सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 22 अक्टूबर तय की
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन निजता और राज्य की संप्रभुता के हितों को संतुलित करके सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के बारे में अदालत में एक हलफनामा दायर करने के लिए केंद्र सरकार से कहा है। जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। पीठ फेसबुक द्वारा मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों में दाखिल उन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए दायर याचिका पर विचार कर रही है जिसमें सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से लिंक करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान पीठ ने साइबर अपराधियों और झूठी व भ्रामक जानकारियों के मूल निर्माताओं की खोजबीन के मुद्दे पर चर्चा की। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक हो गया है। सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए। हमें इंटरनेट के बारे में क्यों सोचना चाहिए? हम अपने देश के बारे में चिंता करेंगे। हम यह नहीं कह सकते कि हमारे पास तकनीक नहीं है। ऑनलाइन अपराधों की उत्पत्ति को ट्रैक करें। यदि मूल निर्माताओं के पास करने के लिए तकनीक है तो हमारे पास इसका मुकाबला करने और उनको तलाश करने की तकनीक है। व्यक्ति खुद को ट्रॉल होने से बचा सकता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति उनके बारे में झूठ फैलाता है तो वह क्या कर सकते है? मेरी निजता की भी रक्षा होनी चाहिएए मैं अपना स्मार्टफोन बंद करने की सोच रहा हूं। फेसबुक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये स्मार्टफोन बंद करना,एक बुद्धिमानी वाला कदम हो सकता है तो सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई लोग पहले ही ऐसा कर चुके हैं। जस्टिस गुप्ता ने आगे कहा कि यह अदालतों के लिए नहीं है कि वे सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा.निर्देश तैयार करें। नीति केवल सरकार द्वारा तय की जा सकती है। एक बार सरकार नीति बनाती है तो हम नीति की वैधता पर निर्णय ले सकते हैं। लेकिन निजता जैसे मुद्दों को विनियमित करने की आवश्यकता है्। कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र को 3 सप्ताह का समय दिया है। इसमें सरकार को दिशानिर्देश बनाने के लिए आवश्यक समय.सीमा बतानी होगी। सुनवाई की अगली तारीख 22 अक्तूबर तय की गई है। गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने यह कहा है कि वह अब आधार.सोशल मीडिया लिंक के लिए प्रार्थना पर विचार नहीं कर रहा है और वो झूठी जानकारी व आपत्तिजनक संदेशों के मूल के पता लगाने की समस्या की जांच कर रहा है।