नए कानून बनाने को लेकर स्वीडन की सरकार ने कहा है कि किसी आरोपी पर बलात्कार का मुकदमा चलाने के लिए अब यह जरुरी नहीं है कि पीडित को हिंसा या धमकी देकर उनके साथ बलात्कार किया गया हो। इसके लिए यह भी जरुरी नहीं है कि पीड़ित की विशेष मजबूरी का फायदा उठाकर इसे अंजाम दिया गया हो।
कानून रिव्यू/इंटरनेशनल
———————————-भारत और विश्व के कई अन्य देशों में बालिग लड़की के साथ बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में रखा गया है। इसी रास्ते पर चलते हुए अब यूरोपीय देश स्वीडन ने भी इस तरह के कानून को हरी झंडी दे दी है। स्वीडन ने आपसी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार की श्रेणी में रखने के लिए कड़ा कानून बनाया है। बता दें कि स्वीडन ने यह कदम छेड़खानी और यौन शौषण के खिलाफ चलाए गए कैंपेन के बाद उठाया है। इस नए कानून के मुताबिक शारीरिक संबंध बनाने वाले महिला या पुरुष की इच्छा के बगैर किया गया है तो इस बलात्कार माना जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले स्वीडन में बलात्कार को हिंसा या धमकी देकर जबरदस्ती किए गए शारीरिक संबंध के रुप परिभाषित किया जाता रहा है। नए कानून बनाने को लेकर स्वीडन की सरकार ने कहा है कि किसी आरोपी पर बलात्कार का मुकदमा चलाने के लिए अब यह जरुरी नहीं है कि पीडित को हिंसा या धमकी देकर उनके साथ बलात्कार किया गया हो। सरकार ने कहा है कि इसके लिए यह भी जरुरी नहीं है कि पीड़ित की विशेष मजबूरी का फायदा उठाकर इसे अंजाम दिया गया हो। गौरतलब है कि इसी वर्ष मई में इस नए कानून को पारित किया गया था। इस नए कानून के मुताबिक देश के अदालतों को अब इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि क्या शारीरिक संबंध बनाने से पहले शब्दों, संकेतों या फिर किसी अन्य तरीके से सहमति व्यक्ति की गई थी। अब न्यायाधीशों को इस बात पर गौर करते हुए ही अपना फैसला सुनाना होगा। जस्टिस एना हन्नेल जिन्होंने सरकार को इस नए कानून बनाने में मदद की है, ने कहा है कि इसके लिए औपचारिक तौर पर हां कहने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं थी। स्थानीय मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि कोई महिला या पुरुष शारीरिक रुप से हिस्सा लेता है तो यह सहमति का संकेत है।