा। दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि दोनों पक्षों के बीच लंबित तीनों केस को वापस ले लिया जाएगा या वे उनको रद्द करने के लिए अपनी सहमति दे देंगे। शादी को भंग करते समय जस्टिस आर भानुमथि व जस्टिस एस0 अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि. समझौते की शर्तो का पालन न करने की स्थिति में,पक्षकार कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपायों के अलावा इस न्यायालय की अवमानना के लिए भी उत्तरदायी होंगे।