ललिता का मामला मुंबई हाई कोर्ट में है जहां उन्हें महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्राइब्यूनल जाने की सलाह दी गई
ललिता को अपने जननांगों के पास गांठ जैसा कुछ महसूस हुआ उन्होंने अपनी मां को इस बारे में बताया और वो डॉक्टर के पास गए वहां उन्हें पता चला कि ललिता के शरीर में पुरुषों के हॉर्मोंस बन रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि चीजों को ठीक करने का सिर्फ एक तरीका है और वो सेक्स रिअसाइंमेंट सर्जरी यानी सेक्स चेंज कराना ही इस समस्या का हल है। अब ललिता पुरुष बनने के लिए तैयार हैं वो तुंरत हां में जवाब देती हैं उन्होंने कहा कि मुझे बस इंतज़ार है कि कब मेरा ऑपरेशन है और कब मैं आज़ाद हो जाऊं सर्जरी के बाद मैं अपना नाम ललित रखूंगी मैं चाहती हूं कि सब मुझे ललित ही मानें।
महाराष्ट्र पुलिस में महिला कांस्टेबल के पद पर तैनात ललिता की कहानी
- कानून रिव्यू/महाराष्ट्र
—————————–महाराष्ट्र पुलिस में महिला कांस्टेबल के पद पर तैनात ललिता की जिंदगी कानूनी पचडों के बीच फंस कर रह गई है। महिला कांस्टेबलको सेक्स चेंज कराने के लिए सर्जरी करानी है मगर पुलिस से छुट्टी नही मिल पा रही है और नौकरी पर संकट के मंडरा रहे हैं। यह मामला मंबई हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है कोर्ट उन्हें महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्राइब्यूनल जाने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के बीड जिले की ललिता साल्वे तकरीबन 20 साल की थीं जब उन्हें पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी मिली वो ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थीं। उम्मीद थी कि वो दूसरे के खेतों में काम करने वाले अपने माता.पिता का नाम रोशन करेंगी। सब उम्मीद के मुताबिक ही हो रहा था। सब कुछ ठीक चल रहा था, दिन महीने और साल बीत रहे थे। इसी दौरान एक दिन ललिता को अपने जननांगों के पास गांठ जैसा कुछ महसूस हुआ उन्होंने अपनी मां को इस बारे में बताया और वो डॉक्टर के पास गए वहां उन्हें पता चला कि ललिता के शरीर में पुरुषों के हॉर्मोंस बन रहे हैं ललिता ने बताया कि डॉक्टर ने कहा कि चीजों को ठीक करने का सिर्फ एक तरीका है और वो सेक्स रिअसाइंमेंट सर्जरी यानी सेक्स चेंज कराना ही इस समस्या का हल है। उस वक़्त ललिता की उम्र 24 साल थी वो बताती हैं मैं पूरी ज़िंदगी ख़ुद को लड़की मानती आ रही थी, दुनिया के सामने मेरी पहचान लड़की की थी, अचानक मुझे लड़का बनने की सलाह दी गई और मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी इससे पहले ललिता को परेशानी तो हो रही थी उन्हें ये भी लग रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ है लेकिन ये गड़बड़ क्या है। इस गडबडी का पता डॉक्टर के पास जाने के बाद मालूम हुआ। किंतु ललिता की सबसे समस्या यह है कि एक तो वह गरीब परिवार से है और दूसरा वो पुलिस में महिला कांस्टेबल के पद पर तैनात है। डॉक्टर ने ललिता को बताया था कि ऑपरेशन महंगा होगा और जिससे वह परेशान हो गईं। डॉक्टर से मिलने के बाद ललिता की ज़िंदगी में सब कुछ बहुत तेजी से बदलने लगा। इस तरह का मामला आने पर एक तरह से ललिता की जिदंगी उलझन भरी हो गई है। ललिता की जुबानी मैं पुलिस की नौकरी में थी और साथ ही महिला कॉन्स्टेबल थी अपने लंबे बाल संवारकर उनका जूड़ा बनाती थी मैं एक औरत थी लेकिन ये सब बदल रहा था मैं अंदर ही अंदर घुटने लगी धीरे.धीरे हॉर्मोन्स बढ़ने लगे और साथ ही बढ़ने लगी बेचैनी। वो कहती हैं कि मैं किसी को समझा नहीं सकती कि ये कितना उलझाऊ और तकलीफ़देह है मेरी हालत सिर्फ वही समझ सकता है जो ख़ुद इससे जूझ रहा हो। डॉक्टरों के समझाने पर और बेटी की तकलीफ़ देखकर ललिता के माता.पिता सर्जरी के लिए तैयार हो गए उन्हें मुंबई के जेजे हॉस्पिटल रेफ़र किया गयाण् लेकिन मामला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। ललिता ने एक महीने की छुट्टी के लिए अर्जी दी जिसे खारिज कर दिया गया है। नौकरी में कानूनी उलझन पैदा हो गई है। ललिता के सीनियर ऑफिसरों का कहना है कि पुलिस की गाइडलाइन में ये बात कहीं नहीं बताई गई है कि अगर कोई डिपार्टमेंट में काम करते हुए सेक्स चेंज ऑपरेशन कराना चाहे तो क्या फ़ैसला लिया जाएगा? इस बारे में एसपी जीण्श्रीधर ने बताया कि उनका विभाग ललिता से सहानुभूति रखता है और उनकी मदद करने के लिए तैयार है लेकिन इस बारे में कोई कानून मौजूद नहीं है इसलिए वो कोई कदम उठाने की स्थिति में नहीं है। ट्रांसजेंडर कॉन्स्टेबल की नहीं हो रही पोस्टिंग जब एक ट्रांसजेंडर मां बने तो क्या होता है उन्होंने कहा कि ललिता की भर्ती महिला पुलिस के तौर पर हुई थी। सर्जरी के बाद हम उसे पुरुष पुलिसकर्मियों की टीम में कैसे रख पाएंगे इसकी जानकारी हमें नहीं हैं।
ललिता के वकील एजाज़ नक्वी का मानना है कि ललिता को सर्जरी के लिए छुट्टी न मिलना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2015 के फ़ैसले में साफ कहा था कि कोई भी व्यक्ति अपना जेंडर और सेक्शुअलिटी खुद तय कर सकता है ये दोनों ही निजता का अधिकार यानी राइट टु प्राइवेटी के दायरे में आते हैं। अगर ललिता की नौकरी सेक्स चेंज कराने की वजह से जाती है तो ये उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा। फ़िलहाल ललिता का मामला मुंबई हाई कोर्ट में है जहां उन्हें महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्राइब्यूनल जाने की सलाह दी गई है । ख़बरें मीडिया में आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मामले को संवेदनशीलता से देखने को कहा है तो क्या ललिता पुरुष बनने के लिए तैयार हैं वो तुंरत हां में जवाब देती हैं उन्होंने कहा कि मुझे बस इंतज़ार है कि कब मेरा ऑपरेशन है और कब मैं आज़ाद हो जाऊं सर्जरी के बाद मैं अपना नाम ललित रखूंगी मैं चाहती हूं कि सब मुझे ललित ही मानें।