अध्यादेश में प्रावधान है कि सरकार 180 दिनों के अंदर मामले की छानबीन करने के बाद मंजूरी देगी या उसे खारिज करेगी
जज, मजिस्ट्रेट, लोक सेवकों या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ शिकायत इजाजत के बगैर दर्ज नहीं होगी
- कानून रिव्यू/ राजस्थान
………………………………..राजस्थान सरकार ऐसा कानून लाने जा रही है कि यदि किसी अधिकारी,जज,मजिस्ट्रेट तथा सांसद विधायकों के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो पुलिस यह इजाजत नही होगी कि उसकी एफआईआर तत्काल दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर सकें। इसके लिए बाकायदा सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होगी। नए कानून में मीडिया पर भी यह पाबंदी लगाई जाएगी कि आरोप लगने के 6 माह बाद ही सवाल पूछे जा सकेंगे। राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार कल यानी 23 अक्टूबर 2017 को शुरू होने जा रहे विधान सभा सत्र में जजो, मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों तथा लोक सेवकों को सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला बिल पेश करेगी। यह बिल हाल ही में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगी। प्रस्तावित बिल के मुताबिक ड्यूटी के दौरान राज्य के किसी भी कार्यरत जज, मजिस्ट्रेट, लोक सेवकों या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत सरकार की इजाजत के बगैर दर्ज नहीं की जा सकेगी। यानी इनके खिलाफ कोर्ट में या पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं की जा सकेगी। अगर कोई व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज कराता है तो पहले सरकार से उसकी मंजूरी लेनी होगी। अध्यादेश में प्रावधान है कि सरकार 180 दिनों के अंदर मामले की छानबीन करने के बाद मंजूरी देगी या उसे खारिज करेगी। अगर 180 दिनों में ऐसा नहीं करती है तो माना जाएगा कि सरकार ने जांच की मंजूरी दे दी है। अध्यादेश का स्थान लेने जा रहे नए कानून के मुताबिक मीडिया भी 6 महीने तक किसी भी आरोपी के खिलाफ न तो कुछ दिखाएगी और न ही छापेगीए जब तक कि सरकारी एजेंसी उन आरोपों के मामले में जांच की मंजूरी न दे दे। इसका उल्लंघन करने पर दो साल की सजा हो सकती है। 6 सितंबर को जारी अध्यादेश आपराधिक कानून ;राजस्थान संशोधनद्ध अध्यादेशए 2017 को बदलने के लिए सरकार राजस्थान विधान सभा में आपराधिक प्रक्रिया ;राजस्थान संशोधनद्ध विधेयक लाएगी।