कानून रिव्यू/नई दिल्ली
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गौतमबुद्धनगर में बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट और यमुना एक्सप्रेस-वे की सौगात देने वाला जेपी इन्फ्राटेक अब दिवालिया घोषित होने के कगार पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट जेपी को दिवालिया घोषित करने की सुनवाई आगामी 11 सितंबर 2017 को करने जा रहा है।
आईडीबीआई बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश पर संशोधन की मांग की है।. सुप्रीम कोर्ट आईडीबीआई की अर्जी पर सुनवाई को तैयार हो गया है और इस बाबत वह सोमवार 11 सितंबर को सुनवाई करेगा।
आईडीबीआई बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जो सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, उससे फ्लैट खरीदारों को नही बल्कि जेपी इन्फ्रा को फायदा हुआ है। आईडीबीआई बैंक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कल के आदेश के बाद अगर कोई चैन से सोया होगा तो वो जेपी इन्फ्रा होगा। साथ ही ये भी कहा कि जेपी इन्फ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक के बाद सारा प्रोजेशन वापस जेपी इन्फ्रा के पास चला गया। आईडीबीआई बैंक ने मांग की कि छब्स्ज् के आदेश को बहाल किया जाना चाहिए क्योंकि जेपी इन्फ्रा को टेकओवर कर लिया गया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापस कंपनी जेपी के पास चली गई।
दरअसल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल के आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इससे नोएडा और ग्रेटर नोएडा के करीब 32,000 फ्लैट खरीददारों को राहत मिली है, जिन्होंने कंपनी की परियोजनाओं में निवेश किया था।
ट्राइब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने 9 अगस्त को ही कंपनी को दिवालिया श्रेणी में डालने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद उन ग्राहकों की चिंताएं बढ़ गई थीं, जिन्होंने निर्माणाधीन फ्लैटों में निवेश किया है और अब तक पजेशन का इंतजार कर रहे है।
नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि 8,365 करोड़ रुपये के कर्ज में फंसी कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अब 270 दिनों का समय दिया जाएगा. यदि इस बीच कंपनी की वित्तीय स्थिति नहीं बदली तो उसकी संपत्ति जब्त हो जाएगी.
इसके बाद ही फ्लैट खरीददारों की चिंताएं बढ़ने लगी थीं। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खरीददारों की समस्या को हल करने का वादा किया था। कंपनी पर अकेले आईडीबीआई बैंक का ही 4,000 करोड़ रुपये बकाया है।
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