——गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा शहर में जिस तरह से बसावट बढती जा रही है, विभिन्न तरह की संस्कृतियां और समाज भी जन्म लेते जा रहे हैं। सृष्टि की रचना और समाज के निर्माण में नारी शक्ति का भी खासा योगदान रहा है। ग्रेटर नोएडा के निर्माण और विकास में भी नारी यानी महिलाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान हैं। समाज के अन्य वर्गो के साथ महिलाओं को भी सुरक्षा व्यवस्था की खामियों से दो चार होना पडता है। कहीं चैन लूट ली जाती है तो कहीं अस्मत तो कहीं अपहरण व हत्याएं अर्थात यों कहें कि असुरक्षा की शिकार तो ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं। घरेलू हिंसा, यौन शोषण और दहेज जैसे अपराधों की शिकार भी महिलाएं होती हैं। इस तरह की पीडित महिलाओं की मद्द के लिए समाज के बीच से निकल कर महिला संगठन आते हैं। यहां पर महिलाओं के हकों की आवाज बुलंद करने के लिए महिला शक्ति सामाजिक समिति और महिला शक्ति उत्थान मंडल जैसे संगठन आसित्व में आ चुके हैं। कानून व्यवस्था पर एक नजर विशेष कॉलम में इस बार महिला शक्ति सामाजिक समिति की अध्यक्ष श्रीमती साधना सिन्हा से ’कानून रिव्यू’ ने खास बातचीत की है। श्रीमती सिन्हा महिला सुरक्षा,उत्पीडन, शोषण आदि विषय पर प्रकाश डाल रही है आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंशः-
——मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
महिला शक्ति सामाजिक समिति ग्रेटर नोएडा अध्यक्ष श्रीमती साधना सिन्हा से कानून रिव्यू की खास बातचीत
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जीवन परिचयः-
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नामः–श्रीमती साधना सिन्हा
पति का नामः–श्री संजय कुमार सिन्हा
जन्म तिथिः– 06-02-1966
मूल स्थानः– गया, बिहार
शिक्षाः–एम0ए0-(इतिहास) मगध यूनिवर्सिटी, बिहार
पदः–अध्यक्ष- महिला शक्ति सामाजिक समिति ग्रेटर नोएडा, जिला गौतमबुद्धनगर ( उत्तर प्रदेश)
पदभारः– अध्यक्ष महिला शक्ति सामाजिक समिति ग्रेटर नोएडा वर्ष 2015 से आज तक
पूर्व पदः– सदस्य महिला शक्ति सामाजिक समिति ग्रेटर नोएडा, जिला- गौतमबुद्धनगर
……… ग्रेटर नोएडा में महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए महिला शक्ति सामाजिक समिति कब आसित्व में आई और फिलहाल कितने सदस्य हैं?
- — ग्रेटर नोएडा सिटी में समाज का निर्माण और विकास जैसे ही शुरू हुआ महिलाओं की समस्याएं भी प्रकाश में आना शुरू हुईं। वर्ष 2007 में महिला शक्ति समाजिक समिति नाम से यह संगठन पंजीकृत कराया गया और फिलहाल संगठन में 70 सदस्यां हैं।
……….. समिति के समक्ष आपके कार्यकाल में कितने मामले आ चुके हैं और कितने का निस्तारण कराया जा चुका है?
- — वर्ष 2015 में मैने अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था तब से आज तक 30 मामले आ चुके हैं और जिनमें से 50 प्रतिशत मामलों का निस्तारण कराया जा चुका है।
………….. पीडिताओं के मामले सीधे ही आते हैं या फिर पुलिस के माध्यम से आते हैं?
- —जुल्म और ज्यादतियों की शिकार पीडिता सीधे आकर भी मिलती है और पुलिस के द्वारा भी मामले आते हैं। जब कि ज्यादातर योगदान मीडिया का रहता है। पीडिता मीडिया के संपर्क में आती हैं तो मीडियाकर्मियों के द्वारा महिला शक्ति सामाजिक समिति का संपर्क न0 मुहैया करा दिया जाता है। तब पीडिता संपर्क करती हैं तो कार्यकारणी की सदस्याएं पूरे मामले को समझ कर मद्द करती हैं।
……….महिलाओं की समस्याएं किस प्रकार की ज्यादा होती हैं, अपराध की शिकार महिलाएं आती हैं?
- —जी, महिलाओं की असुरक्षा से संबंधित समस्याएं होती हैं जैसे चैन स्नैचिंग,लूट, अपहरण। इसके अलावा दहेज उत्पीडन, घरेलू हिसां और यौन शोषण जैसे मामले आते हैं।
……………..पारिवारिक मामलों को हल कराने के लिए सीधे पुलिस की मद्द ली जाती है अथवा मध्यस्थता जैसे विकल्प पर भी काम किया जाता है?
- —–पारिवारिक मामलों में सतकर्तता बरती जाती है। महिला शक्ति समिति इस तरह के मामलों में कांउसलिंग करती है। पति और पत्नी अलग अलग पक्षों को बुला कर मध्यस्थता कर मामले को निपटाने पर जोर रहता है। कई बार कोई एक पक्ष सूचना देने पर भी नही आता है तो महिला कार्यकारणी सदस्या उनके घर पहुंच कर कांउसलिंग करती हैं। जिले की महिला सेल में भी काउसलिंग के जरिए मामलों को सुलझाने पर जोर रहता है। सप्ताह में एक दिन वह स्वयं जिले की महिला सेल सूरजपुर पहुंच कांउसलिंग कर मामले के निटारे का प्रयास करती हैं।
………………एसएसपी कार्यालय के तहत कार्यरत महिला सेल मामलों को निस्तारित करने के प्रति कितनी गंभीर है?
- —–सूरजपुर एसएसपी कार्यालय में महिला सेल बेहतर कार्य कर रही है और जहां परिवार परामर्श केंद्र शुरू किया जा चुका है। परिवार परामर्श केंद्र में सप्ताह के प्रत्येक गुरूवार को वह स्वयं और वरिष्ठ नागरिक समाज ग्रेटर नोएडा के पूर्व महासचिव हरिश्चंद गुप्ता जाकर कांउसलिंग करते हैं।
………………..महिला शक्ति सामाजिक समिति में कांउसलिंग और मामलों में कार्यवाही कराने के लिए विशेषज्ञ भी जुड हुए हैं?
- —- नही, कोई विषय विशेषज्ञ नही है बल्कि समिति की अनुभवी और वरिष्ठ 11 सदस्याएं हैं जो पहले मामलें का अध्यन्न कर, समझती हैं और फिर कांउसलिंग या पुलिस अथवा महिला सेल के द्वारा हल कराने का प्रयास किया जाता है।
……………….. हाईटेक शहर ग्रेटर नोएडा में मेड के शोषण और उत्पीडन के मामलें आते हैं?
- —-जी, बिल्कुल ग्रेटर नोएडा एक हाईटेक सपनो का शहर है। यहां हाई क्लास लोग भी अच्छी तादाद में रहते हैं। घेरलू नौकरानी यानी मेड हाई क्लास लोगों के घरों में काम करती हैं। कई बार देखा जाता है कि मेड का कई तरह से शोषण किया जाता है। इसी तरह का एक मामला जेपी ग्रीन सोसायटी से आया था। मेड सुमन को कई माह से सैलरी नही दी जा रही थी और बंधुवा मजदूरों जैसा व्यवहार किया जा रहा था। मामले की सूचना मिली तो पुलिस की मद्द से सुमन को मुक्त कराया था। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए जागरूकता की आवश्यकता है,मेड काम पर जाने से पहले लेबर कोर्ट में पहला अपना पंजीकरण कराएं और वहीं दूसरी ओर हाउस ऑनर को मेड, एजेंंसी के माध्यम से हायर करनी चाहिए।
……………. ऐसा कोई मामला बताइए जिसे हल कराने के बाद सबसे ज्यादा खुशी प्राप्त हुई हो?
—— इंटररिलिजन मैरिज का मामला था लडकी 8 माह से प्रेग्नेंट थी और उसका हसबैंड जेल में बंद था, साथ में उसकी डेढ साल की बच्ची थी। कहीं से कोई मद्द न होने के कारण लडकी सूरजपुर कोर्ट में आई थी और रो रही थी। मीडियाकर्मियों ने उनका संपर्क न0 दे दिया। तब समिति की सदस्याएं लडकी दिव्या को लेकर तत्कालीन एसडीएम बच्चू सिंह से मिलीं और कानूनी लडाई लड कर, उसके पति को रिहा करवाया। रिहा होने के बाद दोनो पति पत्नी के रहने का बंदोबस्त ग्रेटर नोएडा में ही करवाया। इस मामले के हल होते ही महिला शक्ति सामिति को सबसे ज्यादा खुशी नसीब हुई थी और आज भी वह दंपत्ति उन्हें मां जैसा दर्ज देते हैं।
……….. महिलाओं के प्रति अपराधों की दर कम नही हो पा रही है क्या कारण मानती हैं?
- —–समाज में कानून का कोई खौफ नही है, पुलिस तो अपना कार्य बदस्तूर करती है मगर सुस्त न्याय प्रक्रिया इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी है। दमिनी के मामले में भी यही हुआ निर्णय कितने देर से आया। यही कारण है कि सुस्त न्याय प्रक्रिया के चलते हुए अपराधों पर अंकुश लगाने की बात बेमानी साबित होती है। त्वरित न्याय यदि मिल जाए तो अपराधी के मन में एक खौफ पैदा हो जाता है और दूसरा व्यक्ति अपराध करने से पहले 100 बार सोचता है।
……………..महिला सुरक्षा खास बिंदु हैं क्या कहना चाहेंगी?
- ——महिला सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा की भावना पैदा करनी होगी और बीच का भेद मिटाना होगा। बेटा कहीं भी चला जाए और घर कितनी भी देर से आए कोई नही पूछता मगर यदि बेटी के घर आने में परिस्थिति विशेष थोडा भी देरी हो जाए तो सीबीआई जैसी इन्कवायरी घर में ही शुरू हो जाती है अर्थात जिस तरह से हम में बेटियों पर टोका टाकी और अंकुश की भावना रखते है यदि बेटों पर भी रखें तो महिलाएं कभी असुरक्षित नही होंगी। बेटे और बेटियों पर समान दृष्टिकोण होना चाहिए और यह सब संस्कार और समाज की जागरूकता से ही संभव है।
……………महिला शक्ति समाजिक समिति को कोई अवार्ड भी मिला है क्या?
- —–जी, बिल्कुल महिलाओं के हकों की आवाज बुलंद करने के लिए महिला शक्ति सामाजिक समिति को अभियोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश के द्वारा वर्ष 2016 में सराहनीय सेवा सम्मान प्रशस्त्रि पत्र दिया गया था। यह सम्मान तत्कालीन जिलाधिकारी एनपी सिंह द्वारा समिति को प्रदान किया गया था।
……………. साधना जी आप .समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
- —–समाज को यही संदेश है कि महिलाएं पहले अपना स्वयं का सम्मान करना सीखें। जब आप खुद की इज्जत नही करेंगी कोई दूसरा आपकी इज्जत नही करेगा अर्थात खुद अपनी इज्जत करें और फिर दूसरों को इज्जत दें तभी इज्जत मिलेगी यह भारतीय संस्कृति और संस्कारों की मूल धारणा है।