मानसिक रूप से बीमार महिला से सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने रोहतक में मानसिक रूप से बीमार महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या करने वाले 7 दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने 7 दोषियों द्वारा दायर याचिका की अनुमति दी। इस दौरान वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने यह दलील दी कि न तो ट्रायल कोर्ट और न ही हाई कोर्ट ने मौत की सजा देने से पहले प्रत्येक अभियुक्त की परिस्थितियों पर विचार किया जिससे उनकी सजा कम हो सके। यह बचन सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले का उल्लंघन है। बीते मार्च में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से बीमार महिला से सामूहिक बलात्कार के आरोपी 7 लोगों की मौत की सजा की पुष्टि की थी। अपराध को पशुता और क्रूरता की सुनामी के रूप में वर्णित करते हुए न्यायमूर्ति ए0 बी0 चौधरी और न्यायमूर्ति सुरिंदर गुप्ता की पीठ ने आरोपियों पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसे उनसे संबंधित अचल संपत्ति जैसे प्लॉट, घर, कृषि भूमि आदि को संलग्न,बेचकर वसूला जाना था। पीठ ने आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा की पुष्टि की थी। पशुता, क्रूरता की सूनामी की अभियोजन पक्ष की बात से सहमत पीठ ने यह माना था कि यह मामला निर्भया के मामले जैसा है और पीठ आश्वस्त है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सभी अभियुक्तों के लिए मौत की सजा ही एकमात्र ऐसी सजा है जिसे सुनाया जा सकता था। इस केस को दुर्लभतम से भी दुर्लभ मानते हुए पीठ ने कहा था कि एक मानसिक रूप से बीमार महिला जो रोहतक शहर के बाहरी इलाके में स्थित अपनी बहन के घर से निकली थी और उसने खुले क्षेत्र की ओर चलना शुरू कर दिया था कि तभी अभियुक्तों द्वारा उसे जबरन रोका गया और उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया गया। दो स्थानों पर अभियुक्तों द्वारा एक के बाद एक उसके साथ बलात्कार किया गया था। अभियुक्तों ने शराब का सेवन भी किया था। पुलिस की जीप के गुजरने के डर से उन्होंने मौके को बदल दिया। उन्होंने उस महिला को मैदान में धकेल दिया और उसे ईंटों से मारना शुरू कर दिया। फिर उसके साथ बलात्कार किया और उसे फिर से ईंटों से मारा। वह अभी भी जीवित थी। लगभग आधी मृत युवती की पीड़ा कितनी कष्टदायी रही होगी। उस महिला के साथ की गई पशुता, उसे पहुचाई गई पीड़ा, क्रूरता का उच्चतम क्रम या कहें, क्रूरता की सुनामी है और यह हम सब को झकझोर के रख सकती है। यही नहीं महिला की गुदा पर एक सीमेंट की चादर रख दी और उसे ईंट से मारते हुए अंदर फैंक दिया। महिला ने आखिरी बार चीख कर अंतिम सांस ली। अब हम खुद से सवाल पूछते हैं कि इस मामले को दुर्लभतम से भी दुर्लभ मानने के लिए और क्या आवश्यक है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या करने वाले 7 दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी है।