जब किसानों के पास पराली को निपटाने के लिए कोई विकल्प नहीं हैं तो वो मजबूरी में ही पराली को जला रहे है।
पंजाब सरकार किसानों के चालान काटने से पहले पराली के निपटारे के लिए किसानों को जागरूक करे व पराली को जलाने के बजाय कोई बेहतर विकल्प दे
- कानून रिव्यू/चंडीगढ
हाईकोर्ट ने किसानों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के मामले में सवाल उठाया है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी को इस मामले को एग्जामिन कर कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है। पराली को जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने और प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिए जाने की मांग संबंधी भारतीय किसान यूनियन की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि किसानों पर एफआईआर किस कानून के तहत की गई है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी को इस मामले को एग्जामिन कर कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है। याचिका में कहा गया कि पंजाब सरकार किसानों के चालान काटने से पहले पराली के निपटारे के लिए किसानों को जागरूक करे व पराली को जलाने के बजाय कोई बेहतर विकल्प दे। अगर सरकार द्वारा किसानों को विकल्प देने के बाद भी पराली जलाई जाए तो उसके बाद ही किसानों का चालान काटा जाए। याचिका में कहा गया कि एनजीटी के आदेश के बाद पंजाब सरकार ने किसानों के खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू कर दी। याचिका में आरोप लगाया गया कि जब किसानों के पास पराली को निपटाने के लिए कोई विकल्प नहीं हैं तो वो मजबूरी में ही पराली को जला रहे है।